Punjab: भाजपा के आला नेताओं की ''इनसिक्योरिटी'' ले डूबी Sushil Rinku को...पढ़ें क्या है पूरी खबर

punjabkesari.in Saturday, Jun 08, 2024 - 11:13 AM (IST)

जालंधर(अनिल पाहवा) : जालंधर लोकसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार के तौर पर खड़े सुशील रिंकू की करारी हार के लिए जहां वो खुद जिम्मेदार हैं, वहीं इस हार में भाजपा के कई लोगों की अहम भूमिका रही है। जालंधर के सैंट्रल तथा नार्थ विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर किसी अन्य विधानसभा सीट पर भाजपा जीत नहीं पाई, जिसके लिए कहीं न कहीं पार्टी के आला नेता जिम्मेदार हैं, जो शिरोमणि अकाली दल से अलग होने के 2-3  साल बाद भी उन इलाकों में संगठन को मजबूत नहीं कर पाए, जहां पर भाजपा कमजोर थी। जालंधर में रिंकू के हारने के बड़े कारणों में से एक कारण जो सामने आ रहा है, वह था भाजपा के नेताओं के अंदर 'इनसिक्योरिटी'।

पैराशूट से उतार कर रिंकू को टिकट देने पर थी नाराजगी
दरअसल सुशील रिंकू कांग्रेस छोड़कर आम आदमी पार्टी तथा आम आदमी पार्टी छोड़कर भाजपा में आए थे। पिछले करीब एक साल में सुशील रिंकू ने एक सामान्य कांग्रेसी नेता से लेकर एक सांसद तक का सफर तय किया है। भाजपा में आकर सुशील रिंकू अगर जीत जाते तो पार्टी के कई नेताओं के लिए घाटे का सौदा होता। पहले ही पार्टी ने पैराशूट से लाकर सुशील रिंकू को नेताओं के सिर पर बिठा दिया था। अगर रिंकू कहीं जीत जाते तो रही सही कसर भी पूरी हो जाती और जुम्मा-जुम्मा चार दिन पहले दिन आए सुशील रिंकू के सामने पार्टी के बड़े-बड़े नेताओं को पानी भरना पड़ता। शायद यह 'इनसिक्योरिटी' भाजपा के नेताओं के अंदर घुस चुकी थी, जिसके कारण सुशील रिंकू की जीत किसी भी ऐंगल से गंवारा नहीं होती।

संगठन के लोगों से भी रखा गया दूर
जालंधर में लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा के आला नेता इस बात को लेकर भी इनसिक्योर थे कि अगर सुशील रिंकू को पार्टी के कर्ता-धर्ताओं से मिलवा दिया गया तो कहीं वे उन्हें बाईपास न कर जाएं और छुटभैय्या नेताओं की वैल्यू न कम हो जाए। इसी कारण इन लोगों ने सुशील रिंकू को न तो संगठन के आला पदाधिकारियों से मिलवाया और न ही सुशील रिंकू को जीतने दिया। वरना जिस तरह से शहर में चुनावों से 2 दिन पहले राम मंदिर को लेकर पोस्टर लगाए गए और एक माहौल बनाया गया, उस स्थिति में रिंकू का इस तरह से हारना संभव ही नहीं था।

रिंकू सहित 7 सीटों पर उतरे पैराशूट उम्मीदवार नहीं दिलवा पाए जीत
लोकसभा चुनावों से कुछ समय पहले करीब दो दर्जन नेता भाजपा में शामिल हुए थे, जिनमें सुशील रिंकू भी शामिल थे। आम आदमी पार्टी ने सुशील रिंकू को टिकट दे दिया था, लेकिन इसके बावजूद सुशील रिंकू भाजपा में शामिल हो गए। आंकड़ों के अनुसार देश भर जिन 25 नेताओं को भाजपा में शामिल कर चुनावी मैदान में उतारा गया था, उनमें से 20 चुनाव हार गए। इनमें सुशील रिंकू के साथ-साथ परनीत कौर, लुधियाना से रवनीत सिंह बिट्टू भी शामिल हैं। पंजाब में पहली बार अकेले लोकसभा चुनाव लड़ रही भाजपा ने कुल 13 सीटों में से 7 सीटों पर दूसरे दलों से आए नेताओं को टिकट दिया था, लेकिन पंजाब में भाजपा एक भी सीट नहीं जीत पाई।


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Vatika

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