पंजाब की सियासत के रंग: परिवार का एक सदस्य कांग्रेस तो दूसरा BJP में, पढ़ें बड़ें लीडरों के नाम
punjabkesari.in Monday, Apr 22, 2024 - 11:38 AM (IST)

लुधियाना (हितेश): जालंधर के पूर्व एमपी संतोंख सिंह चौधरी की पत्नी द्वारा लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस की टिकट न मिलने से नाराज होकर भाजपा में शामिल होने के बाद पंजाब में एक ही परिवार के सदस्यों का कांग्रेस व भाजपा में रहने का आंकड़ा आधा दर्जन के करीब पहुंच गया है। इस मामले में सबसे पहला नाम कैप्टन अमरिंदर सिंह का आता है, जिनके भाजपा में शामिल होने के काफी देर बाद तक भी उनकी पत्नी परनीत कोर ने अपनी लोकसभा सदस्यता बचाने के लिए आधिकारिक तौर पर कॉंग्रेस नहीं छोडी थी। इसके बाद बारी आती है कांग्रेस के नेता विपक्ष प्रताप बाजवा की, जिनके भाई फतेह जंग बाजवा ने भाजपा का दामन थाम लिया है जिसे लेकर मुख्यमंत्री भगवंत मान अक्सर एक घर में दो पार्टी के झंडे लगे होने का तंज कसते हैं।
यह लिस्ट लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद से दिन ब दिन लंबी होती जा रही है, जिसमें पंजाब भाजपा के प्रधान सुनील जाखड का नाम शामिल है, जिनके भतीजे संदीप जाखड़ आधिकारिक तौर पर कॉंग्रेस के विधायक होने के बावजूद भाजपा के लिए काम कर रहे हैं। इस लिस्ट में बड़ा नाम लुधियाना के मौजूदा एमपी रवनीत बिट्टू का भी है, जो हाल ही में भाजपा में शामिल हो गए हैं लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के परिवार के अन्य सदस्यों में शामिल गुरकीरत कोटली आदि अभी भी सक्रिय रूप से कांग्रेस के लिए काम कर रहे हैं। अब ताजा मामला जालंधर के पूर्व एमपी संतोंख सिंह चौधरी की पत्नी का सामने आया है, जिन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान कॉंग्रेस की टिकट न मिलने से नाराज होकर भाजपा में शामिल होने का फैसला किया है लेकिन उनके बेटे और फिललोर से विधायक विक्रम चौधरी ने अपनी विधानसभा सदस्यता बचाने के लिए अभी कॉंग्रेस नहीं छोड़ी है।
सुखबीर और मनप्रीत की भी है अलग राह
एक ही परिवार के सदस्यों के अलग अलग पार्टियों में होने से जुड़ा मामला सिर्फ कांग्रेस में ही नहीं है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण अकाली दल में देखने को मिल सकता है, जहां लंबे समय तक इकट्ठे रहे मनप्रीत बादल ने पहले अकाली दल के साथ बगावत करके अपनी पार्टी बनाई और फिर कांग्रेस व भाजपा में शामिल हुए। वह हरसिमरत बादल के खिलाफ बठिंडा से लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं । हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के निधन के बाद सुखबीर बादल और मनप्रीत के बीच नजदीकियां देखने को मिली थी, लेकिन उनकी अकाली दल में वापसी नहीं हो पाई।