इंतकाल को लेकर पंजाब सरकार के सख्त तेवर, जारी किए ये निर्देश

punjabkesari.in Tuesday, May 23, 2023 - 12:45 PM (IST)

चंडीगढ़ : पंजाब सरकार ने भूमि अधिग्रहण के बाद इंतकाल में होने वाली देरी पर सख्त तेवर अख्तियार किए हैं। पंजाब राजस्व, पुनर्वास और आपदा प्रबंधन विभाग ने सभी विभागाध्यक्षों को पत्र जारी कर कहा है कि सरकारी स्तर पर होने वाले भू अधिग्रहण के मामले में संबंधित विभाग जमीन का इंतकाल तुरंत अपने नाम दर्ज करवाएं।अधिकारियों की मानें तो बेशक अधिग्रहण के बाद इंतकाल करवाने संबंधी बेहद स्पष्ट निर्देश हैं लेकिन आमतौर पर कई विभाग इसमें ढिलाई बरत जाते हैं। ऐसे में रिकॉर्ड में संबंधित विभाग के नाम पर इंतकाल न होने के कारण अधिगृहीत की गई जमीन पुराने मालिक के नाम पर ही रह जाती है, जिससे कई बार जमीन के दोबारा एक्वायर होने की संभावना बनी रहती है और पुराने मालिक के दोबारा मुआवजा लेने पर आर्थिक नुक्सान का जोखिम भी बना रहता है। पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई मामले सामने भी आए हैं। एक मामला तो काफी सुर्खियां बना था, जिसमें वरिष्ठ नेता ने एक बार अधिगृहीत हुई जमीन का दोबारा मुआवजा ले लिया।

इस जोखिम से बचने के लिए ही अब एक बार फिर निर्देश दिए गए हैं कि ढिलाई बरते बिना संबंधित विभाग जमीन अधिगृहीत होने के बाद तत्काल इंतकाल अपने नाम दर्ज करवाएं। पत्र में यह भी कहा गया है कि जमीन अधिगृहीत करने वाले विभाग की यह जिम्मेदारी होगी कि अधिग्रहण की कार्रवाई खत्म होने के बाद संबंधित विभाग जमीन पर तुरंत कब्जा प्राप्त करे।

रैवेन्यू सर्किल अफसर पहल के आधार पर करें इंतकाल

पंजाब राजस्व, पुनर्वास और आपदा प्रबंधन विभाग ने यह भी निर्देश दिए हैं कि संबंधित सर्किल रैवेन्यू ऑफिसर ऐसे इंतकाल का पहल के आधार पर सत्यापन करें। यह सारा काम उपमंडल मैजिस्ट्रैट की निगरानी में होगा। अगर किसी खास केस में अड़चन या कोई दिक्कत आती है तो उस संबंध में विशेष रिपोर्ट अलग से तैयार की जाए और इसका समाधान करने का हर मुमकिन प्रयास किया जाए।

ग्रामीण स्तर पर भी जमीन के पचड़े, राजस्व विभाग ने दोबारा जारी की हिदायत

भूमि अधिग्रहण की तरह पंचायती स्तर पर जमीन से जुड़े मामलों को लेकर राजस्व विभाग ने नए सिरे से निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत विभाग प्रदेश के तमाम डिप्टी कमिश्नरों, कमिश्नरों को कहा है कि राज्य की ग्राम पंचायतों की जमीन की गिरदावरी ग्राम पंचायत के नाम पर ही की जाए। ऐसे न होने से कब्जे की गुजाइंश बनी रहती है। इस बाबत राजस्व विभाग की तरफ से जारी पत्र में कहा गया है कि पहले जारी हिदायतों की कड़ी में एक बार फिर हिदायत जारी की जा रही है कि कब्जाधारकों से पंचायती जमीन खाली करवाने की पहल हो और पंचायती जमीन की गिरदावरी बतौर मकबूजा मालकान/खुदकाश्त दर्ज की जाए ताकि कब्जाकार की दुरूस्ती गिरदावरी की दरख्वास्त या अपील का फैसला न किया जाए बल्कि ऐसी पंचायत जमीन की गिरदावरी मकबूजा मालकान/खुदकाश्त दर्ज की जाए। यह निर्देश इसलिए भी अहम हैं क्योंकि इस बाबत कई स्तर पर  टिप्पणियां तक की गई हैं। 

आमतौर पर देखने में आया है कि पंचायती जमीनों को लोग ठेके पर लेकर अपने नाम गिरदावरी करवा के मालिकाना हक प्राप्त कर लेते हैं, जोकि सीधे तौर पर उल्लंघन है। इसलिए यह सुनिश्चित करने की बात उठती रही है कि जितनी भी पंचायतों के अधीन जमीन है, उसे लेकर तहसीलदार या पटवारी यह सुनिश्चित करें कि पंचायती जमीन की गिरदावरी किसी अन्य व्यक्ति के नाम न की जाए। खास बात यह है कि इस बाबत सुप्रीम कोर्ट ने भी एक आदेश सुनाया है, जिसके मुताबिक कब्जाधारकों से जमीन खाली करवाकर पंचायती जमीन की गिरदावरी बतौर मकबूजा मालकान/खुदकाश्त दर्ज की जाए। ऐसे में स्पष्ट है कि ठेके वाली पंचायती जमीन की गिरदावरी किराएदार या व्यक्ति विशेष के नाम करने की बजाए खुदकाश्त यानी पंचायत के नाम ही दर्ज की जाए।

पंजाब सरकार की जमीन पर स्पष्ट नीति से लिए जा रहे हैं ठोस फैसले

अधिकारियों की मानें तो पंजाब सरकार जमीन के मामले में बेहद स्पष्ट नीति लेकर चल रही है। इस नीति के तहत अगर सरकार की जमीन है तो उस पर अवैध कब्जा या किसी भी तरह का गोरखधंधा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसी स्पष्ट नीति के तहत सरकार अब तक 9 हजार एकड़ से ज्यादा की जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त करवा चुकी है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी पिछले सप्ताह अवैध कब्जाधारकों को 31 मई तक कब्जे खाली करने की चेतावनी देकर एक बार फिर सरकार की नीति को स्पष्ट कर दिया है। अधिकारियों की मानें तो पंजाब सरकार इस वर्ष भी करीब 6 से 7 हजार एकड़ जमीन को कब्जामुक्त करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। इसमें ग्रामीण इलाकों के साथ-साथ शहरी इलाकों में सरकारी जमीन को कब्जामुक्त करने की कार्रवाई होगी। 

राज्य सरकार के लिए यह जमीन खजाना भरने के लिहाज भी अहम है। अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब तक खाली करवाई गई जमीन की कीमत करीब अढ़ाई हजार करोड़ रुपए के आसपास बताई जा रही है। आर्थिक रूप से सरकार के खजाने की मजबूती देने वाली जमीन के कारण ही सरकार जमीन के मामले में किसी भी तरह की चूक बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है। यही वजह है कि अधिग्रहित की गई जमीन के विभागीय स्तर पर इंतकाल से लेकर ग्रामीण स्तर पर जमीन की गिरदावरी दुरुस्त करने की कोशिशें की जा रही हैं।

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News Editor

Urmila

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