पंजाब के इस शहर के लोगों के लिए चिंताभरी खबर, घर से बाहर निकलने से पहले पढ़ें...
punjabkesari.in Saturday, Jun 07, 2025 - 10:34 AM (IST)

जालंधर (खुराना): पंजाब के औद्योगिक शहर जालंधर की पहचान अब प्रदूषण की राजधानी के रूप में होती जा रही है। सरफेस वाटर प्रोजेक्ट के तहत चल रही मेन सड़कों की खुदाई और उससे उठ रही मिट्टी ने शहरवासियों का जीना दुश्वार कर दिया है। इस समय शहर की आधा दर्जन से अधिक सड़कों को खोद कर उनके नीचे पाइपलाइन बिछाई जा रही है, जिनमें महावीर मार्ग, तल्हन रोड और वेरका प्लांट के निकट क्षेत्र प्रमुख हैं।
ये सभी मुख्य सड़कें हैं जहां पर भारी मात्रा में ट्रैफिक चलता है। गाड़ियों के आवागमन के कारण खुदाई से निकली मिट्टी उड़कर हवा में फैल रही है, जिससे वातावरण गंभीर रूप से प्रदूषित हो गया है। खुदाई से निकली मिट्टी ने गर्मी के चलते पाउडर का रूप ले लिया है, जो अब हवा में उड़कर लोगों के फेफड़ों और आंखों तक पहुंच रही है। स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि लोगों में दमा, टी.बी. और सांस संबंधी बीमारियों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके अलावा आंखों में जलन, चमड़ी रोग और गले में खराश जैसी समस्याएं आम हो चुकी हैं।
दमे, टी.बी. और सांस के रोगों का शिकार हो रहे लोग
सरफेस वाटर प्रोजेक्ट की खुदाई और उससे उठती मिट्टी ने जालंधर को पिछले कई वर्षों से सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में बनाए रखा है। अब हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि डॉक्टरों तक मरीजों की कतारें लग रही हैं। लोग सांस संबंधी तकलीफों के साथ-साथ आंखों और त्वचा के रोगों से भी जूझ रहे हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि संबंधित कंपनी द्वारा ना तो कहीं बैरिकेडिंग की गई है और ना ही ट्रैफिक डायवर्जन का कोई इंतजाम किया गया है। नतीजतन वाहन खुदाई वाली सड़कों पर ही चलने को मजबूर हैं, जिससे बड़े हादसे होने की आशंका बनी हुई है।नगर निगम और स्मार्ट सिटी मिशन के अधिकारी भी इस स्थिति को देखकर असहाय नजर आ रहे हैं, क्योंकि जितनी सड़कों की खुदाई की जा चुकी है, उन्हें मानसून से पहले दोबारा बनाना लगभग असंभव है। जालंधरवासियों की अब यही मांग है कि सड़कों की मरम्मत, मिट्टी के कंट्रोल और बैरिकेडिंग इत्यादि को जल्द से जल्द अमल में लाया जाए, ताकि शहर की बिगड़ती हवा को सांस लेने लायक बनाया जा सके।