किसान आंदोलन की मुख्य वजह- पंजाब भाजपा की लापरवाही

punjabkesari.in Tuesday, Dec 29, 2020 - 09:59 AM (IST)

जालंधर(पाहवा): कृषि कानूनों के विरोध में करीब एक महीने से दिल्ली के बॉर्डर पर किसान धरने पर बैठे हैं। प्रदेश से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक सभी का ध्यान इस किसान आंदोलन की तरफ है। इस आंदोलन के कारण पंजाब से लेकर दिल्ली तक के लोगों पर किसी न किसी तरह से असर जरूर पड़ रहा है।

अगर किसी पर असर नहीं पड़ा है तो वह है पंजाब भाजपा की टीम, जिसकी लापरवाही तथा मामले को संभाल न पाने के कारण आज यह आंदोलन दुनिया में पहले हुए बड़े आंदोलनों की सूची में शामिल हो गया है। इस आंदोलन के कारण लोगों के काम-धंधे तो प्रभावित हुए ही साथ ही देश की छवि पर भी असर पड़ा है। वहीं इस मामले में समय पर पंजाब के नेता आंदोलन की नब्ज को नहीं पकड़ पाए।

पंजाब भाजपा के पास था बेहतर मौका
इस सब के पीछे के कारण जो भी हों, लेकिन इस मामले को संभालने में पंजाब भाजपा की टीम पूरी तरह से विफल साबित हुई है। आंदोलन में दिल्ली जाने से पहले पंजाब में किसान रेल ट्रैक पर बैठे रहे तथा इस दौरान पंजाब में भाजपा के पास एक मौका था कि वह किसी तरह से किसान अंदोलन में शामिल संगठनों के लोगों के साथ सम्पर्क कर उन्हें आला नेताओं के साथ बात करवाकर मामले को खत्म करवाने की कोशिश कर सकती थी।

पंजाब में किसान संगठनों से सीधा सम्पर्क कायम करने में भाजपा के लोग असफल रहे, जिसके कारण पंजाब टीम की कर्मठता तथा नेतृत्व पर सवाल खड़े हो रहे हैं। खुद भाजपा का वर्कर कह रहा है कि पार्टी मामले को पंजाब में संभाल लेती तो इतना बड़ा तूफान न उठता। पंजाब की टीम ने उस समय गलतियां कीं और वही गलतियां अब भी जारी हैं।

कई नेताओं की हुई खिंचाई
पंजाब के नेता अब भी किसान आंदलोन को लेकर अपने स्तर पर बयान देकर लोगों को और अधिक उकसा रहे हैं तथा सोशल मीडिया पर किसानों की तस्वीरें लगा कर उनकी खुशी को जाहिर करने को बोगस प्रचार कर रहे हैं, जिसकी पोल हाल ही में सोशल मीडिया पर भाजपा की एक पोस्ट ने खोल दी है। सूत्रों के मुताबिक पंजाब भाजपा प्रभारी दुष्यंत गौतम ने इस मामले में कई नेताओं की कुछ समय पहले खिंचाई भी की है तथा उन्हें बेवजह की बयानबाजी बंद रखने को कहा है। भाजपा जो पंजाब में 117 सीटों पर जीत हासिल कर सरकार बनाने की बात कर रही थी, उसी भाजपा के खुद के आला नेता नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर साफ कह रहे हैं कि पंजाब में भाजपा कम से कम 10 साल पीछे चली गई है।

अभी भी कर रहे राजनीति
पंजाब में भाजपा के नेताओं ने अब इस आंदोलन के नाम पर भी खुद को पार्टी की नजर में सबसे बेहतर बनाने के लिए राजनीति करनी शुरू कर दी है। पार्टी के नेता अटल जी की पुण्यतिथि हो या अन्य बैठकें, जानबूझ कर कार्यक्रम पहले लीक करवा कर किसानों के संगठनों तक पहुंचा रहे हैं ताकि किसान उनके घरों पर रोष प्रदर्शन करें तथा उनको मीडिया में कवरेज मिल सके। इस प्रकार की सोच का उदाहरण कुछ दिनों से देखने को मिल रहा है।

अब सवाल यह है कि भाजपा अगर इस प्रकार की राजनीति के दम पर पंजाब में सत्ता पर काबिज होने की सोच रही है तो शायद यह उसकी सबसे बड़ी भूल होगी। अब विपक्षी दलों पर सारा दोष मढ़ने का कोई लाभ नहीं है क्योंकि अगर असल में ही दूसरे दलों के कारण इस आंदोलन को तूल मिला है तो फिर इसका अर्थ है कि भाजपा के नेता या उनकी राजनीति पूरी तरह से फ्लॉप हो गई है और ऐसे में ये लोग पंजाब के चुनावों में कितने सफल होंगे यह तो समय ही बताएगा।


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Sunita sarangal

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