डॉक्टरों की लापरवाहीः लैबोटरी में कई-कई दिन पड़े रहते हैं Coronavirus के सैंपल

punjabkesari.in Wednesday, Jun 17, 2020 - 11:04 AM (IST)

अमृतसर (दलजीत): जिला स्तरीय सिविल अस्पताल की आई.डी.एस.पी. लैबोटरी द्वारा निर्धारित समय पर कोरोना के सैंपल टैस्टिंग के लिए न भेजे जाने का मामला सामने आया है। डाक्टरों की लापरवाही के कारण कई-कई दिन सैंपल लैबोटरी में पड़े रहते हैं, परंतु डाक्टरों द्वारा टैस्टिंग के लिए उन्हें नहीं भेजा जाता है। कई बार तो सैंपल ठीक न होने के कारण मैडीकल कालेज की लैबोटरी द्वारा टैस्टिंग करने से मना कर दिया जाता है। सेहत मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू द्वारा लैबोटरी में सैंपल की जांच ठीक करने के निर्देश की भी डाक्टर द्वारा परवाह न करते हुए सिद्धू को सीधे तौर पर ठेका दिखाया जा रहा है।
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जानकारी के अनुसार जिला स्तरीय सिविल अस्पताल में कोरोना वायरस के सैंपल इकट्ठा करने के लिए आई.डी.एस.पी. लैब को चुना गया है, जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में से करीब 800 सैंपल प्रतिदिन उक्त लैब में भेजे जाते हैं। लाभ द्वारा सैंपल इकट्ठा करके आगे टैस्टिंग के लिए सरकारी मैडीकल कालेज की लैबोटरी में भेजने होते हैं, परंतु आई.डी.एस.पी. लैबोटरी की नालायकी के कारण समय पर सैंपल टैस्टिंग के लिए नहीं पहुंच रहे हैं, जिस कारण एक तो रिपोर्ट में पारदर्शिता नहीं आ रही दूसरे सैंपल पड़े-पड़े खराब हो रहे हैं। सेहत मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू के बीच मामला ध्यान में आया है व उन्होंने भी अधिकारियों को समय पर सैंपल भेजने के निर्देश दिए थे, परंतु मंत्री के आदेशों के बावजूद सैंपल अभी भी लैबोटरी में टैस्टिंग के लिए नहीं पहुंच रहे हैं। सरकार सरकारी लैबोटरी से 6 घंटे में रिपोर्ट मृतक पहुंचने का दावा कर रही है, जबकि डाक्टर सैंपल ही टैस्टिंग के लिए निर्धारित समय पर नहीं भेज रहे हैं। सिविल सर्जन डा. जुगल किशोर ने कहा कि मामले को गंभीरता से लेते हुए लैबोटरी के संबंधित डाक्टर को नोटिस जारी किया गया है।

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सिविल सर्जन को इस मामले के संबंध में जानकारी दी गई है, परंतु वह मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। आई.डी.एस.पी. लैबोटरी में ठीक ढंग से काम नहीं हो रहा है। कई बार तो बिना बर्फ के सैंपल खराब हो जाते हैं, ऐसी ही कई फोटो सोशल मीडिया पर लैबोटरी की वायरल हो रही है, जिसमें सैंपल बिना बर्फ के पढ़े हुए हैं। यदि अधिकारी सैंपलों को ठीक ढंग से नहीं रखेंगे तो उनकी रिपोर्ट ठीक नहीं आएगी। ऐसे तो कोई भी कोरोना पॉजिटिव मरीज नैगेटिव रिपोर्ट आने के बाद सरेआम घूमते हुए कई लोगों को अपनी जकड़ में ले सकता है। डिप्टी कमिश्नर को इस मामले पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
-जुगल महाजन, आर.टी.आई. एक्टिविस्ट।

11 जून को सरकारी अस्पताल में कोरोना के टैस्ट के लिए सैंपल दिया गया था जोकि की आई.डी.एस.पी. लैबोटरार द्वारा अभी तक टैस्टिंग के लिए सरकारी मैडीकल कालेज में नहीं भेजा गया है, नियमों के अनुसार 72 घंटे के बाद सैंपल की पारदर्शिता रिपोर्ट ठीक नहीं आती है, जिस मरीज ने कोरोना के टैस्ट के लिए सैंपल दिया होता है, वह पल-पल घबराहट में रहता है कि आखिर उसकी रिपोर्ट क्या आनी है। सेहत विभाग के डाक्टरों की नालायकी के कारण कई बार तो संबंधित व्यक्ति कई बार अपने आप को कोरोना समझ कर अपने परिवारिक सदस्यों से भी नहीं मिलता है। सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए।
-जय गोपाल लाली, समाज सेवक


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