सरकारी ग्रांट हड़पने हेतु जालंधर निगम में बना दिए गए फर्जी महिलाओं के ''सैल्फ हैल्प ग्रुप''

punjabkesari.in Wednesday, Apr 26, 2023 - 11:47 AM (IST)

जालंधर: नेशनल अर्बन लाइवलीहुड मिशन के तहत ग्रामीण और शहरी क्षेत्र की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार ने कई योजनाएं तैयार की थीं परंतु उनमें से ज्यादातर योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। इस मामले में ताजा गड़बड़ी जालंधर निगम में सामने आ रही है जहां पिछले वर्षों दौरान सैकड़ों ग्रुप बनाए गए ताकि इन ग्रुपों के माध्यम से शहरी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा सके। आरोप है कि इस काम में लगी संस्था ने कई फर्जी ग्रुप भी बना दिए ताकि ऐसा करके सरकारी ग्रांट को हड़पा जा सके।

वैसे तो इस मामले में हो रही गड़बड़ी कुछ माह पहले पकड़ में आ गई थी परंतु मामले की सही ढंग से जांच ही नहीं हो सकी। अब नगर निगम कमिश्नर अभिजीत कपलिश ने इस मामले की जांच हेतु तीन अधिकारियों पर आधारित एक जांच कमेटी बनाई है और उन्हें पहले चरण में 54 सैल्फ हेल्प ग्रुपों की जांच का काम सौंपा गया है।

हर ग्रुप को सरकार देती है 10 हजार रुपए की सहायता

इस सरकारी स्कीम के तहत 10 महिलाओं पर आधारित एक सैल्फ हेल्प ग्रुप को बैंक खाता खोलने के लिए कहा जाता है जिसमें हर महिला हर महीने 100 रुपए का योगदान डालती है। 3 माह बाद सरकार इस सेल्फ हेल्प ग्रुप को 10 हजार रूपए की ग्रांट अपनी ओर से देती है। यह सैल्फ हैल्प ग्रुप यदि 2 साल तक ठीक-ठाक काम करता है तो ग्रुप गठित करने वाली संस्था को भी सरकार की ओर से 10 हजार की ग्रांट मिलती है। माना जा रहा है कि पहले चरण में संस्था ने जिन 54 सैल्फ हैल्प ग्रुपों को सत्यापित करके निगम अधिकारियों से उनकी पेमैंट मांगी है उनकी जांच का काम शुरू करवा दिया गया है। खास बात यह है कि इस सैल्फ हैल्प ग्रुप को ऋण इत्यादि दिलवाने में भी मदद की जाती है और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में इन ग्रुपों को प्राथमिकता दी जाती है।

असल गड़बड़ी कांग्रेस सरकार के समय शुरू हुई

महिलाओं के सैल्फ हैल्प ग्रुप बनाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की योजना पिछले कई सालों से चल रही है। सूचनाओं के मुताबिक जालंधर निगम 425 से ज्यादा ऐसे ग्रुपों को सरकारी ग्रांट जारी भी कर चुका है परंतु इस मामले में असल गड़बड़ी तब शुरू हुई जब पंजाब और जालंधर निगम पर कांग्रेस का राज था। साल 1920 में जहां 122 सैल्फ हैल्प ग्रुप बनाए गए तो साल 2021 में इन ग्रुपों की संख्या 126 तक पहुंच गई जबकि इस साल कोरोना वायरस शिखर पर था । अगले साल भी कोरोना का असर रहा और तब 169 ग्रुप बना दिए गए।

ऐसे में निगम अधिकारियों को संदेह होने लगा कि कोरोना काल में इतने ग्रुप बना पाना असंभव सा है। वर्ष 2022-23 में बनाए गए 50 ग्रुपों को जोड़ लें तो पिछले 4 साल दौरान जालंधर निगम में 465 से ज्यादा सैल्फ हैल्प ग्रुप बनाए गए जिनमें से करीब 60 प्रतिशत ग्रुप फर्जी माने जा रहे हैं। आरोप है कि ज्यादातर ग्रुपों की महिलाओं ने अपने बैंक खातों में 3 महीने तक 100 रुपए की सेविंग तक नहीं डाली परंतु संस्था ने उन ग्रुपों के लिए भी 10 हजार की ग्रांट की मांग कर डाली।

शक के दायरे में आई भारतीय शहरी एवं ग्रामीण विकास संस्था

सरकारी स्तर पर चंडीगढ़ की भारतीय शहरी एवं ग्रामीण विकास संस्था जालंधर निगम में महिलाओं के सैल्फ हैल्प ग्रुप बना रही है। एक ग्रुप की सफलता पर संस्था को सरकार ने 10 हजार रुपए अलग से देने हैं। इस हिसाब से यदि पिछले 4 साल दौरान संस्था ने 465 ग्रुप सिर्फ जालंधर में ही बनाए हैं तो उसे सरकार की ओर से 46 लाख 50 हजार रूपए मिलने हैं। अगर जांच के दौरान जालंधर निगम में फर्जी ग्रुपों का पता चलता है तो पूरी संस्था की कार्यप्रणाली ही संदेह के घेरे में आ जाएगी। ऐसे में यह केस स्टेट विजीलैंस को सौंपने के भी आसार बन सकते हैं।


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News Editor

Urmila

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