SS कोहली एंड एसोसिएट्स के साथ SGPC का अनुबंध समाप्त किया जाए: बीर दविंद्र

punjabkesari.in Thursday, Aug 27, 2020 - 08:59 AM (IST)

अमृतसर(ममता): एस.जी.पी.सी. के प्रकाशन विभाग से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूप चोरी होने के मामले में जहां पूरे सिख समुदाय में चर्चा जोरों पर है, वहीं अब पंजाब विधानसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर बीर दविंद्र सिंह ने इस मामले में सुखबीर सिंह बादल के निर्देशन में एस.जी.पी.सी. के साथ अनुबंध पर चल रही मैसर्स एस.एस. कोहली एंड एसोसिएट्स की चार्टर्ड अकाऊंटैंसी फर्म को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने मांग की कि एस.जी.पी.सी. की 27 अगस्त को होने वाली कार्यकारिणी की मीटिंग दौरान एस.एस. कोहली एंड एसोसिएट्स के साथ एस.जी.पी.सी. के अनुबंध को समाप्त कर उन्हें भारी जुर्माना करना चाहिए। उनकी आपराधिक लापरवाही व सिख समुदाय की भावनाओं को आहत करने के लिए फर्म के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जानी चाहिए।
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उन्होंने बताया कि एस.जी.पी.सी. के ऑडिट रिकार्ड के संचालन एवं कम्प्यूट्रीकरण के लिए मैसर्स एस.एस. कोहली एंड एसोसिएट्स की चार्टर्ड अकाऊंटैंसी फर्म को सुखबीर सिंह बादल के निर्देशन में 15 जनवरी, 2009 को 3.5 लाख रुपए प्रति माह के हिसाब से कांट्रैक्ट दिया गया था। उनके अनुसार कोहली एंड एसोसिएट्स बादल परिवार के स्वामित्व वाले होटल, ट्रांसपोर्ट और अन्य संबंधित व्यवसायों के ऑडिट की देख-रेख कर रहे हैं। एस.जी.पी.सी. पिछले 10 वर्षों से मैसर्स एस.एस. कोहली और एसोसिएट्स को 10 करोड़ से अधिक का भुगतान कर चुकी है। उन्होंने खुलासा किया कि फर्म द्वारा 2016 के बाद से एस.जी.पी.सी. के प्रकाशन विभाग के रिकॉर्ड का मूल ऑडिट नहीं किया जा रहा था, लेकिन इसके बावजूद फर्म को हर माह भुगतान नियमित रूप से हो रहा था। इसके पीछे क्या कारण रहे होंगे, यह सुखबीर बादल या एस.जी.पी.सी. ही बता सकती है।  इस तरह उक्त फर्म के खिलाफ आपराधिक लापरवाही का मामला बनता है कि उन्हें बिना किसी काम के बड़ी राशि भुगतान के रूप में दी जाती रही है। उल्लेखनीय है कि 2014 में तत्कालीन एस.जी.पी.सी. अध्यक्ष जत्थेदार अवतार सिंह मक्कड़ द्वारा कोहली की फर्म को बर्खास्त कर दिया गया था लेकिन कथित तौर पर सुखबीर सिंह बादल के दबाव और फटकार के कारण रातों-रात बहाल कर दिया गया था। बीर दविंद्र ने कहा कि श्री अकाल तख्त साहिब को सौंपी गई जांच पैनल रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं कि चोरी हुए स्वरूप 267 की बजाय 328 हैं। इससे संबंधित रिकॉर्ड को गलत तरीके से पेश कर गबन किया गया है। जांच पैनल ने एस.जी.पी.सी. के अधिकारियों द्वारा बनाए रिकॉर्ड में चौंकाने वाला अंतर और चूक पाई है। उन्होंने कहा कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब के प्रकाशन विभाग के आंतरिक ऑडिट के संचालन में ऑडिटरों की लापरवाही का भी पता लगाया गया है। 

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ज्ञानी हरप्रीत सिंह सुखबीर बादल से जवाब तलब करें
अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को भी सुखबीर सिंह बादल से जवाब तलब करना चाहिए, क्योंकि उन्होंने एस.जी.पी.सी. में अपने निजी सी.ए. एस.एस. कोहली को  लगाकर  न  केवल  अपने व्यावसायिक हितों को बढ़ावा दिया, बल्कि गुरु की गोलक को चूना लगाया। श्री अकाल तख्त साहिब को सुखबीर सिंह बादल को निर्देश देना चाहिए कि वह श्री हरिमंदिर साहिब में पूरी राशि जमा करें, जो एस.जी.पी.सी. की कोई सेवा किए बिना उनके नेतृत्व में मैसर्स एस.एस. कोहली और एसोसिएट्स द्वारा ली गई थी। 


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