जेल जाने और BJP के साथ समझौते पर पहली बार खुलकर बोले सिमरजीत सिंह बैंस

punjabkesari.in Tuesday, Jul 04, 2023 - 12:44 PM (IST)

जालंधर(रमनदीप सिंह सोढी): पंजाब में जिस भी राजनीतिक पार्टी की सरकार बनी, उसने विकास की बात बाद में पंजाब के कर्ज में डूबे हुए होने की बात पहले कही। कांग्रेस की सरकार आई तो उसने अकाली दल पर कर्ज का बोझ बढ़ाने की बात कही और शिरोमणि अकाली दल-भाजपा गठबंधन की सरकार आई तो उसने कांग्रेस पर कर्ज का बोझ बढ़ाने की बात कही। आरोप सभी राजनीतिक पार्टियों ने लगाए मगर बोझ पहले से ज्यादा बढ़ता गया। लोक इंसाफ पार्टी जालंधर लोकसभा उपचुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी पार्टी रही और भाजपा प्रत्याशी इंद्र इकबाल सिंह अटवाल का खुलकर समर्थन किया। पंजाब के ऊपर कर्ज का बोझ पहले से ज्यादा बढ़ता जा रहा है। जेल जाने और भाजपा के साथ समझौते के मुद्दे पर लोक इंसाफ पार्टी के मुखी सिमरजीत सिंह बैंस ने पहली बार ‘पंजाब केसरी’ के साथ विशेष बातचीत में खुलकर कहा कि पंजाब के सिर चढ़ा कर्जा उतारने में केवल भाजपा ही सक्षम है, बाकी सारी पार्टियां दुहाई रुपए की देती हैं और कर्जा सवा रुपए लेती हैं। पेश हैं सिमरजीत सिंह बैंस के साथ बातचीत के अंश:-

प्र. : पंजाब के मौजूदा हालात को आप कैसे देखते हैं?
उ. : आप लोगों को बिजली मुफ्त दे दो। यह पैरामीटर नहीं है। पैरामीटर यह है कि हमारी ग्रोथ कहां है। पंजाब के सिर पर कर्ज की बात करें तो कांग्रेस और अकाली दल के समय यदि सरकार एक रुपया कर्ज लेती थी तो आम आदमी पार्टी की सरकार सवा रुपया कर्ज लेने की रफ्तार पर चल रही है। यह बात मैं अपने मुंह से नहीं कहता बल्कि ऑन रिकॉर्ड है। दूसरी तरफ पंजाब के स्रोतों (सोर्सिज) व साधनों का इस्तेमाल दूसरे राज्यों में हो रहा है, जैसा कि पहले हिमाचल और गुजरात के चुनाव आ गए। अब राजस्थान के चुनाव आ रहे हैं। पंजाब के स्रोतों का दूसरे राज्यों में जाना पंजाब की बुरी किस्मत इससे बढ़कर क्या हो सकती है। उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति यह बता दे कि पंजाब के सिर पर चढ़े कर्ज के बोझ को उतारने में क्या कांग्रेस या अकाली दल सक्षम हैं। अगर कोई पार्टी यह बोझ उतार सकती है तो वह भारतीय जनता पार्टी ही है। 1997 में मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने किसानों को मुफ्त बिजली दी थी। यदि बात केवल मुफ्त बिजली की ही है तो सरदार प्रकाश सिंह बादल की सरकार कभी जाती ही नहीं।

प्र. : सरकार का कहना है कि यदि हम बुरे थे तो जीतते क्यों? आपका क्या कहना है?
उ. : उपचुनाव तो संगरूर का भी हुआ था। आम आदमी पार्टी को सफलता नहीं मिली थी। अब यह कहना कि उस समय अभी हमने कोई काम नहीं किया था, यह कहना केवल मन रखने की बात है।  किसी नेता का असल स्वभाव और औरा तब सामने आता है जब वह विरोधी पक्ष में होता है। उस समय वह शहीद भगत सिंह का सबसे बड़ा पैरोकार दर्शाने की कोशिश करता है लेकिन उस व्यक्ति की असलीयत तब पता चलती है जब वह सत्ता में आता है। एक तरफ सरकार 29000 नौकरियों की बात करती है और दूसरी तरफ अध्यापकों पर जो हुआ वह सबके सामने है। जितनी नौटंकी और ड्रामेबाजी यह सरकार कर रही है इतनी नौटंकी मैंन अपने 20 साल के करियर में कभी नहीं देखी। 

प्र. : भाजपा के साथ जाने पर कई तीखे सवाल हैं, मतलब आर.एस.एस. बारे आपकी क्या धारणा है?
उ. : भाजपा सिख विरोधी है, ऐसी धारणा फैलाने वाला कौन है? कांग्रेस और अकाली दल। क्योंकि अकाली दल की सोच है कि भारतीय जनता पार्टी हमारी बैसाखियों के बिना अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो सके। इस भ्रांति को फैलाने में सबसे बड़ा योगदान अकाली दल (बादल) जोकि लम्बे समय तक पंजाब की सत्ता पर विराजमान रहा, का रहा है। अगर मुझे भाजपा में सिख विरोधी होने की बात कहीं भी लगी तो वह भाजपा के साथ कभी नहीं जाएंगे। जितना आदर दस्तार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा देती है, यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है। रही बात आर.एस.एस. के बारे में तो मीरी और पीरी का सिद्धांत जो श्री गुरु हरगोङ्क्षबद साहिब जी ने हमें दिया है यह सिद्धांत तो हमारा है, वही भाजपा ने भी अडॉप्ट किया है कि हमारा धर्म मजबूत रहे। हर धर्म के व्यक्ति की यह सोच होती है कि उसका धर्म बुलंदियों पर जाए मगर अफसोस की बात है कि जब सत्ता प्राप्त हुई तो धर्म को नहीं बल्कि अपने परिवार को मजबूत करने की बात हुई। भारत जितना ङ्क्षहदुओं का है उतना ही सिखों का भी है। सिख और हिंदू का नाखून-मांस का रिश्ता है। 

प्र. : अगर अकाली दल-भाजपा साथ मिल गए तो क्या अकालियों के साथ बैठेंगे? 
उ. : अकाली दल ने भाजपा को नुक्कड़ और मोहल्ला पार्टी ही बनाकर रखा और इस प्रोग्राम पर लगातार पच्चीस वर्ष तक काम किया। बात अकालियों के साथ बैठने की नहीं, पंजाब को फायदा कहां से होता है यह देखने वाली बात है। आपका सिद्धांत आपके राज्य और आपके लोगों के उज्ज्वल भविष्य का होना चाहिए। यहां पर राज्य की बेहतरी नहीं होगी, सिमरजीत सिंह बैंस वहां से वापस आ जाएंगे। फिलहाल अभी तो यह केवल क्यास हैं। 

प्र. : आपने भी ‘आप’ के साथ गठबंधन किया था मगर छोड़ा क्यों?
उ. : मैंने 2017 में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन किया था। 3 साल के समय में दिल्ली के मुख्यमंत्री की बड़ी-बड़ी ऑफर मुझे आईं मगर मैंने उनका स्वभाव पंजाब के प्रति परख लिया था। अढ़ाई-तीन साल बाद जब बिक्रम सिंह मजीठिया को क्लीन चिट दी तो बात गले से नहीं उतर रही थी। उनकी सोच केवल पंजाब के स्रोतों का इस्तेमाल करके अपनी पार्टी को देश के अंदर कैसे फैलाना है, उनका केवल एक यही प्रोग्राम है, जिस पर वे काम कर रहे हैं।


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Vatika

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