...तो इसकी राय लेने के बाद दी गई थी डेरा प्रमुख राम रहीम को फरलो

punjabkesari.in Saturday, Apr 09, 2022 - 05:49 PM (IST)

चंडीगढ़ (हांडा): गुरमीत राम रहीम को तीन सप्ताह की फरलो देने के मामले में आए हाई कोर्ट के विस्तृत आदेशों में कहा गया है कि डेरा प्रमुख को फरलो देने से पहले हरियाणा के एडवोकेट जनरल की राय मांगी गई थी जिन्होंने स्पष्ट किया था कि जो अपराध गुरमीत राम रहीम ने किए हैं वह हार्डकोर क्रिमिनल प्रिजनर की श्रेणी में नहीं आते।

विस्तृत आदेशों में कहा गया है कि गुरमीत राम रहीम खिलाफ दुष्कर्म के दो अलग-अलग मामले दर्ज हुए थे जिनमें उसे 10-10 वर्ष की सजा सुनाई जा चुकी है। उसके खिलाफ हत्या के भी दो मामले दर्ज थे जिनमें उसे उम्रकैद की सजा सुनाई जा चुकी है जोकि दुष्कर्म वाली सजा पूरी होने के बाद शुरू होगी। हत्या वाले मामलो में गुरमीत राम रहीम को साजिश रचने का आरोपी पाया गया है जबकि सीधे तौर पर हत्या मामलों में उनकी भूमिका नहीं है। 

डैकेती, लूट, रंगदारी, दुष्कर्म के बाद हत्या, माइनर बलात्कार, किडनैपिंग, फिरौती, नशा स्मगलिंग, ट्रैसपासिंग के समय किसी की मौत होना, आतंकवादी, हत्याकांड या बेरहमी के साथ किसी की हत्या करने जैसे जुर्म हार्डकोर क्रिमिनल की श्रेणी में आते हैं जोकि गुरमीत राम रहीम खिलाफ दर्ज नहीं हैं। जेल में उनका व्यवहार भी उनको फरलो देने के हक में जाता है इसलिए उनको फरलो दे देनी चाहिए। उक्त राय लेने के बाद हरियाणा के पुलिस प्रमुख और डी.जी.पी. जेल को भेजी गई थी और बनती कार्यवाही को कहा था जिसके बाद सारी कानूनी कार्यवाही पूरी करने के बाद ही गुरमीत राम रहीम को तीन सप्ताह की फरलो दी गई थी इसलिए उसने बहुत पहले अप्लाई कर दिया था। कोर्ट ने आदेशों में कहा है कि पंजाब का मतदान गुरमीत राम रहीम की फरलो दौरान था परन्तु मतदान में उसकी भूमिका सामने नहीं आई बल्कि वह डेरे के एक सत्संग भवन में रहा था और 21 दिन बाद वापिस सुनारिया जेल वापस आया था। 

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News Editor

Urmila

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