पराली से दिल्ली तक को घेरने वाली स्मॉग से अब जल्द मिलेगी राहत

punjabkesari.in Friday, Dec 13, 2019 - 11:33 AM (IST)

चंडीगढ़ (विशेष): पंजाब-हरियाणा में पैदा होने वाली धान की पराली से दिल्ली तक को घेरने वाली स्मॉग से अब जल्द राहत मिलने के आसार हैं। आई.आई.टी. मद्रास जल्द ही सुखबीर एग्रो एनर्जी लिमिटेड के साथ इस दिशा में हाथ मिलाने जा रही है। दोनों मिलकर पंजाब-हरियाणा की पराली से बिजली उत्पादन के लिए टैक्नोलॉजी विकसित करेंगे। पंजाब और हरियाणा सालाना 35 मिलियन टन पराली पैदा करते हैं। चूंकि यह गेहूं की पराली की तरह पशुओं के खाने लायक भी नहीं होती इसलिए किसान कोई बेहतर विकल्प न होने के कारण इसे खेतों में ही जला देते हैं। 

पंजाब में करीब 19.7 मिलियन टन और हरियाणा में 15.3 मिलियन टन धान की पराली पैदा होती है और इसमें से 80 प्रतिशत पराली किसान अपने खेतों में खुले तौर पर जला देते हैं। पंजाब सरकार सबसिडी पर हैपी सीडर आदि तो किसान को मुहैया कराती है मगर यह विकल्प कामयाब नहीं हो पाया है। इसका एक बड़ा कारण यह है कि क्रॉप कैलेंडर के तहत किसान को गेहूं की बुआई के लिए धान की पराली को तुरंत खेत से निकालना होता है। ऐसा किसी सूरत में संभव नहीं होता और इस कारण खेत में किसान पराली को जलाने पर मजबूर हैं।

पंजाब में 1560 करोड़ का निवेश करेगा सुखबीर एग्रो एनर्जी लिमिटेड
सुखबीर एग्रो एनर्जी लिमिटेड पंजाब में 1560 करोड़ रुपए का निवेश करने जा रही है। इस संबंध में हाल ही में प्रोग्रैसिव पंजाब इन्वैस्टर्स समिट के दौरान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह से मुलाकात करके विस्तार से जानकारी दी गई है। कंपनी 150-150 करोड़ रुपए की लागत से 10 बायोमास पावर प्रोजैक्ट लगाएगी। इससे 20,000 लोगों को प्लांट ऑप्रेशन, खेतों से पराली की कटिंग, संग्रहण व स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन, लोडिंग-अनलोडिंग जैसे क्षेत्रों में सीधे रोजगार मिलेगा। किसानों को पराली के बदले में 2,500 रुपए प्रति एकड़ मिलेंगे। एम.डी. जसबीर आवला ने बताया कि इसके अलावा कंपनी 30 करोड़ रुपए की लागत से फिरोजपुर में आई.आई.टी. मद्रास के साथ मिलकर अनुसंधान एवं विकास और स्किल डिवैल्पमैंट सैंटर स्थापित करेगी। इसमें पहले साल 100 छात्रों को शॉर्ट टर्म कोर्स कराया जाएगा। आर.एंड डी. सैंटर में आयातित टैक्नोलॉजी पर रिसर्च करके भारतीय परिस्थितियों के मुताबिक टैक्नोलॉजी पर काम होगा, ताकि विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम की जा सके। साथ ही फिरोजपुर में एक सोलर मॉड्यूल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित किया जाएगा। 30 करोड़ रुपए की लागत वाले इस यूनिट में 100 लोगों को सीधे रोजगार मिलेगा।

20 कि.मी. के दायरे पर कलैक्शन सैंटर स्थापित होंगे
सुखबीर एग्रो एनर्जी लिमिटेड के एम.डी. जसबीर सिंह आवला ने बताया कि कई कंपनियों ने इस क्षेत्र में हाथ आजमाने के प्रयास किए मगर बेहतर टैक्नोलॉजी के अभाव में ज्यादातर को नाकामी ही हाथ लगी। उनकी कंपनी पहले से ही उत्तर प्रदेश व पंजाब में ऐसे एक-एक प्लांट का दशक से भी ज्यादा का अनुभव रखती है। 15 मैगावाट के एक भारतीय टैक्नोलॉजी वाले प्लांट की कीमत 100 करोड़ रुपए से भी कम है जबकि उन्होंने विदेश में कई जगह का दौरा करने के बाद डेनमार्क की दो कंपनियों को बेहतर पाया, हालांकि यह करीब भारतीय टैक्नोलॉजी वाले प्लांट से करीब 50 फीसदी महंगा सौदा है। अब डेनमार्क के यह ब्वॉयलर कंपनी अपने बायोमास पावर प्लांट में इस्तेमाल करेगी। देश में अपनी तरह के यह पहले बायोमास प्लांट होंगे। एक प्लांट में 3000-4000 स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा। केंद्र के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत आई.आई.टी. मद्रास के साथ मिलकर कंपनी अब टैक्नोलॉजी का आयात करने की बजाय यहीं पर विकसित करेगी। आवला ने बताया कि पंजाब और हरियाणा में कंपनी 20-20 किलोमीटर के दायरे पर कलैक्शन सैंटर स्थापित करेगी जहां किसानों से मशीनी ढंग से एकत्र की गई पराली को रखा जाएगा। चूंकि यह बेहद ज्वलनशील होती है इसलिए इसकी सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त कंपनी करेगी।

4,000 मैगावाट बिजली का उत्पादन हो सकता है
पंजाब-हरियाणा में इतनी पराली पैदा होती है, जिससे 4,000 मैगावाट बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। पिछले पांच साल में किसानों द्वारा पराली जलाने से 150 बिलियन डॉलर का नुक्सान हो चुका है। पराली जलाने से न केवल भूमि की उत्पादन क्षमता प्रभावित हो रही है बल्कि साथ ही इससे पैदा होती गहरी स्मॉग के चलते जमीन पर सूर्य की उचित रोशनी न पहुंचने के कारण उत्पादन भी कम होता जा रहा है।

फिरोजपुर व जैतो में चल रहे हैं 18-18 मैगावाट के पावर प्लांट
कंपनी फिरोजपुर और उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में पहले ही ऐसे प्लांट पर काम कर रही है। पंजाब में फिरोजपुर और फरीदकोट जिले के जैतो में 18-18 मैगावाट के पराली आधारित पावर प्लांट चल रहे हैं। साथ ही पंजाब सरकार द्वारा पटियाला जिले के जलखेड़ी में 1995 से तैयार बायोमास प्लांट का काम भी उनकी कंपनी को सौंपा गया है। हरियाणा में कैथल व कुरुक्षेत्र में ऐसे ही प्लांट निर्माणाधीन हैं। गौरतलब है कि 15 मैगावाट का एक बायोमास पावर प्लांट दो लाख एकड़ की पराली को खपाने में सक्षम है।

प्रोजैक्ट के लिए फंड उपलब्ध कराएगी सुखबीर एग्रो 
इस बारे में एन.सी.सी.आर.डी. के इंचार्ज प्रोफैसर सत्यरानायणन चक्रवर्ती ने कहा कि इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आई.आई.टी. मद्रास में लैबोरेटरी स्तर के कबस्टर के माध्यम से ट्रायल्स कंडक्ट किए जाएंगे और साथ ही पंजाब में टैक्नोलॉजी डिवैल्पमैंट सैंटर में बॉयलर का प्रोटोटाइप तैयार किया जाएगा। सुखबीर एग्रो द्वारा इस पूरे प्रोजैक्ट के लिए फंड उपलब्ध कराया जाएगा, जिसकी मदद से आई.आई.टी. मद्रास सभी तकनीकी नुक्तों पर काम करेगी, जिसमें प्रोटोटाइप बॉयलर्स के डिजाइन से लेकर मौजूदा बॉयलर्स के अपग्रेडेशन की जरूरतों पर काम किया जाएगा, वहीं सुखबीर एग्रो की टीम बॉयलर्स के ऑप्रेशन से हासिल तकनीकी डाटा को आई.आई.टी. मद्रास को मुहैया करवाएगी।

रिसर्च करने के लिए आई.आई.टी. मद्रास से बेहतर कोई नहीं
सुखबीर एग्रो एनर्जी लिमिटेड के एम.डी. जसबीर सिंह आवला ने बताया कि आई.आई.टी. मद्रास के साथ टैक्नोलॉजी विकास के लिए हाथ मिलाने का बड़ा कारण यह है कि हम विदेश से टैक्नोलॉजी तो ले रहे हैं मगर भारतीय भूमि, वातावरण और परिस्थितियों के मुताबिक और रिसर्च करने के लिए आई.आई.टी. मद्रास से बेहतर कोई नहीं है। आई.आई.टी मद्रास के नैशनल सैंटर फॉर कॉबशन रिसर्च एंड डिवैल्पमैंट के साथ उन्होंने इस मसले पर बात की तो वह रिसर्च व डिवैल्पमैंट गतिविधियों में शामिल होने के लिए सहमत हो गए। सुखबीर एग्रो एनर्जी लिमिटेड न केवल फिरोजपुर में 20-25 करोड़ रुपए की लागत से स्थापित होने वाले अपने सैंटर में पंजाब-हरियाणा की धान पैदावार वाली भूमि की मौसम व वातावरण के मुताबिक रिसर्च करेगी बल्कि उसे आगे रिसर्च के लिए यह डाटा आई.आई.टी. मद्रास को उपलब्ध भी कराएगी, क्योंकि उनके पास इस क्षेत्र की सबसे बेहतरी लैब और उपकरण हैं। इसके लिए उनकी कंपनी आई.आई.टी. को शुरूआत में दो करोड़ रुपए का फंड भी मुहैया कराएगी। समय-समय पर आई.आई.टी. से टीम भी फिरोजपुर के सैंटर में आकर ट्रेनिंग देती रहेगी।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

swetha

Recommended News

Related News