पराली जलाने से निपटने के लिए उच्चतम न्यायालय अपना काम कर रहा है: अदालत

punjabkesari.in Friday, Oct 23, 2020 - 11:23 AM (IST)

नई दिल्लीः पड़ोसी राज्यों पंजाब एवं हरियाणा में पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए उच्चतम न्यायालय अपना काम कर रहा है और अब केंद्र तथा राज्य सरकारों को भी इस दिशा में काम करना होगा । दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को यह टिप्पणी की। पंजाब एवं हरियाणा में पराली जलाए जाने को रोकने के संबंध में तत्काल कदम उठाने का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई से इंकार करते हुये दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी की। 

याचिका में यह दलील दी गयी थी कि पराली जलाने से कोरोना वायरस संक्रमण संबंधी समस्या और बढेगी । दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल एवं न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत ने 16 अक्टूबर को एक समिति का गठन किया जो पराली जलाये जाने से रोकने के आलोक में इन राज्यों द्वारा उठाये गये कदमों की निगरानी करेगी। यह समिति उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम बी लोकुर की अध्यक्षता में गठित की गयी है । उच्च न्यायालय ने कहा कि अगर इस अदालत में भी इस मामले की सुनवाई होगी तो विरोधाभासी आदेश पारित होने का खतरा बन जाएगा। इस टिप्पणी के साथ पीठ ने इस आवेदन का निपटारा कर दिया जिसे सुधीर मिश्रा नामक एक अधिवक्ता ने अदालत में पेश किया था ।

​मिश्र ने 2015 में दायर अपनी मुख्य जनहित याचिका में राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण कम करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया था । मिश्र ने अपने आवेदन में कहा था कि पराली जलाये जाने की घटना से राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण महत्वपूर्ण रूप से बढ़ जायेगा और कोरोना वायरस महामारी के आलोक में स्वास्थ्य समस्यायें और बढ़ेंगी । आवेदन का निपटारा करते हुये अदालत ने मिश्र को यह आजादी दी कि आवश्यकता पड़ने अथवा कठिनाईं उत्पन्न होने पर वह भविष्य में अदालत को संपर्क कर कर सकते हैं । सुनवाई के दौरान अतिरि​क्त सोलिसीटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि खराब वायु गुणवत्ता के कारण बृहस्पतिवार को आसमान में सूर्य नहीं दिखा और खराब वायु गुणवत्ता के कारण राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आपातकाल जैसी स्थिति हो गई है । 


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