हैरानीजनक किंतु सत्य! सरकारी बसों को लगा लाखों का जुर्माना, जानें वजह

punjabkesari.in Monday, May 29, 2023 - 06:35 PM (IST)

जालंधर (नरेंद्र मोहन): ऐसा पंजाब में पहली बार हुआ है, जब सरकारी बसों को भी टैक्स देरी से भरने पर जुर्माना लगा है। पंजाब रोडवेज के बस डिपो होशियारपुर और जालंधर के डिपो एक और दो को क्रमवार 17 लाख रुपए और 52.35 लाख रुपए, कुल 69 लाख रुपए से अधिक का जुर्माना सरकार ने ही लगाया है। तीनों बस डिपो पर बसों की पासिंग समय पर न करवाने के चलते जुर्माना और टैक्स पर ब्याज पड़ा है। आरोप है कि विभाग की डायरेक्टर द्वारा समय पर टैक्स भरने के लिए बजट उपलब्ध करवाए जाने के चलते सरकारी बसों पर ही जुर्माना लगा दिया है।

सरकारी बसों को भी प्रत्येक वर्ष बसों की पासिंग करवानी पड़ती है और स्पेशल रोड टैक्स देना पड़ता है। यह टैक्स प्रति किलोमीटर के हिसाब से तय होता है।  ऐसा संभावित कभी नहीं हुआ जब सरकारी बसों को भी टैक्स न अदा करने के बदले में जुर्माना और उस पर ब्याज लगा हो। देरी होने का नुकसान यह हुआ कि एक तो परिवहन विभाग को यह टैक्स, जुर्माना और ब्याज अदा करना पड़ा और संबंधित बसें भी चल नहीं पाई। जिसका सीधा-सीधा फायदा प्राइवेट बस ऑपरेटरों को हुआ। शहीद भगत सिंह नगर बस के डिपो मैनेजर के द्वारा चंडीगढ़ स्थित डायरेक्टर ट्रांसपोर्ट कम मैनेजिंग डायरेक्टर पनबस को बसों की पासिंग के लिए टैक्स देने का पत्र भेजा गया था।

परंतु उसकी राशि चंडीगढ़ कार्यालय के द्वारा नहीं दी गई जिसके चलते रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी अर्थात आर.टी.ए. होशियारपुर में शहीद भगत सिंह नगर बस डिपो की उन बसों को चलने से रोक दिया गया जिनकी पासिंग नहीं हो पाई और न ही दिन का टैक्स अदा हो पाया। ऐसा भी नहीं कि टैक्स अदा करने में मामूली देर हुई हो बल्कि कई बसों का टैक्स तो 11 महीने तक नहीं अदा किया गया। जिस पर रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी होशियारपुर ने जुर्माने के साथ-साथ ब्याज भी लगाया। जुर्माने की राशि 16,79,897 रुपये थी और उस पर ब्याज 22,000 रुपए लगा और कुल राशि 17 लाख रुपये से अधिक की बन गई।

इससे कुछ दिन पहले जालंधर के डिपो एक और दो की बसों की पासिंग वक्त पर न करवाने के चलते दोनों डिपो को बड़ा जुर्माना लगाया गया। जालंधर बस डिपो एक को 34.98 लाख रुपये और डिपो दो को 17.36 लाख रुपये, कुल मिला कर 52.35 लाख रुपये का जुर्माना और ब्याज लगाया गया। यूनियन के लोगों का आरोप है कि विभाग की डायरेक्टर हर बात को लटका देती है जिसके चलते अनेक मामले विचाराधीन पड़े हैं जबकि पहले अधिकारी देरी नहीं होने देते थे। इस संबंध में जब डायरेक्टर ट्रांसपोर्ट अमनदीप कौर से संपर्क किया गया तो उनका कहना था कि विभाग के पास बजट की व्यवस्था नहीं थी जिसके चलते टैक्स  नहीं भरा जा सका। सरकार का बजट आने के बाद ही विभाग को बजट मिला और फिर राशि अदा की गई।

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News Editor

Paras Sanotra

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