सरकार के हाथ से निकला करोड़ों का टैक्स, रेलवे की मिलीभगत ने ऐसे तोड़ी GST ऑपरेशन की रफ्तार
punjabkesari.in Monday, Jan 30, 2023 - 11:25 AM (IST)

अमृतसर: अमृतसर के रेलवे स्टेशन पर कटिहार एक्सप्रैस के माध्यम से बड़ी संख्या में आए बिना बिल के माल को वापस भेजकर टैक्स माफिया को ऑक्सीजन देने का मामला सामने आया है। इस माल को कब्जे में लेने के लिए एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग के मोबाइल विंग की टीमों ने पूरी योजना के मुताबिक रेलवे पर दबिश दी थी, लेकिन रेलवे के कुछ कर्मियों की मिलीभगत के कारण माल को जी.एस.टी विभाग के हाथ न लगने दिया। इस हरकत के कारण पंजाब सरकार और केंद्र का करोड़ों का नुक्सान हुआ है। ट्रेनों के माध्यम से आने वाला माल ज्यादातर लुधियाना और अंबाला में डिलीवर होने वाला था, वहीं कुछ अमृतसर का माल भी शामिल था।
जानकार लोगों द्वारा क्यास लगाए जा रहे हैं कि इस माल को वहां पर अनलोड इसलिए नहीं किया गया क्योंकि विभागीय तौर पर काफी सख्ती थी और परिस्थितियां टैक्स माफिया के अनुकूल नहीं थीं, इसलिए माल को आगे अमृतसर भेज दिया गया था। उधर, अमृतसर में जी.एस.टी. विभाग को इस बात की सूचना पहले से ही मिल चुकी थी। हाथ से निकल जाने वाले माल में काफी महंगा सामान और तंबाकू की खेप शामिल थी। जी.एस.टी. अधिकारियों ने इसमें 40 नगों को अपने कब्जे में ले लिया लेकिन बड़ी खेप ट्रेन का समय हो जाने के कारण वापस चली गई।
जानकारी के मुताबिक जी.एस.टी. इन्वेस्टिगेशन (मोबाइल विंग) के अधिकारियों को सूचना मिली कि रेलवे स्टेशन पर कटिहार एक्सप्रैस के माध्यम से 350 के करीब नग जिनकी कीमत करोड़ों में बताई जा रही है, बिना बिल के अमृतसर के रेलवे स्टेशन पर आ रहे हैं। इस पर कार्रवाई करते हुए सेल टैक्स विभाग के मोबाइल विंग टीम ने सीनियर ई.टी.ओ कुलबीर सिंह, पंडित रमन कुमार शर्मा व अन्य अधिकारियों के नेतृत्व में रेलवे स्टेशन के इर्द-गिर्द घेराबंदी कर दी। जैसे ही उन्हें ट्रेन के पहुंचने की सूचना मिली तो मोबाइल विंग के अधिकारी वहां पर पहुंच गए। इसमें एक नया मोड़ आते हुए आए हुए माल को रेलवे स्टेशन पर अनलोड ही नहीं होने दिया गया, उल्टा टैक्स माफिया को फायदा दिलाते हुए इस माल को वापस भेज दिया गया।
जी.एस.टी. टीम के मुताबिक गाड़ी की चैकिंग करवाने में जानबूझकर देरी की। मात्र 10 मिनट पहले एक बोगी को खोला गया और बिना लेबर जी.एस.टी. अधिकारियों और कर्मचारियों ने स्वयं कोशिश करके अमृतसर के मात्र 40 नग कब्जे में लिए और बाकी का सामान निकालने का समय नहीं था, यह माल लीज द्वारा आने वाले सिस्टम से आ रहा था। बताया जा रहा है कि रेलवे के कई कर्मियों की मिलीभगत से इस माल को वापस बुक करवा दिया गया ताकि यह सेल टैक्स की गिरफ्त से निकल जाए। रेलवे कर्मियों की इस हरकत के कारण जी.एस.टी. अधिकारियों में रोष की स्थिति पैदा हो गई, क्योंकि यदि माल को पकड़ा जाता इसमें करोड़ों रुपए टैक्स सरकार को मिलने वाला था।
क्या कहता हैं रेलवे का कानून ?
बताना जरूरी है कि रेलवे स्टेशन पर आए हुए माल को चेक करने की जी.एस.टी. विभाग को सीधी परमिशन नहीं है। इसके लिए उन्हें अधिकारियों से अनुमति लेनी पड़ती है, इसमें दो शर्तें शामिल हैं। पहली जो माल लीज पर आता है वह कांट्रेक्टर का होता है। इसके लिए विभाग यानी मोबाइल विंग को पूरी विभागीय अनुमति माल को चेक करने और जब्त करने की है। वहीं दूसरी तरफ केवल रेलवे द्वारा बुकिंग सिस्टम के माध्यम से आने वाली माल को ही अनुमति के आधार पर रोका जा सकता है। माल की वापस निकली हुई खेप लीज वाली थी, जिसे मोबाइल विग को चैकिंग न करवा कर सरकार का नुक्सान हुआ।
यह कहते हैं अधिकारी
इस मामले में जी.एस.टी मोबाइल विंग के सहायक कमिश्नर संदीप गुप्ता एवं सीनियर ई.टी.ओ. कुलबीर सिंह ने बताया कि उन्हें इस रेलवे द्वारा सहयोग न देते हुए माल चैक नहीं करने दिया और बहाने लगाकर टालमटोल करते रहे इतने में ट्रेन निकल गई। मोबाइल विंग ने इस मामले में उच्च अधिकारियों को सूचित कर दिया है। इस मामले में रेलवे के कुछ निचले स्तर पर कर्मियों ने कहा कि रेलवे को ट्रेन के अंदर रखे हुए माल की जानकारी नहीं होती। वहीं रेलवे के सी.पी.एस. रुपिंदर सिंह से कई बार फोन करने और मैसेज भेजने के बावजूद उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
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