Teachers Day: कुछ अलग हैं इस अध्यापक की कहानी, जान आप भी करेंगे सलाम

punjabkesari.in Monday, Sep 05, 2022 - 04:11 PM (IST)

जालंधर(सुमित): बच्चों को पढ़ाई करवाना हर अध्यापक की प्राथमिक जिम्मेदारी है और इसके लिए उनको वेतन भी मिलता है। सभी अध्यापक अपनी ड्यूटी पूरी करने के बाद अपने घरों को चले जाते हैं परंतु एक अध्यापक ऐसा भी है जो अपनी पढ़ाने की ड्यूटी पूरी करने के बाद अपनी अगली ड्यूटी में जुट जाता है और इसके बदले उसको कोई वेतन भी नहीं मिलता है।

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जी हां, हम यहां बात कर रहे हैं सरकारी हाई स्कूल आशाहूर, फिल्लौर के स्कूल इंचार्ज तीर्थ सिंह बासी की। तीर्थ सिंह एक ऐसे अध्यापक है जो सिर्फ़ अध्यापक ही नहीं बल्कि एक डॉक्टर के रूप में भी पूरे गांव में जाने जाते हैं। हालांकि तीर्थ सिंह कोई पेशेवर डॉक्टर नहीं हैं, परंतु उनकी डॉक्टरी किताबें पढ़ने की रुचि व होम्योपैथी के उनके ज्ञान के चलते वे गांव वासियों ,स्कूल विद्यार्थियों या अभिभावकों का प्राथमिक उपचार करने से कभी पीछे नहीं हटते हैं। तीर्थ सिंह बासी एक साइंस टीचर हैं। उन्होंने बी.एस.सी. मैडीकल में शिक्षा प्राप्त की है। उनके दोस्त डॉक्टरी पेशे में चले गए परंतु तीर्थ को बतौर साइंस अध्यापक सरकारी नौकरी मिल गई। इसके बावजूद उनकी डॉक्टरी के प्रति रुचि कम नहीं हुई और उन्होंने डॉक्टरी की किताबें पढ़नी जारी रखी। उन्होंने होम्योपैथिक का अच्छा ख़ासा ज्ञान है। उनका कहना है कि होम्योपैथी की दवाएं ऐसी होती हैं जिससे किसी को कोई साइड इफैक्ट नहीं होता है, पर ये काफी कारगार साबित होती हैं।

तीर्थ सिंह बताते हैं कि वह 1997 से इस स्कूल में पढ़ा रहे हैं परन्तु 2008 में उन्होंने स्कूल समय के बाद या छुट्टी वाले दिन होम्योपैथी से विद्यार्थियों, अभिभावकों या जान पहचान वाले गांववासियों का प्राथमिक उपचार करना शुरू कर दिया। उनके उपचार से पाइल्स व पथरी जैसे रोगों से पीड़ित कई लोग ठीक हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि वह सारी दवाइयां अपनी जेब से पैसे ख़र्च करके लाते हैं। उन्होंने बताया कि महीनेभर में उनके पास क़रीब 25 से 30 पेशेंट आ ही जाते हैं और उनकी सेहत के मुताबिक उनको दवाई दे दी जाती है।अध्यापक का कहना है कि उनकी प्राथमिक ज़िम्मेदारी बच्चों को पढ़ाना है और उसे वह पूरी लगन व मेहनत से निभा रहे हैं। लोगों का प्राथमिक उपचार करना उनका शौक या फिर सेवा भावना है इसके लिए वे ऐसा करते हैं। इसके अलावा उनके स्कूल की पूरी टीम स्कूल को आगे ले जाने के लिए काफ़ी मेहनत करती है ।उन्होंने बताया कि स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ाने, स्कूल की नुहार बदलने के लिए उनकी पूरी टीम ने उनका साथ दिया है। इसके साथ ही उनके परिवार जनों ने भी कभी उनको ऐसी सेवा भावना करने से रोका नहीं जिससे उनको और बल मिलता है।
 


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Content Writer

Vatika

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