वैबसाइट हैकिंग का उद्योग भी तेजी से फैल रहा है, करोड़ों की है आय
punjabkesari.in Monday, May 15, 2023 - 06:33 PM (IST)

जालंधर (नरेन्द्र मोहन): उत्तरी भारत में हैकिंग का उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। गैर-कानूनी हैकिंग को एक तरफ कर दिया जाए तो अथिकल हैकिंग से युवा प्रति माह करोड़ों रुपए कमा रहे हैं। ऐसे युवाओं की संख्या हजारों में है, जो अधिकतर 18 से 30 वर्ष के मध्य आयु के हैं। चंडीगढ़ के युवा हरिंदर सिंह ने बताया कि बड़ी कम्पनियां अपनी वेबसाइट में बग अर्थात खामी ढूंढने वाले को भारी राशि दे रही है।
हरिंदर ने बताया कि वे किसी साइबर अपराधी से पहले वेब कोड की कमी का पता लगाते हैं, जिन बग (खामी) का पहले पता नहीं चल पाया हो उन्हें तलाशना बेहद मुश्किल काम होता है। लिहाजा इस काम के लिए उन्हें हजारों डॉलर की रकम मिलती है। यह एक तरह से एथिकल हैकरों के लिए बड़ी इंसेंटिव होती है। हरिंदर ने हाल ही में सिंगापुर सरकार की वेबसाइट से क्रिटीकल बग यानि खामी बताई, जिसकी एवज में सिंगापुर सरकार ने उन्हें देश के उच्च सम्मान सी 01 एन बैज से सम्मानित किया।
अब बढ़ने लगी है डिजिटल जेबतराशी, चलते चलते दूरी से ही उड़ा रहे है राशी
देश के उत्तरी क्षेत्र में डिजिटल जेबतराशी लगातार बढ़ रही है। ‘ टैप टू पे’ अर्थात संपर्क रहित वायरलेस तकनीक से चल रही मशीनों से लोगों की जेब काटने का शातिर खेल अब चलने लगा है। इसके साथ ही हमदर्दीवश किसी को एक कॉल करने के लिए एक मिनट मोबाइल फोन देना भी मालिक को महंगा पड़ सकता है। ऐसे गिरोह सक्रिय होने लगे हैं, जो कॉल फोर्वार्डिंग के जरिये डेटा चोरी और ऑनलाइन से धन चोरी कर रहे हैं। परन्तु देश में अभी साइबर सुरक्षा का भारी अभाव है, जिसके चलते सिर्फ पांच से दस प्रतिशत लोग ही इसकी शिकायत कर पा रहे हैं। साइबर सिक्यूरिटी मामले में एक्सपर्ट हरिंदर सिंह ने बताया कि हालाँकि इस बात का डाटा नहीं बन पा रहा, परन्तु ऐसे गिरोह सक्रिय है जो अपने साथ ‘ टैप टू पे’ अर्थात संपर्क रहित वायरलेस तकनीक से चल रही मशीन अपने पास रखते हैं और भीड़ भाड़ वाली जगह में उस वायरलेस मशीन का संपर्क जीपे, फोनपे से धन का लेन-देन करने वाले लोगों के मोबाइल के संपर्क में आकर छोटी-छोटी राशि उड़ा रहे हैं।