जिस व्यक्ति की मौत का पुलिसवालों को बनाया आरोपी, 15 साल बाद मिला जिंदा

punjabkesari.in Friday, Jan 22, 2021 - 09:43 AM (IST)

चंडीगढ़ (हांडा): लुधियाना में 15 वर्ष पहले हरदीप सिंह उर्फ राजू नाम के व्यक्ति की हिरासत में मौत के मामले में हुई जांच में उक्त व्यक्ति जीवित मिला था, लेकिन लुधियाना के एडीशनल सैशन जज ने रिपोर्ट के बावजूद आरोपी 3 पुलिसवालों को रिलीफ नहीं दिया। पुलिस वालों ने उक्त जज के आदेशों के खिलाफ हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी जिस पर फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस अरविंद सिंह सांगवान ने लुधियाना के सैशन जज को कानून का पाठ पढ़ाते हुए आदेश दिए हैं कि वह कानून की धारा-438 के तहत सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए 10 फैसलों की जजमैंट को पढ़ें और 30 दिन में चंडीगढ़ ज्यूडिशरी एकैडमी निदेशक को स्नोपसिस जमा करवाएं।

जस्टिस सांगवान ने कहा कि समय-समय पर ज्यूडिशरी एकैडमी में सैशन जजों के लिए विशेष ट्रैनिंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं ताकि किसी के साथ अन्याय न हो सके लेकिन बावजूद इसके इस तरह की न्याय प्रक्रिया चल रही है, जो ङ्क्षचता का विषय है।

कोर्ट ने तीनों पुलिसवालों पर दर्ज एफ.आई.आर. रद्द करने और अन्य निचली अदालतों के सभी आदेशों को खारिज करते हुए तीनों पुलिसवालों को 50-50 हजार रुपए बतौर मुआवजा देने के आदेश दिए हैं जिन्होंने बिना कसूर 15 वर्षों तक अभियोजन की कार्रवाई का सामना किया है।
विवरण के अनुसार हरदीप नाम के एक युवक को पुलिस ने एन.डी.पी.एस. के मामले में गिर तार किया था जो कि कोर्ट में पेश करने ले जाते वक्त पुलिस की हिरासत से फरार हो गया था। कुछ दिन बाद एक अज्ञात शव कुएं से मिला था जिसे हरदीप का बताते हुए उसके पिता ने कोर्ट में केस दायर कर पुलिस के खिलाफ उनके बेटे की हिरासत में हत्या करने का आरोप लगाया था।

मामले की जांच ए.डी.जी.पी. की अगुवाई में बनी टीम ने की थी जिसमें पाया गया कि शव किसी और का था जबकि हरदीप जीवित है। पुलिस ने कोर्ट में एफ.आई.आर. कैंसिल करने की अर्जी भी दाखिल कर दी थी लेकिन निचली कोर्ट ने तीनों पुलिसवालों को रिलीफ नहीं दिया बल्कि 2017 में तीनों पुलिसवालों को स मन जारी कर दिए जिसे पुलिसवालों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

 


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Tania pathak

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