1965 के युद्ध की दास्तां, जब एक माह तक खाली हो गया था पंजाब का यह इलाका

punjabkesari.in Saturday, Sep 06, 2025 - 07:37 PM (IST)

फाजिल्का (सुखविंदर थिंद) : भारत-पाकिस्तान के बीच वर्ष 1965 में हुए युद्ध की दास्तां सुनाई जाती है तो सभी के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। युद्ध के प्रत्यक्षदर्शी लीलाधर शर्मा ने बताया कि 6 सितंबर 1965 को सायं अपने दोस्तों के साथ सुंदर आश्रम की छत पर खेल रहे थे, तब एक पाकिस्तानी हवाई जहाज मंदिर के गुंबद से टकराता हुआ फाजिल्का के ऊपर से गुजरा। उसके तुरंत बाद ही सीमा की तरफ से गोलियों की आवाजें सुनाई दी। घरों की खिड़कियां-दरवाजे हिलने लगे। लोगों में भगदड़ मच गई और दुकानें फटाफट बंद होने लगीं। तोपों व टैंकों की गोलीबारी से आकाश लाल होकर गूंजने लगा।

लीलाधर शर्मा ने बताया कि उस समय घरों में रात्रि के खाने की तैयारी चल रही थी, लेकिन लोग भूखे-प्यासे ही घरों से निकलकर अबोहर-मलोट रोड पर सुरक्षित स्थानों के लिए भागने लगे। उन दिनों दोपहिया वाहन व कारें बहुत कम होती थीं, जिस कारण लोग पैदल, साइकिलों, घोड़ा-गाड़ी व ट्रैक्टर-ट्रालियों से सुरक्षित स्थानों की तरफ जाने लगे। 7 सितंबर 1965 को पूरा फाजिल्का नगर और सीमावर्ती गांव खाली हो गए, सिर्फ नाम मात्र ही लोग यहां रह गए। लगभग एक माह तक यह इलाका वीरान रहा।

उसी रात फाजिल्का से बठिंडा जाने वाली रेलगाड़ी हजारों यात्रियों से भरी हुई थी। पाकिस्तानी हवाई जहाज ने गोले से गाड़ी को उड़ाने की कोशिश की, परंतु रेलगाड़ी चालक भगवान दास की होशियारी से बड़ा हादसा टल गया। सरकार ने बाद में ड्राइवर को सम्मानित भी किया। 6 सितंबर को आज ही के दिन भारत-पाकिस्तान के बीच यह लड़ाई शुरू हुई थी। उस समय के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री भी जवानों का हौसला बढ़ाने के लिए पहुंचे थे।


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Content Editor

Subhash Kapoor

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