पंजाब में एक बार फिर से थमेंगे बसों के पहिए, रोडवेज यूनियनों ने किया यह ऐलान
punjabkesari.in Saturday, Jul 05, 2025 - 06:05 PM (IST)

पट्टी (सोढ़ी) : पंजाब रोडवेज, पनबस और पीआरटीसी के कच्चे मुलाजिमों ने 9 मई से चक्का जाम करने का ऐलान किया है। यूनियन नेताओं ने कहा कि सरकार और विभाग ने मांगें मानने के बाद भी लागू नहीं कीं। अब 10 जुलाई को मुख्यमंत्री की कोठी के बाहर पक्का धरना दिया जाएगा। डीपो प्रधान वजीर सिंह जोणके ने कहा कि जब भी राज्य या देश पर संकट आता है, चाहे दंगे हों, बाढ़ हो, कोरोना हो या अब युद्ध का माहौल हो, कच्चे मुलाजिमों को फ्रंटलाइन ड्यूटी पर लगाया जाता है। जान की परवाह किए बिना सरकार का साथ दिया जाता है। फिर भी सरकार किसी अनहोनी पर इनकी सुध नहीं लेती। कोरोना में एंबुलेंस चलाने वाले साथी की मौत पर भी कुछ नहीं मिला। इसके बावजूद मुलाजिम देश के साथ खड़े हैं। सरकार और विभाग को अब अनदेखी बंद करनी चाहिए।
सेक्रेटरी गुरबिंदर सिंह गिल ने बताया कि 1 जुलाई 2024 को मुख्यमंत्री ने मीटिंग कर कमेटी बनाकर एक महीने में ट्रांसपोर्ट विभाग की अलग पॉलिसी बनाने का फैसला किया था। लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकला। उल्टा ठेकेदारों ने ई पी एफ, ई इस आई और ग्रुप इंश्योरेंस जैसे लाभ देने की बजाय 11-12 करोड़ रुपए की लूट की है। हर मीटिंग में ट्रांसपोर्ट मंत्री ने मांगें मानने का भरोसा दिया, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
9 अप्रैल 2025 को ट्रांसपोर्ट मंत्री, एडवोकेट जनरल और वित्त मंत्री ने कहा था कि 15 दिन में कैबिनेट में पॉलिसी लाकर कच्चे मुलाजिमों को पक्का किया जाएगा। आउटसोर्स मुलाजिमों को कॉन्ट्रैक्ट पर लिया जाएगा। ठेकेदारों को हटाया जाएगा। आउटसोर्स भर्ती बंद करने और सरकारी बसें लाने के आदेश भी दिए गए। लेकिन अब बिना एग्रीमेंट के काम चलाया जा रहा है। हर महीने तनख्वाह में कटौती हो रही है। रिश्वत लेकर भर्ती की जा रही है। सरकारी बसों की जगह किलोमीटर स्कीम के तहत प्राइवेट बसें चलाई जा रही हैं। विभाग करोड़ों की लूट करवाने की तैयारी में है। यूनियन इसका सख्त विरोध करती है। प्रदेश नेता सतनाम सिंह ढिल्लो ने कहा कि अगर मांगें नहीं मानी गईं या कोई जबरदस्ती की गई, जैसे कि अवैध आउटसोर्स भर्ती या किलोमीटर स्कीम की बसें चलाई गईं, तो तुरंत संघर्ष होगा। अगर 9 मई तक हल नहीं निकला, तो 9, 10 और 11 जुलाई को तीन दिन की हड़ताल होगी। 10 जुलाई को मुख्यमंत्री की कोठी के बाहर धरना दिया जाएगा। अगर फिर भी मांगें नहीं मानी गईं, तो अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी।