बुजुर्ग मरीज को डॉक्टर ने इलाज के लिए ऐसे किया परेशान, स्वास्थ्य विभाग ने लिया एक्शन
punjabkesari.in Saturday, Feb 26, 2022 - 09:02 PM (IST)

अमृतसर (दलजीत शर्मा): आयुष्मान भारत सरबत सेहत बीमा योजना के अंतर्गत दिव्यांग बुजुर्ग मरीज को पिछले 9 महीने से इलाज के लिए बार-बार बुलाकर परेशान करने वाले सिविल अस्पताल के डॉक्टर के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग विभाग ने कार्रवाई की है। मरीज के परिजन द्वारा डॉक्टर पर लगाए गए 2 आरोपों में एक आरोप साबित हो गया है। इससे पहले अस्पताल प्रशासन द्वारा गठित जांच बोर्ड ने कसूरवार डॉक्टर को बचाने के लिए पूरा जोर लगाया परंतु सिविल सर्जन डॉ. चरणजीत सिंह के दखल के बाद पीड़ित मरीज को इंसाफ मिला है। उच्च अधिकारी की दखल के बाद जांच बोर्ड के ऊपर अस्पताल के सीनियर मेडिकल अधिकारियों ने दोबारा गहनता से जांच करके डॉक्टर को मरीज के इलाज के दौरान ढील दिखाने में कसूरवार पाया है।
जानकारी के अनुसार सुरेंद्र कुमार (62) निवासी छेहरटा को घुटनों में तकलीफ थी। उनके पुत्र रघु ने आरोप लगाया था कि आर्थो डॉ. सुनील महाजन ने आयुष्मान कार्ड के आधार पर उनका उपचार नहीं किया। उसने 85 हजार रुपए की मांग की। रुपए न देने की सूरत में 7 माह तक हमें टालता रहा। पिछले वर्ष 23 जून को आर्थो विभाग के डॉक्टर ने उन्हें अस्पताल में दाखिल होने को कहा। मरीज द्वारा आयुष्मान कार्ड दिखाने पर डॉक्टर ने इस योजना के तहत उपचार करने से मना कर दिया और कहा कि 85 हजार रुपए का प्रबंध करो। डॉक्टर ने मरीज को घर भेज दिया। इसके बाद वह कई बार डॉक्टर से मिले लेकिन उन्होंने पैसों की ही मांग की। यही नहीं डॉक्टर ने उनकी फाइल का नंबर भी मिटा दिया।
शिकायतकर्त्ता ने इस मामले की जानकारी सिविल अस्पताल के एस.एम.ओ. को दी और घुटनों का आपरेशन करवाने की गुहार लगाई। सिविल अस्पताल में ही कार्यरत आप्थेलेमिक आफिसर व इंप्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन राकेश शर्मा ने भी आरोपों की जांच करने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि आयुष्मान कार्ड धारकों के साथ ऐसा सलूक करने वालों डाक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। अस्पताल प्रशासन ने मामले की जांच के लिए 3 डॉक्टरों पर आधारित कमेटी का गठन किया था।
अस्पताल प्रशासन द्वारा मामले की जांच के लिए 3 डॉक्टरों वाली कमेटी का गठन किया। कमेटी में शामिल डॉक्टरों ने चुनाव का हवाला देते हुए रिपोर्ट में देरी की। अब रिपोर्ट दी तो उसमें डाक्टर को कसूरवार नहीं माना। असल में जांच कमेटी में शामिल डॉक्टरों ने आर्थो डाक्टर को बचाने का प्रयास किया गया। जांच रिपोर्ट देखकर सिविल सर्जन डॉ. चरणजीत सिंह ने जायजा लिया। जिसके बाद अस्पताल के सीनियर मेडिकल अधिकारी डॉ. चंद्रमोहन तथा डॉ. राजू चौहान ने दोबारा अपने सामने शिकायतकर्ता के बयान लिए तथा रिपोर्ट बनाई उसके बाद सिविल सर्जन को दोबारा मामले की रिपोर्ट भेजी गई। इसमें डॉक्टर इलाज के दौरान कसूरवार पाया गया
समाज सेवक जय गोपाल लाली तथा राजेंद्र शर्मा राजू ने कहा कि अक्सर ही मरीज डॉक्टरों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाते हैं। परंतु विभाग द्वारा गठित बोर्ड के मेंबरों द्वारा डॉक्टरों के बचाव के लिए प्रयास किए जाते हैं। उपरोक्त मामला ताजा है इस मामले का विभाग को जायजा लेना चाहिए तथा बोर्ड में जो कसूरवार डॉक्टर को बचाने का प्रयास करते दिखाई दिए हैं उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह दूसरे डॉक्टरों के लिए भी एक नसीहत होगी ताकि वह आम जनता को सरकारी सेहत सेवाओं से दूर न कर पाए।
सिविल सर्जन डॉक्टर चरणजीत सिंह ने बताया कि 7 माह तक मरीज इलाज के लिए भटकता रहा, पर डाक्टर ने इलाज नहीं किया। यह एक गंभीर विषय है। आर्थो डाक्टर सुनील महाजन पर यह आरोप तो साबित नहीं हुए कि उसने 85 हजार की मांग की थी, पर इलाज में देरी तो हुई। डॉ. चरणजीत सिंह ने कहा कि मरीज के इलाज में लापरवाही असहनीय है। यदि डॉक्टर ने पैसों की मांग की थी, इसकी भी जांच की जा रही है। जिन डाक्टरों ने जांच की यदि उनकी रिपोर्ट में पारदर्शिता नहीं, तो वह भी कार्रवाई के घेरे में हैं। बहरहाल आर्थो डाक्टर के खिलाफ कार्रवाई के लिए स्वास्थ्य विभाग के डायरेक्टर को लिखा है।
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