व्यापारियों के चेहरों पर आई रौनक, अटारी सीमा पर फिर शुरू हुआ व्यापार
punjabkesari.in Tuesday, Oct 14, 2025 - 05:46 PM (IST)
अमृतसर (आर. गिल): अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्ताकी के हालिया भारत दौरे ने पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में व्यापारिक हलचल पैदा कर दी है। तालिबान शासन के उच्चतम अधिकारी के रूप में मुत्ताकी का यह पहला आधिकारिक दौरा न केवल द्विपक्षीय संबंधों में नया मोड़ लाया है, बल्कि अमृतसर के आयातकों और व्यापारियों को अटारी-वाघा सीमा पर बंद पड़े कारोबार को पुनर्जीवित करने की उम्मीद बंधा गया है। तालिबान विदेश मंत्री के दौरे से व्यापारियों में जोश भर गया है और अटारी सीमा पर फिर व्यापार की घंटियां गूंजेंगी। दौरे के दौरान भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ हुई चर्चाओं में व्यापार, पारगमन सुविधाओं और क्षेत्रीय सहयोग पर गहन बातचीत हुई, जिससे स्थानीय व्यापार समुदाय उत्साहित है। मुत्ताकी का 9 से 16 अक्तूबर तक चला यह दौरा संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध समिति से मिली विशेष छूट के बाद संभव हुआ।
उन्होंने नई दिल्ली में भारतीय नेताओं से मुलाकात के अलावा उत्तर प्रदेश के दारुल उलूम देवबंद का भी दौरा किया, जहां उन्होंने इस्लामी शिक्षा केंद्र के उलेमा के साथ भेंट की और भारत-अफगानिस्तान के ऐतिहासिक रिश्तों की सराहना की। हालांकि, प्रस्तावित आगरा यात्रा (ताजमहल दर्शन) अचानक रद्द हो गई, जिसका कारण स्पष्ट नहीं हुआ, लेकिन सुरक्षा एजैंसियां सतर्क हो गईं। मुत्ताकी ने देवबंद में कहा कि भारत और अफगानिस्तान के रिश्ते उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर हैं। देवबंद जैसे केंद्रों से हमारी सांस्कृतिक जड़ें मजबूत हैं।
अमृतसर के व्यापारियों के लिए यह दौरा विशेष रूप से महत्वपूर्ण
अमृतसर के व्यापारियों के लिए यह दौरा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि अटारी-वाघा सीमा अफगानिस्तान के साथ भारत का एकमात्र जमीनी व्यापारिक द्वार है। अफगानिस्तान के पास अपना कोई समुद्री बंदरगाह न होने के कारण यह रूट उसके लिए जीवनरेखा का काम करता है।
कन्फैडरेशन ऑफ इंटर नैशनल चेंबर ऑफ कॉमर्स (सी.आई.सी.सी.) के पूर्व अध्यक्ष और स्थानीय फल आयातक राजदीप सिंह उप्पल ने बताया कि मुत्ताकी के दौरे से हमें भरोसा हुआ है कि आयात फिर पटरी पर लौटेगा। पिछले पांच महीनों से बंद इस सीमा ने हमारे कारोबार को ठप कर दिया था। अगर चाबहार बंदरगाह के रास्ते वैकल्पिक मार्ग मजबूत हो जाएं तो अफगान सूखे मेवे, फल और नट्स का आयात सस्ता व तेज होगा।
'ऑप्रेशन सिंदूर' के बाद अटारी सीमा पर व्यापार पूरी तरह ठप्प
याद रहे, अप्रैल 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ 'ऑप्रेशन सिंदूर' चलाया, जिसके परिणामस्वरूप अटारी सीमा पर व्यापार पूरी तरह ठप्प हो गया। इससे पहले, इस रूट से सालाना लगभग 3,886 करोड़ रुपए का कारोबार होता था, जिसमें अफगानिस्तान से आने वाले किशमिश, बादाम, पिस्ता व अन्य सूखे मेवे प्रमुख थे। सीमा बंदी के कारण भारतीय बाजार में इन उत्पादों की कीमतें 25-30 प्रतिशत तक उछल गईं। मुत्ताकी के दौरे से ठीक पहले मई में जयशंकर की उनसे फोन वार्ता के बाद 160 अफगान ट्रकों को विशेष अनुमति देकर अटारी से प्रवेश दिया गया था, जो इस दिशा में सकारात्मक कदम था।
तालिबान शासन से व्यापार बढ़ने से क्षेत्रीय स्थिरता भी होगी मजबूत
व्यापारियों का मानना है कि तालिबान शासन के साथ भारत का व्यावहारिक जुड़ाव बढ़ने से न केवल आर्थिक फायदे होंगे, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता भी मजबूत होगी। उप्पल ने कहा कि ऑप्रेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने अफगान ट्रकों को रोकना शुरू कर दिया था, लेकिन अब भारत-अफगानिस्तान के बीच सीधी बातचीत से यह समस्या हल हो सकती है। हम चाबहार पोर्ट को मुख्य रास्ता बनाने की मांग कर रहे हैं, जो ईरान के सहयोग से संभव है। स्थानीय स्तर पर अटारी इंटीग्रेटेड चैक पोस्ट (आई.सी.पी.) के आस-पास के मजदूर, कस्टम एजैंट और ट्रक ड्राइवर भी इस उम्मीद से उत्साहित हैं, क्योंकि पहले यहां प्रतिदिन 40-50 अफगान वाहन आते थे।
मुत्ताकी का दौरा भारत की 'व्यावहारिक कूटनीति' का प्रतीक
भारत ने 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान को मानवीय सहायता के रूप में 50,000 टन गेहूं, 330 टन दवाएं और अन्य जरूरी सामग्री भेजी है। मुत्ताकी ने अपनी यात्रा में व्यापारियों के साथ एफ.आई.सी.सी.आई. के आयोजन में भाग लिया और वीजा सुविधाओं तथा कैदियों की रिहाई जैसे मुद्दों पर बात की। विशेषज्ञों का कहना है कि यह दौरा पाकिस्तान के लिए झटका है, जो काबुल पर अपना प्रभाव बनाए रखना चाहता है।
कुल मिलाकर, मुत्ताकी का दौरा भारत की 'व्यावहारिक कूटनीति' का प्रतीक है, जो सुरक्षा चिंताओं के बीच आर्थिक अवसरों को प्राथमिकता दे रही है। अमृतसर के व्यापारी अब अटारी पर फिर से व्यस्तता की बेला की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जहां सिंदूर पूर्व के दिनों की तरह व्यापार की रौनक लौटने की आस बंधी है।
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