दुनिया में अलग पहचान बनाने का सपना देखने वाले इस मशहूर Youtuber की दर्दनाक मौत

punjabkesari.in Wednesday, Aug 03, 2022 - 09:39 AM (IST)

पिंजौर(रावत) : दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाने के लिए यूट्यूबर क्या कुछ नहीं करते। उनका एक ही लक्ष्य होता है अपने सपने को पूरा करना। ऐसा ही एक शख्स था केरल का रहने वाला अनस। अनस लगभग दो माह पहले कन्याकुमारी से कश्मीर तक स्केटिंग बोर्ड पर निकले थे। केरला त्रिवेदंरम के गांव वन्जारमूड के रहने वाले 31 वर्षीय अनस मगंलवार सुबह करीब साढ़े 7 बजे पिंजौर-नालागढ़ हाईवे पर गांव गरीडा के पास अज्ञात वाहन की चपेट में आ गए। हादसे में उनकी मौत हो गई। सूचना मिलने पर पिंजौर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और जांच करने के बाद मामला दर्ज किया। वहीं, पिंजौर थाने से ए.एस.आई. रामकरण ने बताया कि शव को कालका अस्पताल में मोर्चरी रखवा दिया गया है। अनस के परिजनों को सूचना दे दी गई है। उनके आने के बाद पोस्टर्माटम होगा जिसके बाद कार्रवाई की जाएगी।

29 मई को कन्याकुमारी से की थी सफर की शुरूआत
बी.एससी. कंप्यूटर साइंस का छात्र अनस करीब 3 साल से स्केटिंग बोर्ड पर ही सफर कर रहा था।  अनस ने कुछ माह पहले उत्तराखंड के देहरादून, मंसूरी व आसपास के एरिया में स्केटिंग बोर्ड पर ही सफर किया था परन्तु अब उसमें इससे भी ’यादा लबा सफर तय करके दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाने का जनून सवार था। अपनी अलग पहचान बनाने के लिए अनस ने अपना सबसे लंबा सफर कन्याकुमारी से कश्मीर तक स्केटिगं बोर्ड पर करने की ठान ली और 29 मई को सुबह 8 बजे कन्याकुमारी से अपने स्केटिंग बोर्ड से सफर की शुरूआत की।

दोस्तों ने बताया
अनस ने यह सफर तीन महीने में पूरा करने का लक्ष्य रखा था

केरला में अनस के दोस्तों के मुताबिक उसने अपना यह पूरा सफर करीब तीन महीने में पूरा करने का लक्ष्य रखा था। कन्याकुमारी से पंजाब तक करीब 11 राज्यों से होकर लगभग तीन हजार किलोमीटर का सफर तय कर लिया था। इसमें सबसे पहले तमिलनाडू, कर्नाटका, आंध्रा प्रदेश, तेलगांना, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राज्यस्थान, दिल्ली, हरियाणा और पजांब राज्य भी शामिल हैं। दोस्तों ने बताया कि पंजाब के बाद शिमला की ओर लेह लद्दाख, कुल्लू से होते हुए कश्मीर की ओर जाना था। 

एक दिन में करता था 50 किलोमीटर का सफर
स्केटिंग बोर्ड पर अनस एक दिन में 50 किलोमीटर का सफर तय कर रहा था। रास्ते में लोगों की दुकानों पर ही आराम करता और कई जगह पर तो लोग उसके लिए रात को ठहरने और खाने का भी प्रबंध करते थे। कन्याकुमारी से पंजाब तक तो रास्ते में कोई दिक्कत नहीं हुई, क्योंकि अधिकतर सड़क पर ढलान थी परन्तु पिंजौर से आगे पहाड़ी क्षेत्र शुरू होता है। इस सफर के लिए भी वह तैयार था। जहां पर कुछ पहाड़ी या फिर ट्रैफिक जाम की समस्या रहती, वहां से वह स्केटिंग बोर्ड हाथ में पकड़कर पैदल चल पड़ता था।


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Vatika

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