नगर सुधार ट्रस्ट की जमीन पर प्रशासन की नाक तले बन गई 2 मंजिला दुकान

punjabkesari.in Wednesday, Nov 01, 2017 - 02:04 PM (IST)

पठानकोट (शारदा): पठानकोट नगर में अवैध कब्जे किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। शामलात जमीनों/कूलों, कार्पोरेशन तथा नगर सुधार ट्रस्ट के भू-रकबों पर समय-समय पर कब्जे दबंगों व प्रभावशाली लोगों द्वारा किए गए हैं और उन पर निर्माण भी हुआ है। परिणामस्वरूप नगर एक बेहुदा कंक्रीट का ऐसा स्थान बनता जा रहा है जहां मामूली-सी बारिश होने पर इन कब्जों के चलते आधा शहर जल समाधि ले लेता है।

कब्जा धारकों व राजनीतिज्ञों का चोली-दामन जैसा साथ
सर्वविदित तथ्य यह है कि कब्जाधारकों व राजनीतिज्ञों का आपस में चोली-दामन जैसा साथ रहा है। किसी भी पार्टी की सरकार सत्ता में क्यों न हो अवैध कब्जे व निर्माण कहीं भी आसानी से देखे जा सकते हैं। पिछले वि.स. चुनावों से पहले नगर सुधार ट्रस्ट की ओर से ट्रस्ट कार्यालय के सामने मानव काम्पलैक्स के पाश्र्व भाग में 3 दुकानों के निर्माण को लेकर कड़ा संज्ञान लिया गया था। 

इन अवैध दुकानों को गिराने के लिए नोटिस भी निकाले गए थे परंतु किसी भी प्रकार की कोई ठोस कार्रवाई होती नजर नहीं आई है। स्थिति उस समय और गंभीर हो गई जब सरकार ने पी.पी. एक्ट के अधीन केस दायर किया कि इन अवैध निर्माणों को वहां से हटाया जाए। इसके लिए चेयरमैन-कम-जिला उपायुक्त ने नगर सुधार ट्रस्ट के ई.ओ. मनोज शर्मा को इस मामले में अधिकृत करके इन केसों को लडऩे का दायित्व सौंपा।

जब इस संबंध में विशेषज्ञों से राय ली गई तो उन्होंने समूचे प्रकरण के लिए नगर सुधार ट्रस्ट की कार्यप्रणाली पर ही सवाल खड़े कर दिए। जानकारों का मानना है कि जब यह स्पष्ट था कि उपरोक्त भू-रकबा नगर सुधार ट्रस्ट का है व वहां टयूबवैल स्थापित है तो ऐसे में करोड़ों रुपए की बहुमूल्य जमीन पर हुए अवैध निर्माण का मामला सामने 

आखिर क्यों नहीं की गई विभागीय कार्रवाई? 
जब ट्रस्ट को शक्तियां प्राप्त हैं कि बिना नक्शे के किसी भी निर्माण को हटाया जा सकता है तो फिर इतनी देरी क्यों? वहीं दूसरी ओर यह तथ्य भी हास्यास्पद है कि शनिवार व रविवार को अवकाश के दौरान अवैध निर्माण व लैंटर डाल दिया गया। जबकि इस संबंध में एक अधिकारी ने ई.ओ. तक को रिपोर्ट पेश कर दी तो इसके बावजूद इन निर्माणों को हटाने में इतना समय कैसे लग रहा है। 

ऐसे में स्पष्ट है कि ट्रस्ट के कर्मचारी दबाव में हैं। अब यह किसका दबाव उन पर है यह तो या निगम प्रशासन जानता है या भगवान, परन्तु जनता का मानना है कि स्वच्छ राजनीति व भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने का दावा करने वाले मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह तथा उनके साथ इस संसदीय क्षेत्र से विजयी हुए एम.पी. सुनील जाखड़ के लिए यह एक चुनौती है कि वे ऐसे अवैध निर्माण को लेकर क्या स्टैंड लेते हैं। 
जनता पूरी फिल्मी चलती देख रही है अब सरकार के आगे निर्णय लेने से स्थिति पूरी तरह साफ हो जाएगी।


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