प्राथमिक शिक्षा की काया पलट देंगे एन.आर.आई.

punjabkesari.in Friday, Mar 24, 2017 - 11:15 AM (IST)

जालंधर (स.ह.): हाल ही में हुए पंजाब विधानसभा चुनाव आप्रवासी भारतीयों की सक्रियता के लिए भी याद किए जाएंगे। आप्रवासी भारतीयों की यह सक्रियता अपनी-अपनी पार्टी के पक्ष में थी परन्तु आखिर में कांग्रेस के आप्रवासी समर्थक इस समय अधिक खुश नजर आ रहे हैं क्योंकि सत्ता पर कांग्रेस काबिज हुई है। आम आदमी पार्टी के आप्रवासी समर्थकों के मुकाबले में कांग्रेस आप्रवासी समर्थक भी अपनी धरती पर आए और पार्टी के पक्ष में प्रचार किया। अब राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद ये आप्रवासी पंजाबी सरकार से क्या उम्मीदें लगा कर बैठे हैं, इस बारे में इंडियन नैशनल ओवरसीज कांग्रेस यू.एस.ए. के चेयरमैन शुद्ध प्रकाश सिंह ने पंजाब में पंजाब केसरी के साथ खास बातचीत की। 

सवाल-नई सरकार से आप्रवासियों को क्या उम्मीदें हैं? 
जवाब-आप्रवासी भारतीय होने के नाते हमारा अपनी मिट्टी के साथ मोह है और यह मोह हमें पंजाब खींच लाता है। लिहाजा हम सबसे पहले तो पंजाब की भलाई और उसकी खुशहाली की उम्मीद रखते हैं, परन्तु विदेशों में रहते आप्रवासी भारतीयों की भी कई समस्याएं हैं जिनका हल आप्रवासी भारतीयों की सलाह के साथ ही किया जा सकता है। लिहाजा मुख्यमंत्री के साथ एक सलाहकार आप्रवासी भारतीय भी बनाया जाना चाहिए। यह सलाहकार मुख्यमंत्री को आप्रवासी भारतीयों की असली समस्याओं के बारे में जानकारी दे सकता है और उन समस्याओं के हरसंभव हल को लेकर सुझाव दे सकता है। अपनी अमरीका की यात्रा के दौरान कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने आप्रवासी भारतीयों का मंत्रालय अपने पास रखने की बात कही थी, जिसके चलते आप्रवासी भारतीयों में खुशी की लहर थी क्योंकि कैप्टन अमरेंद्र सिंह तजुर्बेकार नेता हैं और वह आप्रवासियों के मसले हल कर सकते हैं। 

सवाल-पंजाब के विकास के लिए एन.आर.आई. कैसा सहयोग दे सकते हैं? 
जवाब-हमने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह से मुलाकात की और उन्हें एन.आर.आई. ग्लोबल फंड की पेशकश की। यह पेशकश करने से पहले आप्रवासी भारतीयों ने अर्थशास्त्रियों के साथ विचार-विमर्श किया है। हम चाहते हैं कि 700 करोड़ रुपए का एक ग्लोबल एन.आर.आई. फंड बनाया जाए। इस फंड से मिलने वाले ब्याज का पैसा ही पंजाब में प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में खर्च किया जाए। इस समय पंजाब में प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में काम करने की जरूरत है क्योंकि गांवों में सरकारी स्कूलों के हालात खस्ता हो चुके हैं। विदेशों में रह रहे आप्रवासी भारतीय पंजाब के स्कूलों के सुधार के लिए काम करना चाहते हैं परन्तु उनके पास कोई प्लेटफार्म नहीं है।

अगर सरकार आप्रवासी भारतीयों की इस पेशकश पर विचार करे तो शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाई जा सकती है क्योंकि 700 करोड़ रुपए के बैंक डिपॉजिट पर 8 प्रतिशत की दर के साथ ब्याज की रकम हर साल 56 करोड़ रुपए बनती है और 56 करोड़ रुपए के साथ हर साल सैंकड़ों स्कूलों की काया पलट की जा सकती है। हम खुद अपने पारिवारिक ट्रस्ट के द्वारा अबोहर के स्कूलों में ऐसा काम पिछले 20 साल से कर रहे हैं। आप्रवासी भारतीय जितनी रकम की ग्लोबल फंड स्थापित करने की पेशकश कर रहे हैं उतना पंजाब के बड़े शहरों के नगर निगमों का बजट भी नहीं है। जालंधर में नगर निगम का पिछले साल का बजट 603 करोड़ रुपए था जबकि अमृतसर का बजट 658 करोड़ था। 

सवाल- आम आदमी पार्टी को मिला आप्रवासियों का समर्थन वास्तव में था या यह पेड मुहिम थी? 
जवाब- विदेशों में रहते वही आप्रवासी आम आदमी पार्टी के साथ थे जो कांग्रेस और अकाली दल दोनों पाॢटयों से नाराज थे और वे तीसरे पक्ष को मौका देने के इच्छुक थे। इन समर्थकों में बड़ी संख्या नौजवानों की थी जबकि सुलझे हुए और तजुर्बेकार एन.आर.आई. कांग्रेस के समर्थन में ही थे। आम आदमी पार्टी को सिख कट्टरपंथियों का भी समर्थन था जिन्होंने विदेशों में आम आदमी पार्टी के हक में पेड मुहिम चलाई। इनमें कई लोग ऐसे भी थे जिनकी पृष्ठभूमि देश विरोधी रही है। 

सवाल- क्या एन.आर.आई. प्रॉपर्टी सेफ गार्ड बिल का ड्राफ्ट वैबसाइट पर होना चाहिए? 
जवाब-आप्रवासी भारतीयों के साथ सम्बन्धित हर कानून में उनकी राय ली जानी चाहिए। बिल को ड्राफ्ट करते समय आप्रवासी भारतीयों को बुलाया जा सकता है परन्तु यदि मुख्यमंत्री के सलाहकार के तौर पर कोई आप्रवासी भारतीय उनके साथ होगा तो यह काम और आसान हो सकता है। इसके अलावा बिल की कॉपी वैबसाइट पर डाल कर विदेशों में रहते आप्रवासियों की सलाह ली जानी चाहिए। 

सवाल-क्या अकाली दल की आप्रवासी भारतीयों के लिए शुरू की योजनाएं जारी रहनी चाहिएं? 
जवाब-अकाली दल ने कुछ योजनाओं का ऐलान किया था, परन्तु ये योजनाएं जमीनी स्तर पर लागू नहीं हो सकीं। पिछली सरकार की जो योजनाएं अच्छी हैं वे जारी रहनी चाहिएं परन्तु जो योजनाएं अच्छी नहीं उनमें और सुधार किया जा सकता है। नई सरकार ने भी आप्रवासी भारतीयों की समस्याओं के हल के लिए विशेष अदालतों के गठन का ऐलान किया है जिन अदालतों में आप्रवासियों के मामलों का 15 दिनों में निपटारा किया जाएगा। यह ऐलान स्वागतयोग्य है और यदि यह जमीनी स्तर पर लागू हो जाता है तो नई सरकार का यह आप्रवासी भारतीयों को सबसे बड़ा गिफ्ट होगा। 


 
 


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