पाकिस्तान ने हड़प ली मछुआरों की 700 करोड़ की नौकाएं

punjabkesari.in Wednesday, Dec 28, 2016 - 10:36 AM (IST)

अमृतसर(नीरज): कैदियों की अदला-बदली को लेकर भारत व पाकिस्तान के बीच हुए समझौते के तहत पाकिस्तान की सरकार ने 220 भारतीय मछुआरों को तो रिहा कर दिया है, लेकिन इस रिहाई में भी अपनी नीयत खोटी ही रखी है। मछुआरों को तो रिहा कर दिया गया है, लेकिन उनकी नौकाओं को नहीं छोड़ा गया है, जबकि मछुआरों की आजीविका का एकमात्र साधन उसकी नौका ही होती है। इस समय पाकिस्तान ने भारतीय मछुआरों की 400 के करीब नौकाएं हड़प रखी हैं, जिनकी कीमत 700 करोड़ रुपए से भी ज्यादा बनती है। कैदियों की अदला-बदली को लेकर बनाए गए अंतर्राष्ट्रीय नियमों के तहत यदि कोई नागरिक गलती से सीमा पार कर जाता है, उसे तुरंत रिहा करने का नियम है। बी.एस.एफ. की तरफ से कई बार ऐसे पाकिस्तानी नागरिकों को पाकिस्तान रेंजर्स के सुपुर्द किया है, जो गलती से सीमा पार करके आ जाते हैं, लेकिन पाकिस्तान की तरफ से ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जाता है। समुद्र में लहरों पर फैंसिंग नहीं बनाई जा सकती है।

मछली पकडने निकले मछुआरे लहरों के बहाव में कब पाकिस्तानी सीमा में पहुंच जाते हैं, उनको पता ही नहीं चलता है। इन हालात में पाकिस्तान कोस्ट गार्ड के कर्मचारी भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार करके उनकी नौका तो जब्त करते ही हैं, वहीं मछुआरों को जेल भी भेज देते हैं, जिससे बेगुनाह होने के बावजूद मछुआरों को पाकिस्तान की जेलों में 2 से 3 वर्ष तक की सजा काटनी पड़ती है। कभी पाकिस्तान के साथ तनाव ज्यादा बढ़ जाए तो सजा पूरी करने वाले कैदियों की भी रिहाई नहीं होती है।

पाकिस्तान की जेलों में मर चुके हैं आधा दर्जन मछुआरे
पाकिस्तानी जेलों के हालात पर नजर डालें तो पता चलता है कि सर्बजीत, किरपाल व अन्य बहुचॢचत सिविल कैदियों के साथ-साथ आधा दर्जन से ज्यादा मछुआरे भी पाकिस्तान की जेलों में मारे जा चुके हैं, क्योंकि कराची की मलेर जेल के प्रबंधक बीमार होने पर मछुआरों की देखभाल नहीं करते हैं और दवा-दारू भी कम ही दी जाती है। इन हालात में अब तक कई मछुआरे मारे जा चुके हैं। 

गुजरात के तटवर्तीय इलाकों में मछली पकडने के अलावा नहीं कोई रोजगार
मछुआरों के लिए समुद्र में जाना इतना खतरनाक नहीं रहता है, लेकिन ज्यादा खतरा पाकिस्तानी सीमा में पहुंचने का होता है, लेकिन फिर भी मछुआरे समुद्र की लहरों में अपनी जान की बाजी लगा देते हैं। इसका बड़ा कारण यह है कि गुजरात के तटवर्तीय इलाकों में मछली पकडऩे के अलावा कोई अन्य रोजगार नहीं है। गुजरात से अमृतसर आए फिशरीज बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि तटवर्तीय इलाकों में मछली पकडऩे के काम के अलावा कोई अन्य रोजगार नहीं है, इसलिए मछुआरे मछली पकडऩे के काम को जारी रखते हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी यह काम चलता रहता है। ऐसा भी नहीं है कि इस काम में कोई कमाई नहीं है। मछली पकडऩे के काम से मछुआरे अपना परिवार पालने के लिए अच्छी कमाई कर लेते हैं।

रिहा होने चाहिएं सजा पूरी कर चुके कैदी
अटारी बार्डर से रिहा होकर आए मछुआरों के चेहरों पर खुशी साफ नजर आई, लेकिन इन मछुआरों का यह भी संदेश है कि दोनों ही देशों को सजा पूरी कर चुके कैदियों की तुरंत रिहाई करनी चाहिए, क्योंकि एक कैदी की जिन्दगी बहुत ही कठिन होती है। यह सजा बद से बदतर तब हो जाती है, जब सजा पूरी होने के बाद भी रिहाई नहीं होती 
है, इसलिए जिस कैदी ने अपनी सजा पूरी कर ली हो उसे तुरंत रिहा करना चाहिए। भारतीय जेलों में भी इस समय 3 सौ से ज्यादा पाकिस्तानी मछुआरे कैद हैं जिनको रिहा करना चाहिए।


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