चीफ प्रिंसिपल सैक्रेटरी सुरेश कुमार के आदेशों के बावजूद नहीं लगे एडवर्टाइजमैंट के टैंडर

punjabkesari.in Sunday, Jan 17, 2021 - 03:13 PM (IST)

जालंधर: आज से ठीक 3 साल पहले फरवरी 2018 में पंजाब कैबिनेट ने राज्य में आऊटडोर एडवर्टाइजमैंट पॉलिसी लांच की थी जिसे कुछ सप्ताह बाद जालंधर निगम में भी लागू कर दिया गया था। इस पॉलिसी से जालंधर शहर को हर साल 20 से 25 करोड़ की आय होनी थी, जिसे देखते हुए निगम प्रशासन ने 18 करोड़ की रिजर्व प्राइस पर शहर के तमाम विज्ञापनों के टैंडर निकाले।

यह अलग बात रही कि राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी तथा प्रशासनिक कारणों से यह टैंडर सिरे नहीं चढ़े। निगम प्रशासन ने इस पॉलिसी के तहत करीब 15 बार टैंडर लगाए परंतु ज्यादा कंपनियों ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई। अब चंडीगढ़ बैठे अधिकारियों से अनुमति प्राप्त करके जालंधर निगम के अधिकारियों ने इसके टैंडर नए सिरे से तैयार किए जो 9.32 करोड़ रुपए के थे परंतु मामला यहां फंस गया कि सारे विज्ञापनों का एक टैंडर लगाया जाए या इसे 4 भागों में बांटा जाए। शहर में सक्रिय विज्ञापन लॉबी ने राजनेताओं पर दबाव बनाया कि टैंडर को 4 भागों में बांट कर लगाया जाए ताकि वह भी इसमें भाग ले सकें जबकि अधिकारी इस बात पर अड़े थे कि पॉलिसी की शर्त के मुताबिक वन सिटी वन टैंडर ही होगा।

पिछले दिनों जब पंजाब के मुख्यमंत्री के चीफ प्रिंसिपल सैक्रेटरी सुरेश कुमार जालंधर दौरे पर आए तो उनके सामने शहर के विज्ञापनों के टैंडर न लगने का मामला उठा और इस मामले में जालंधर को अब तक हुए 50 से 60 करोड़ रुपए के नुकसान की बात भी हुई। तब चीफ प्रिंसिपल सैक्रेटरी ने साथ बैठे निगम कमिश्नर को साफ शब्दों में कहा कि शहर के विज्ञापनों का टैंडर जल्द लगाया जाए परंतु पता चला है कि सुरेश कुमार की आदेशों के बावजूद अभी तक शहर के विज्ञापनों का टैंडर नहीं लग पाया है। इस मामले में जब कमिश्नर कार्यालय से संपर्क किया गया तो पता चला कि यहां से फाइल अप्रूव होकर मेयर कार्यालय गई हुई है, जहां से अभी तक फाइल वापस नहीं आई।

इस बीच मेयर कार्यालय ने इस बाबत प्रस्ताव अगले सप्ताह होने जा रही पार्षद हाऊस की बैठक में डाला हुआ है जो इसे 4 भागों में बांटने से संबंधित है। वैसे तो अब चुनावी कोड ऑफ कंडक्ट लग गया है परंतु अगर हाऊस में प्रस्ताव पास होता भी है तो इसे चंडीगढ़ में मंजूरी मिलने में कई दिन लग जाएंगे जिस कारण टैंडर अटका रहेगा। अब देखना होगा कि विज्ञापनों का टैंडर लगने में अभी और कितनी देरी होती है।

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Sunita sarangal

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