जालंधर के नार्थ हलके की गर्माई सियासत,किशन लाल की वापसी पर फैसला ले सकते हैं प्रदेश प्रधान
punjabkesari.in Thursday, Jan 10, 2019 - 09:08 AM (IST)

जालंधर(रविंदर): किशन लाल शर्मा की 2 साल बाद भाजपा में वापसी का एपिसोड पार्टी के भीतर अपनी-अपनी सियासत का खेल रच रहा है। एक बड़ा खेमा जहां किशन लाल की वापसी के तरीके से बेहद नाखुश है तो दूसरा खेमा इस वापसी को सही नहीं ठहरा रहा है। वर्कर भी असमंजस की स्थिति में है कि सबसे अनुशासन वाली पार्टी के भीतर लोकसभा चुनावों से पहले अनुशासन तार-तार हो चुका है।
सोशल मीडिया पर एक-दूसरे नेताओं के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली जा रही है और पार्टी का जमकर जलूस निकाला जा रहा है। एक तरफ जहां जिला प्रधान रमन पब्बी इस एपिसोड के गर्माते ही परिवार के साथ कहीं बाहर चले गए हैं वहीं प्रदेश प्रधान श्वेत मलिक को पूर्व विधायक के.डी. भंडारी ने किशन लाल शर्मा द्वारा चुनावों के समय पार्टी के खिलाफ बोले जाने का सारा रिकार्ड भेज दिया है। बुधवार को आरक्षण बिल को लेकर श्वेत मलिक पूरा दिन राज्यसभा में व्यस्त रहे। संभावना है कि वीरवार को प्रदेश प्रधान इस मामले में कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। वहीं संघ के नेता भी अपने स्तर पर पूरा फीडबैक ले रहे हैं और किशन लाल की वापसी से फायदा व नुक्सान के अंदाजे लगाए जा रहे हैं। गौर हो कि पूर्व विधायक मनोरंजन कालिया के खिलाफ कड़वे बोल बोलने पर पूर्व जिला प्रधान रमेश शर्मा ने किशन लाल को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। हालांकि इसके बाद किशन लाल शर्मा ने कभी कांग्रेस पार्टी ज्वाइन तो नहीं की मगर पार्टी नेताओं के खिलाफ कांग्रेसी स्टेज से खुलकर बोलते रहे।
दूसरी तरफ वह भाजपा के हर प्रोग्राम को भी अपने स्तर पर मनाते रहे और कभी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य बड़े नेताओं के खिलाफ अपशब्द नहीं बोले। 2 साल के निष्कासन के बाद मौजूदा जिला प्रधान रमेश पब्बी व प्रदेश प्रधान श्वेत मलिक ने किशन लाल शर्मा को कुछ दिन पहले दोबारा पार्टी में ले लिया था। किशन लाल की वापसी के साथ ही भंडारी व कालिया समर्थकों में उबाल आ गया है। उन्होंने किशन लाल की वापसी को सही नहीं ठहराया है। वहीं पार्टी के ही कई सीनियर नेता मानते हैं कि किशन लाल की वापसी पार्टी के लिए फायदेमंद होगी।
मुझ पर लगाए आरोप साबित करे, अन्यथा माफी मांगे किशन लाल : भंडारी
पूर्व विधायक के.डी. भंडारी का कहना है कि वह किशन लाल को पार्टी में वापस लेने के विरोधी नहीं हैं मगर सबसे पहले किशन लाल को यह साबित करना होगा कि विधानसभा चुनावों के दौरान उसने जो आरोप कांग्रेसी मंच से मुझ पर लगाए थे वे सच्चे थे। अगर किशन लाल यह आरोप साबित नहीं कर पाता तो उसे सार्वजनिक तौर पर माफी मांगनी चाहिए और बताना चाहिए कि किसके बहकावे में आकर ये आरोप लगाए थे। इसके बाद मुझे उसे पार्टी में लेने पर कोई एतराज नहीं है क्योंकि किशन लाल ने मुझ पर निजी आरोप लगाकर मेरी इज्जत को खराब करने का प्रयास किया था। भंडारी कहते हैं कि मुझ पर लगा एक भी आरोप अगर साबित होता है तो वह सियासत से संन्यास ले लेंगे। मेरी लड़ाई वर्करों की लड़ाई है और यह मैं हमेशा लड़ता रहूंगा।
मैंने कभी पार्टी का विरोध नहीं किया : किशन लाल शर्मा
वहीं भाजपा में वापसी करने वाले किशन लाल का कहना है कि मैंने कभी भी किसी भी स्टेज से भाजपा का विरोध नहीं किया। हमेशा मैंने पार्टी से बाहर रह कर भी पार्टी के प्रति वफादारी निभाई। मेरी लड़ाई पार्टी के प्रति नहीं बल्कि कुछ नेताओं के खिलाफ थी और जनता ने उस लड़ाई में मेरा साथ दिया था। मैंने पार्टी के हर प्रोग्राम को अपने स्तर पर मनाया। कभी किसी नेता के खिलाफ अपशब्द नहीं बोले। पार्टी ने जो फैसला लिया है उसे सिर झुकाकर परवान करता हूं और भविष्य में भी पार्टी के प्रति ही ईमानदारी से काम करता रहूंगा।
वर्करों का सामना नहीं कर पा रहे जिला प्रधान
किशन लाल की वापसी की गेंद जिला प्रधान रमन पब्बी के पाले में है मगर जिस तरह से वह भंडारी व उनके समर्थकों को टाइम देने के बाद जिले से बाहर चले गए उससे साफ जाहिर हो रहा है कि जिला प्रधान अपने ही वर्करों का सामना करने से कतरा रहे हैं। भंडारी की मांग को मानते हुए ज्वाइङ्क्षनग से पहले अगर किशन लाल व भंडारी के बीच पनपे विवाद को सुलझा लिया जाता तो आज पार्टी के भीतर अनुशासन इस कदर तार-तार न होता।