14 साल बाद शहर की कमान फिर भुल्लर के हाथ

punjabkesari.in Friday, Sep 28, 2018 - 09:32 AM (IST)

जालंधर(सुधीर,बुलंद): दर्जनों मासूम बच्चों का अपहरण कर उन्हें मौत के घाट उतारने वाले बेबी किलर दरबारा सिंह व और कई बड़े गैंगस्टरों व अपराधियों को जेल की हवा खिलाने वाले आई.पी.एस. रैंक के अधिकारी गुरप्रीत सिंह भुल्लर को पंजाब सरकार ने 14 साल बाद फिर से शहर की कमान सौंपते हुए पुलिस कमिश्नर जालंधर के तौर पर तैनात किया है जो जल्द ही चार्ज संभालेंगे।

शहर में बतौर कमिश्नर आफ पुलिस भुल्लर की तैनाती से जालंधर वासियों में खुशी की लहर देखी जा रही है क्योंकि भुल्लर जालंधरियों की नब्ज से अ‘छी तरह वाकिफ हैं व जालंधर के नेताओं से लेकर प्रधानों तक से उनका करीबी रिश्ता रहा है।आई.पी.एस. गुरप्रीत सिंह भुल्लर का जालंधर से पुराना नाता रहा है। उनके दादा गुरदयाल सिंह भुल्लर व पिता गुरइकबाल सिंह भुल्लर भी जालंधर के एस.एस.पी. रहे हैं और खुद गुरप्रीत भी जालंधर में लंबा समय एस.एस.पी. पद पर तैनात रह चुके हैं। 14 साल बाद उन्हें दोबारा जालंधर शहर की कमान सौंपी गई है वह भी कमिश्नर आफ पुलिस के तौर पर। आई.पी.एस. रैंक के अधिकारी के तौर पर भुल्लर की छवि एक खुशमिजाज और सबका काम करने वाले अधिकारी के तौर पर रही है। इसके अलावा कांग्रेस सरकार के चहेते होने का भी उन पर रैंक लगता रहा है। 
 

पंजाब केसरी ने पहले ही जताया था अंदेशा
वर्णनीय है कि पंजाब केसरी द्वारा पहले ही खबर प्रकाशित की गई थी कि जालंधर के अनट्रेस केसों और पुलिस वालों पर हो रहे हमलों से पुलिस के उच्चाधिकारियों में जालंधर पुलिस को लेकर ङ्क्षचता व्याप्त है तथा इसके नतीजतन पुलिस अधिकारियों के तबादले हो सकते हैं।  

सबसे अमीर आई.पी.एस. अधिकारियों में शामिल है भुल्लर का नाम
जहां गुरप्रीत सिंह भुल्लर का नाम होनहार पुलिस अधिकारी के तौर पर जाना जाता है वहीं दूसरी ओर उनका नाम सबसे अमीर आई.पी.एस. अधिकारी के तौर पर भी जाना जाता है। अगर बात करोड़पति आई.पी.एस. अधिकारियों की करें तो उनकी सम्पत्ति कई करोड़ के करीब जानी जाती है। इसके अलावा भुल्लर के करीबियों की मानें तो वह बढिय़ा ब्रांड्ज के भी शौकीन हैं व शानोशौकत से जीवन व्यतीत करते हैं।

नया दफ्तर नसीब नहीं हुआ प्रवीण को
भुल्लर के जालंधर के सी.पी. लगने की खबर जैसे ही सामने आई तो पुलिस कमिश्नर दफ्तर के सारे स्टाफ की जुबान पर यही बात सुनने को मिली कि प्रवीण सिन्हा की किस्मत में नए दफ्तर का सुख लेना था ही नहीं। असल में पुलिस कमिश्नर प्रवीण सिन्हा ने अपने दफ्तर को नया रूप देने के लिए पिछले एक माह से अपने दफ्तर में कंस्ट्रक्शन शुरू करवाई हुई थी। दफ्तर की नई छवि के लिए उसे आर्कीटैक्ट से पुन: डिजाइन करवाया गया था। पेंट से लेकर फर्नीचर तक बदला जा रहा था व अगले सप्ताह के पहले दिन सी.पी. ने इस दफ्तर में शिफ्ट होना था पर उससे पहले ही सिन्हा का तबादला कर दिया गया। 

पुलिस कर्मचारियों पर हमले तक हुए सिन्हा के कार्यकाल में
जानकारों की मानें तो जालंधर के पूर्व सी.पी. प्रवीण सिन्हा वैसे तो पंजाब सरकार के करीबी अधिकारियों में से एक हैं पर उन्हें कई अनट्रेस केस ले बैठे। गत दिनों मकसूदां में हुए बम धमाके ने उनके तबादले का रास्ता साफ किया। खुद डी.जी.पी. सुरेश अरोड़ा ने मकसूदां थाने का दौरा किया था व हैरानी की बात है कि आज तक इस केस में आरोपी ट्रेस नहीं हो सके। इसके अलावा गत दिनों जालंधर में ए.आई.जी. की माता की लुटेरों द्वारा की गई हत्या के केस ने भी कमिश्नरेट पुलिस की बहुत बेइ"ाती करवाई। यह केस भी आज तक अनट्रेस है। इसके बाद एक और केस जो गत दिनों कमिश्नरेट पुलिस के लिए बडी टैंशन लेकर आया वह फोकल प्वाइंट में एक शराब ठेकेदार के कारिंदे को गोली मारकर करीब 21 लाख रुपए की की गई लूट का मामला था जो पुलिस ट्रेस नहीं कर पाई। कुछ माह पूर्व जैन कालोनी में फास्ट-वे केबल आप्रेटरों की वर्दी पहन कर आए लुटेरों द्वारा वारदात का केस भी अनट्रेस है। इसके अलावा जालंधर में पुलिस वालों पर हमलों के केस सामने आए जिनमें थाना बस्ती बावा खेल के थाना प्रभारी पर गाड़ी चढ़ाने की कोशिश, थाना-& के ए.एस.आई. को सट्टेबाजों द्वारा पीटने के केस में आरोपी का पकड़े न जाना भी पुलिस कमिश्नरेट के लिए बदनामी वाली बात बनी। 
 


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