शहर में कूड़े व सीवरेज की समस्या बरकरार; विकास कार्य ठप्प

punjabkesari.in Monday, Dec 17, 2018 - 12:19 PM (IST)

जालंधर(खुराना): नगर निगम जालंधर के पार्षदों के चुनाव गत वर्ष 17 दिसम्बर को हुए थे और उसी दिन शाम को जीते हुए पार्षदों के नाम घोषित होते ही उनके घरों के आगे समर्थकों ने ढोल बजाने और लड्डू बांटने का सिलसिला शुरू कर दिया था। आज इन जीते हुए 80 पार्षदों को ठीक एक साल का समय हो चुका है परन्तु इस कार्यकाल दौरान जालंधर नगर निगम के हालात बयां करते हैं कि ज्यादातर पार्षद अपने कार्यकाल से खुश नहीं हैं। 

इस बार जो पार्षद दोबारा चुनाव भी जीते हैं, उनका भी कहना है कि जालंधर निगम के हालात आज जितने खराब हो चुके हैं, इतने पहले कभी नहीं थे।आज शहर में कूड़े की समस्या कंट्रोल में नहीं आ रही और सीवरेज की सफाई की समस्या भी बरकरार है। चूंकि इस बार 60 की बजाय 80 पार्षदों के हाऊस का गठन हुआ, इसलिए निगम प्रशासन ने बढ़े हुए वार्डों में सफाई कर्मियों को एडजस्ट करने के लिए दोबारा लिस्टें बनाईं जिन्हें लेकर पार्षदों के बीच ही खूब बवाल मचा क्योंकि सूचियों के अनुसार कुछ वार्डों में जहां 5 सफाई कर्मचारी तैनात हुए, वहीं कई वार्डों में सफाई कर्मियों की संख्या 40 को भी पार कर गई। सफाई कर्मचारियों की बांट को लेकर कई महीने खूब माहौल गर्म रहा और कांग्रेसी पार्षदों तक को रोष प्रदर्शन करने पड़े। यह समस्या आज तक हल नहीं हुई।कुछ साल पहले तक निगम के सीवरमैन बरसातों से पहले सीवर की सफाई किया करते थे परन्तु इस साल सीवर की कोई सफाई नहीं हुई अलबत्ता सुपर सक्शन मशीनों की धीमी गति के कारण भी समस्या बढ़ी।

बंद हुए स्वीपिंग मशीन व एल.ई.डी. जैसे प्रोजैक्ट
अकाली-भाजपा सरकार ने अपने कार्यकाल दौरान जालंधर शहर को 2 मुख्य प्रोजैक्ट दिए थे। एक प्रोजैक्ट मैकेनिकल स्वीपिंग को लेकर था जिसके तहत 2 मशीनें रात को सड़कों की सफाई किया करती थीं। महीनों से यह प्रोजैक्ट बंद पड़ा हुआ है और विपक्ष में रहते इसका विरोध कर चुके मेयर राजा इस प्रोजैक्ट की जांच विजीलैंस को सौंपने की घोषणा कर चुके हैं।दूसरा प्रोजैक्ट शहर की स्ट्रीट लाइटों को लेकर था जिसके तहत शहर की 65,000 स्ट्रीट लाइटों को उतार कर उनके स्थान पर एल.ई.डी. लाइटें लगाई जानी थीं। कम्पनी 5-6 हजार नई लाइटें लगा भी चुकी थी परन्तु कांग्रेसी पार्षद रोहन सहगल ने 274 करोड़ रुपए के इस प्रोजैक्ट के परखच्चे उड़ा दिए और इतनी कमियां निकालीं कि लोकल बॉडीज मंत्री नवजोत सिद्धू को इस प्रोजैक्ट की जांच चीफ विजीलैंस ऑफिसर के हवाले करनी पड़ी। आज आधे से ज्यादा शहर अंधेरे में डूबा हुआ है।

लोकल बॉडीज की कोई पालिसी नहीं हुई अडॉप्ट 
इस एक साल के दौरान जालंधर निगम लोकल बॉडीज की किसी भी पॉलिसी को अडॉप्ट नहीं कर पाया। चंडीगढ़ में बैठे अधिकारियों ने नई विज्ञापन पॉलिसी बनाई जिसे लागू करके निगम करोड़ों रुपए कमा सकता था, इन्हीं अधिकारियों ने पार्कों की मैंटीनैंस संबंधी नई पॉलिसी बनाई, जिसे भी अभी तक अमल में नहीं लाया गया, बरसों से चल रहा स्ट्रीट वैंडिंग प्रोजैक्ट इस साल भी फाइलों की शान बना रहा। लोकल बॉडीज ने नई पार्किंग पॉलिसी की घोषणा की परन्तु वह भी अधर में लटकी हुई है।

निगमाधिकारियों और नेताओं के बीच टकराव का नया दौर शुरू
इस एक साल के दौरान निगमाधिकारियों और सत्तापक्ष के नेताओं के बीच टकराव का नया दौर शुरू हो चुका है। पार्षद हाऊस की बैठक में सत्तापक्ष के पार्षदों ने जिस प्रकार निगमाधिकारियों पर आरोप लगाए, उन्हें भ्रष्ट तथा चोर तक कहा, उसे लेकर अधिकारियों ने भी नेताओं के विरुद्ध फ्रंट खोल दिया जिसके चलते न केवल हाऊस की बैठक का बायकाट किया गया बल्कि कलम छोड़ हड़ताल भी हुई। टकराव का यह दौर अभी भी खत्म नहीं हुआ और पार्षद हाऊस की अगली बैठक दौरान इसका असर देखने को मिल सकता है।


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