क्या नीतीश का शराबबंदी का नारा 2019 में भाजपा पर पड़ेगा भारी!

punjabkesari.in Wednesday, Jun 08, 2016 - 07:34 PM (IST)

जालंधर(धवन): बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा दोबारा मुख्यमंत्री बनने के बाद राज्य में लागू की गई शराबबंदी के बाद अब यह चर्चा शुरू हो गई है कि नीतीश कुमार 2019 में इस मुद्दे को भाजपा के खिलाफ उठा सकते हैं। वह भाजपा शासित प्रदेशों को भी शराबबंदी लागू करने की नसीहत दे रहे हैं। शराबबंदी के बहाने नीतीश द्वारा सुशासन का दाव देश भर में खेला जा सकता है। 
 
बिहार में शराबबंदी लागू करने के दो महीने बाद नीतीश कुमार समझते हैं इसने लोगों के चेहरों पर रौनक ला दी है। वह कहते हैं, ‘‘जिन्होंने पीना छोड़ा, उनके चेहरे पर रौनक लौट आई है।’’ शराबबंदी लागू होने के बाद नीतीश को स्वयंसेवी संगठनों की ओर से सहयोग मिला है। वह सरकारी कर्मचारियों तथा राजनीतिज्ञों को भी शराब न पीने की शपथ लेने के लिए कह रहे हैं। 
 
अगर बिहार में शराबबंदी सफल हो जाती है तो सुशासन बाबू को शराबबंदी विशेषज्ञ का खिताब मिल जाएगा। यद्यपि नीतीश अभी तक स्वयं को 2019 में प्रधानमंत्री पद की दौड़ से बाहर कह रहे हैं। पर विशेषज्ञों का मानना है कि उन्हें इस बात की प्रशंसा तो मिलेगी कि उन्होंने अपने राज्य को शराबमुक्त व नशामुक्त बना दिया है। नीतीश कुमार 2019 में भाजपा के खिलाफ देश भर में प्रचार कर सकते हैं। बिहार को शराबबंदी लागू करने के कारण वार्षिक 5000 करोड़ रुपए का नुक्सान झेलना पड़ रहा है, इसके बदले सरकार ने क्षतिपूॢत के लिए कुछ वस्तुओं पर वैट लगाया है या वैट दरों में बढ़ौतरी की है। 
 
अब तक बिहार में 34470 छापे मारे गए हैं, जिस दौरान भारी मात्रा में शराब जब्त की गई। बिहार के साथ लगते राज्यों में भी शराबबंदी को लेकर शिकंजा कसा गया है तथा नितीश सरकार ने पड़ोसी राज्यों से कहा है कि वे सीमा के निकट शराब के ठेके न खोलें, ताकि वहां से शराब तस्करी के द्वारा बिहार में प्रवेश न कर सके।
 
 

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