कांग्रेस को फायदा होने के डर से अकाली-भाजपा ने साधी चुप्पी

punjabkesari.in Monday, Jun 17, 2019 - 01:24 PM (IST)

लुधियाना (हितेश): लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा वर्करों द्वारा उठी सीट शेयरिंग के फार्मूले में बदलाव या अकाली दल से अलग होकर विधानसभा चुनाव लडऩे की मांग से कांग्रेस को फायदा होने के डर से अकाली-भाजपा नेताओं ने चुप्पी साध ली है।

अगर लोकसभा चुनाव के नतीजों की बात करें तो अकाली-भाजपा को 13 में से सिर्फ  4 सीटों पर ही जीत हासिल हुई है, जिनमें से 10 सीटों पर चुनाव लडऩे वाले अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल अपनी व पत्नी की सीट ही बचा पाए हैं। उधर, भाजपा ने पंजाब की 3 में से 2 सीटों पर जीत हासिल की है, जिनमें से गुरदासपुर में सन्नी दियोल की मदद से पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ को हराने में कामयाब हो गए हैं और केंद्रीय मंत्री विजय सांपला की टिकट काटने के बावजूद भाजपा ने होशियारपुर में अपना कब्जा बरकरार रखा है। भाजपा द्वारा अपने कोटे की विधानसभा सीटों पर 2017 के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करने व अकाली दल को मोदी के नाम का फायदा मिलने का दावा किया जा रहा है।

इसका हवाला देते हुए भाजपा के कई नेताओं ने खुलेआम तो कइयों ने अंदरखाते सीट शेयरिंग के फार्मूले में बदलाव या अकाली दल से अलग होकर विधानसभा चुनाव लडऩे की मांग करनी शुरू कर दी है। हालांकि इस मामले में अकाली दल की तरफ  से कोई पलटवार नहीं किया गया और बाद में दोनों पाॢटयों के नेताओं को अहसास हो गया कि उनकी लड़ाई का फायदा कांग्रेस को हो सकता है। शायद यही वजह है कि पंजाब में सीट शेयरिंग के फार्मूले में बदलाव या अकाली दल से अलग होकर विधानसभा चुनाव लडऩे की मांग पर दोनों ही पार्टियों के नेताओं ने फिलहाल चुप्पी साध रखी है।

एक-दूसरे को ट्रांसफर होते हैं दोनों पार्टियों के वोट
आमतौर पर देखने को मिलता है कि चुनावी गठजोड़ में शामिल सियासी पार्टियों के वोट एक-दूसरे को ट्रांसफर नहीं हो पाते जो शिकायत हाल ही में समाजवादी पार्टी के साथ गठजोड़ तोडऩे के समय मायावती द्वारा की गई है। मगर पंजाब में हालात इससे बिल्कुल अलग है, जिसके तहत अकाली-भाजपा का वोट बैंक लम्बे समय से एक-दूसरे को ट्रांसफर हो रहा है।

पंजाब के भाजपा नेता लम्बे समय से उठा रहे हैं अकाली दल के खिलाफ  आवाज
पंजाब में भाजपा नेताओं द्वारा उठाई जा रही सीट शेयरिंग के फार्मूले में बदलाव या अकाली दल से अलग होकर विधानसभा चुनाव लडऩे की मांग कोई नई नहीं है, बल्कि पंजाब के भाजपा नेता लम्बे समय से अकाली दल के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, जिसके तहत कई बार तो सरकार से बाहर आने की नौबत भी आ गई थी और अब लोकसभा चुनाव से पहले भी भाजपा द्वारा पंजाब में सीटों की संख्या को बढ़ाने की मांग की गई थी। मगर हर बार भाजपा हाईकमान के दखल से मामले को शांत कर दिया जाता है।

यह है भाजपा नेता की दलील
इस मामले में भाजपा पंजाब के पूर्व अध्यक्ष कमल शर्मा खुलकर बोल चुके हैं जो सीट शेयरिंग के फार्मूले में बदलाव या अकाली दल से अलग होकर विधानसभा चुनाव लडऩे की मांग को वर्करों की भावनाओं का नाम दे रहे हैं, जिनके मुताबिक जहां भाजपा के वर्कर व आधार है और अकाली दल को हार मिल रही है उन सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार खड़े करने की मांग वर्करों द्वारा की जा रही है। बताया जाता है कि पिछले दिनों हुई प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में भी कई नेताओं द्वारा यह मुद्दा उठाया गया है।

 

 


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