ऑटो टिकट वैंडिंग मशीन यात्रियों के लिए बनी परेशानी का सबब

punjabkesari.in Monday, Jun 03, 2019 - 01:31 PM (IST)

लुधियाना(गौतम): रेलवे विभाग की तरफ से करंट टिकट विंडो पर भीड़ कम करने व यात्रियों की सुविधा को देखते हुए रेलवे स्टेशन परिसर में आटो टिकट वैंडिंग मशीनें व कैश कार्ड ऑटो वैंडिंग मशीनें लगाई गई हैं लेकिन रेलवे विभाग की तरफ से लगाई गई यह 11 मशीनें आए दिन यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बनी रहती हैं।

यात्रियों का कहना है कि वह लंबी लाइन में लगने से बचने के लिए मशीनों की तरफ आते हैं, लेकिन वहां पर टिकट न मिलने के कारण उनका समय बर्वाद होता है और फिर उन्हें लाइनों में लग टिकट लेने पड़ते हैं। उन्होंने बताया कि पहले तो उक्त मशीनों पर कर्मचारी ही नहीं मिलते और अगर मिलते भी है तो मशीनों में कई बार रोल खत्म हुआ होता है। सबसे बड़ी समस्या ये है कि अगर मशीन में नई करंसी के नोट डाले जाते हैं तो मशीनें उन्हें स्वीकार ही नहीं करतीं जिस कारण उन्हें फिर पुराने नोट लेने के लिए इधर-उधर भागना पड़ता है। दूसरी बात ये है कि अगर मशीन में नोट फंस जाए या कोई समस्या पैदा हो जाए तो शिकायत करने पर उन्हें बताया जाता है कि दिल्ली से आपकी शिकायत दूर की जाएगी। जिसके चलते उन्हें मानसिक परेशानी का भी सामना करना पड़ता है। 


‘समस्याओं संबंधी अधिकारियों को लिख कर भेजा’ 
स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि हर रोज इन मशीनों से 3500 से 4000 तक टिकट बिकते हैं, जिनसे करीब ढाई लाख रुपए की कमाई होती है। इन समस्याओं को लेकर कई बार दिल्ली बड़े अधिकारियों को लिख कर भेजा है। मशीनों के रोल भी दिल्ली से ही जारी होते हैं। रख रखाव का ठेका दिल्ली की एक कंपनी के पास होने की वजह से कई बार कंपनी के कर्मचारियों को कॉल करनी पड़ती है। अगर मशीनें उचित ढंग से काम करे तो यात्रियों को अधिक सुविधा मिल सकती है। 


कर्मचारियों ने भी माना, खराब रहती है मशीन
मशीनों पर विभाग की तरफ से रिटायर्ड टिकट चैकर रखे गए हैं। इन कर्मचारियों का मानना है कि एक तो मशीन ’यादातर खराब होती है दूसरा अगर काम के समय कोई खराबी आ जाए तो वह इसकी स्थानीय अफसरों को शिकायत करते हैं जो दिल्ली की प्राइवेट कंपनी को कॉल करते हैं (जिनके पास मशीनों के रखरखाव का ठेका है) इसी प्रक्रिया को 2 दिन से ज्यादा का समय लग जाता है। बार-बार अफसरों के पास चक्कर लगाने पड़ते हैं। दूसरा इन मशीनों से केवल 150 किलोमीटर तक के सफर के ही टिकट मिलते हैं, जिन पर उनकी कमीशन को भी 5 से कम कर 3 प्रतिशत कर दिया गया है। अगर वह किसी की दिल्ली या उससे आगे की टिकट काटते हैं तो उनके खाते से उलटा कमीशन कट जाती है। केवल पंजाब तक के ही टिकट इन मशीनों से काटे जा सकते हैं। कई बार लंबी दूरी के यात्री लाइन में लग जाते हैं, लेकिन जब उन्हें टिकट देने से मना कर दिया जाता है तो यात्री रोष जताते हैं। इस संबंधी कई बार अफसरों को बताया गया है, लेकिन कोई भी सुनवाई नहीं होती। मशीन में नई करंसी का न चलना भी सबसे बड़ी समस्या है, जिस कारण उन्हें खुद पहले पुरानी करंसी के नोट यात्रियों के लिए उपलब्ध करवाने पड़ते है। डिपार्टमैंट को मशीनों को नई करंसी के लिए अपडेट कर देना चाहिए। 

 

 


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