सड़कों पर दौड़ रही बिना नंबरी गाड़ियों से शहर की सुरक्षा व्यवस्था को भी खतरा

punjabkesari.in Tuesday, Jan 07, 2020 - 01:25 PM (IST)

लुधियाना(सुरिन्द्र, राम): नगर में बिना नंबर या अप्लाइड फार नंबर की प्लेटों के साथ दौड़ रही गाडिय़ों की बाढ़ सी आ गई है। देखा जाए तो शहर में बिना नंबर की गाडिय़ों के चलने के पीछे सरकार की नीतियां ही जिम्मेदार हैं। दूसरा बिना नंबरों के दौड़ रही गाडिय़ों से शहर की सुरक्षा व्यवस्था पर भी खतरा बना हुआ है। विभाग ने फरमान जारी कर ऑटोमोबाइल डीलरों से टैंपरेरी नंबर जारी करने के अधिकार वापस लेते हुए बिना पक्का नंबर के गाड़ी डिलीवर करने पर रोक लगा रखी है।

वहीं दूसरी तरफ फैंसी नंबरों की ऑनलाइन बोली में भाग लेने के लिए गाड़ी का इंजन व चैसिस नंबर दर्ज करना जरूरी कर दिया है ताकि दलाल किस्म के लोगों पर अंकुश लगाया जा सके।ऐसे में फैंसी नंबर लेने के इच्छुक लोग मझधार में फंस चुके हैं। बिना नंबरों की कारों को विभाग बंद करने जा रहा है व इस संबंधी कार्रवाई चल भी रही है, अगर वह ऑटोमोबाइल डीलर से पक्का नंबर अलॉट करवाने के बाद गाड़ी की डिलीवरी लेते हैं तो बाद में उन्हें बोली के माध्यम से फैंसी नंबर नहीं मिल सकता, जिस कारण लोग मजबूरी में डीलरों की मिन्नतें कर बिना नंबर के गाडिय़ों की डिलीवरी ले रहे हैं जिससे कार्रवाई की तलवार ग्राहक और डीलर दोनों के ऊपर लटकी हुई है। विभाग आने वाले दिनों में 8 के करीब ऑटोमोबाइल डीलरों को कारण बताओ नोटिस जारी करने जा रहा है जिन्होंने एग्रीमैंट का उल्लंघन कर लोगों को बिना नंबर के गाडिय़ां बेची हैं। इसके साथ ही शहर में दौड़ रही बिना नंबर की गाडिय़ों के कारण सुरक्षा व्यवस्था पर भी खतरा मंडरा रहा है। ऐसे बिना नंबरों के वाहनों द्वारा अगर कोई सड़क हादसा या अन्य आपराधिक वारदात को अंजाम दिया गया तो उसे ट्रेस करना पुलिस विभाग के लिए मुश्किल हो जाएगा। 

6 वर्ष पूर्व बंद किए गए थे टैम्परेरी नंबर
राज्य सरकार ने करीब 6 वर्ष पूर्व निजी वाहनों के लिए टैम्परेरी नंबर जारी करने की प्रथा को बंद करते हुए वाहन डिलीवरी से पहले पक्का नंबर अलॉट करने की व्यवस्था बनाई थी। वाहन की डिलीवरी के साथ ही प्रोविजनल आर.सी. जारी की जाती है जिसकी मियाद एक माह की होती है। एक माह के भीतर ही आवेदक को ऑटोमोबाइल एजैंसी के माध्यम से आर.सी. दे दी जाती है। 
 
असफल आवेदक रिफंड के लिए एक वर्ष से कर रहे इंतजार
वहीं फैंसी नंबरों की ऑनलाइन बोली से जुड़ी एक और लापरवाही सामने आई है। फैंसी नंबरों की अलॉटमैंट में चल रही गड़बड़ को रोकने के लिए सरकार ने करीब एक वर्ष पूर्व बोली में भाग लेने के लिए पात्रता फीस बढ़ा कर नंबर की आरक्षित कीमत से आधा कर दी थी। व्यवस्था ऐसी बनाई गई कि सफल बोलीदाता बकाया रकम अदा कर नंबर को अलॉट करवा सकेंगे जबकि असफल बोलीदाताओं को उनके द्वारा मुहैया करवाए गए अकाऊंट नंबर में उक्त पात्रता फीस रिफंड हो जाएगी। लेकिन विभाग की सुस्ती और लापरवाही का आलम देखिए कि लोगों के रिफंड करीब एक वर्ष से रुके हुए हैं और ऐसे आवेदकों की संख्या सैंकड़ों में है। 

फोर्स को विशेष मुहिम चलाने के दिए आदेश : बराड़
डी.सी.पी. ट्रैफिक सुखपाल सिंह बराड़ का कहना है कि नगर की सड़कों पर दौड़ रही बिना नंबरों की कारों का मामला उनके ध्यान में है। उन्होंने बताया कि फोर्स को विशेष आदेश दिए गए हैं कि ऐसे वाहनों के सड़कों पर दिखाई देते ही तुरंत कार्रवाई करें। बीते कुछ दिनों में ऐसी कई कारों के चालान किए गए है।  
 
आवेदक आफिस से ले सकते हैं टैम्परेरी नंबर : केसरपाल
असिस्टैंट ट्रांसपोर्ट आफिसर केसरपाल सिंह का कहना है कि बीते कुछ दिनों में ही उन्होंने 25 के करीब ऐसे वाहनों को जब्त किया है जो बिना नंबर के सड़कों पर दौड़ाए जा रहे थे। इनमें से अधिकतर कारें थीं। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऑटोमोबाइल डीलरों को निजी गाडिय़ों के लिए टैम्परेरी नंबर जारी करने के अधिकार समाप्त किए गए हैं लेकिन जो लोग फैंसी नंबरों की बोली का इंतजार करते हैं वे उनके आफिस में फीस अदा कर टैम्परेरी नंबर ले सकते हैं, लेकिन उनके पास मोटर व्हीकल टैक्स अदा व इंश्योरैंस की रसीद जरूर हो। 


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