आखिर निगम ने जारी किए विज्ञापनबाजी के टैंडर, रैवेन्यू जुटाने बारे सिद्धू के दावों की निकली हवा

punjabkesari.in Wednesday, Jul 11, 2018 - 04:25 PM (IST)

लुधियाना(हितेश): जैसा कि ‘पंजाब केसरी’ ने पहले ही खुलासा कर दिया था। नगर निगम द्वारा 5 वर्ष के लम्बे इंतजार के बाद आखिर विज्ञापनबाजी का टैंडर लगा दिया गया है। मगर उसमें रखी गई रिजर्व प्राइज ने विज्ञापनबाजी से रैवेन्यू कमाने बारे लोकल बॉडीज मंत्री नवजोत सिद्धू के दावों की हवा निकाल दी है। यहां बताना उचित होगा कि सिद्धू द्वारा मंत्री बनने के बाद पहले ही दिन से कहा जा रहा है कि अकाली-भाजपा सरकार के समय विज्ञापनबाजी की आड़ में जमकर धांधली हुई है। जो पैसा सरकार को मिलना चाहिए था वह अफसरों व कम्पनियों की जेब में जाता रहा है। इस गौरखधंधे पर रोक लगाने के लिए सिद्धू ने विज्ञापन पॉलिसी तक बदल डाली है। जिस नई पालिसी में भले ही प्राइवेट मार्कीटों व माल पर विज्ञापन लगाने की मनाही है। फिर भी सिद्धू द्वारा 100 करोड़ से ज्यादा रैवेन्यू जुटाने का दावा किया गया। मगर नगर निगम द्वारा जारी किए गए विज्ञापनबाजी के टैंडर में सिर्फ 30.50 करोड़ की रिजर्व प्राइज रखी गई है। जिस टैंडर का पीरियड वैसे तो 5 वर्ष रखा गया लेकिन उसे 2 वर्ष की एक्सटैंशन भी दी जा सकती है।

शर्तों की आड़ में कम्पनियों को साइड लाइन करने की कवायद
वैसे तो नए विज्ञापन टैंडरों में पारदर्शिता के नाम पर फाइनल करने में काफी समय लगा दिया गया लेकिन उसका ड्राफ्ट सामने आने के बाद यह चर्चा छिड़ गई है कि शर्तों की आड़ में कम्पनियों को साइड लाइन करने की कवायद हुई है। क्योंकि पहले तो वही कम्पनी इन टैंडरों में हिस्सा ले सकती है जिसने 3 वर्ष तक निगम या किसी अन्य सरकारी अथॉरिटी के साथ विज्ञापनबाजी का काम किया हो। इसी तरह कम्पनी की पिछले 3 वर्ष में 10 करोड़ की टर्नओवर होने की शर्त लगाई गई है।
 

अलग से विज्ञापन टैक्स वसूलने का पहलू भूले अफसर
निगम द्वारा जो पुराना विज्ञापनबाजी का टैंडर अलॉट किया गया था, उसमें अलग से विज्ञापन टैक्स न लगाने का मुद्दा अब तक गर्माया हुआ है। जिसे बस शैल्टर का एग्रीमैंट रद्द करने का आधार बनाया गया है। मगर नए टैंडर में अलग से विज्ञापन टैक्स लगाने की जगह रिजर्व प्राइज का हिस्सा बना दिया गया है। इसके लिए जी.एस.टी. लागू होने का हवाला दिया जा रहा है।

नगर निगम के 80 यूनिपोल भी कर दिए शामिल
इस नए टैंडर में शामिल यूनिपोल, ग्राबेज डम्प, बस शैल्टर, बैंच, यूटीलिटी, दिशासूचक आदि का निर्माण कम्पनी को खुद करना होगा और उसकी आप्रेटिंग व मैंटीनैंस के बाद सारा इंफ्रास्ट्रक्चर निगम को ट्रांसफर कर दिया जाएगा। इसके अलावा नगर निगम ने अपने तौर पर लगाए गए 80 यूनिपोल व 6 फुट ओवरब्रिज भी इस टैंडर में शामिल कर लिए हैं, जिनके अलग से लगाए गए टैंडर कई बार फेल हो चुके हैं। 


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