पाक में हिंदू, सिख, ईसाई 20 फीसदी घटे, मुस्लिम पॉपुलेशन में इंडिया वर्ल्ड में होगा नंबर वन

punjabkesari.in Sunday, Jan 05, 2020 - 11:31 AM (IST)

जालंधर(सूरज ठाकुर): पाकिस्तान में ननकाना साहिब गुरुद्वारे पर भीड़ के पथराव ने एक बार फिर से एक सवाल खड़ा कर दिया है कि वहां अल्पसंख्यक हिंदू, मुस्लिम और ईसाई कितने महफूज हैं? पथराव करती हुई भीड़ में यह भी आवाजें आ रही थीं कि हमें यहां सिख चाहिए ही नहीं। हकीकत यह है कि आजादी के बाद पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के चलते तीनों अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों की जनसंख्या 23 फीसदी से घटकर अब करीब 3 फीसदी रह गई है जबकि भारत में अल्पसंख्यक कहे जाने वाले मुस्लिम समुदाय के लोगों की जनसंख्या वृद्धि दर 24 फीसदी से ज्यादा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान में हर महीने 70 से अधिक मामले अल्पसंख्यकों के धर्मांतरण और किडनैपिंग के होते हैं।


PunjabKesari, India will be number one in Muslim population
 

क्या कहा था जिन्ना और गांधी ने
अगर विभाजन के बाद की बात करें तो मोहम्मद अली जिन्ना और महात्मा गांधी ने भारत और पाकिस्तान में रहने वाले सिखों और हिंदुओं के हितों की रक्षा की वकालत की थी। 8 अगस्त, 1947 को महात्मा गांधी ने ‘भारत और भारतीयता’ पर कहा था कि  ‘‘स्वाधीन भारत हिंदूराज नहीं, भारतीय राज होगा जो किसी धर्म, सम्प्रदाय या वर्ग विशेष के बहुसंख्यक होने पर आधारित नहीं होगा।’’ उन्होंने यह भी कहा था कि ‘‘पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू और सिख साथियों को जब लगे कि उनको भारत आना चाहिए तो उनका स्वागत है।’’ 11 अगस्त, 1947 को मोहम्मद अली जिन्ना ने अपने एक भाषण में कहा था, ‘‘पाकिस्तान में हिन्दू आजाद हैं, अपने मंदिर जाने के लिए, मुस्लिम आजाद हैं अपनी मस्जिद जाने के लिए। कोई भी कहीं भी पाकिस्तान में जाने के लिए स्वतंत्र है। मत-पंथ, जात-पात, रंग-रूप, वेश-भूषा से, देश का कुछ भी लेना-देना नहीं है।’’ जबकि हालात ऐसे हो गए हैं कि वहां अल्पसंख्यक बेटियों-महिलाओं के सामूहिक बलात्कार, हत्या, अपहरण, कन्वर्जन, जबरदस्ती निकाह की घटनाओं को अंजाम दिया जाता है।

पाक में अल्पसंख्यकों के हालात
वर्तमान में पाकिस्तान में हिंदू, सिख और ईसाई अल्पसंख्यकों पर होने वाले अत्याचारों पर इमरान पर्दा डालकर कश्मीर के मुद्दे पर पूरे विश्व को गुमराह करने पर तुले हुए हैं। वह कट्टरपंथियों और सेना के हाथ की मात्र कठपुतली बनकर रह गए हैं। पाकिस्तान में केवल गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर ही नहीं बल्कि मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर भी अत्याचार हो रहे हैं। वहां हजरा शिया हों या अहमदी या ईसाई सभी के खिलाफ हिंसात्मक वारदातें हो रही हैं। शिया मुस्लिमों की मस्जिदों को अक्सर पाकिस्तान में निशाना बनाया जाता है। अल्पसंख्यक दोनों देशों में कहां सबसे ज्यादा सुरक्षित हैं, इस बात का अंदाजा सहजता से लगाया जा सकता है।

भारत होगा विश्व में सर्वाधिक मुस्लिम आबादी वाला देश
अब यहां भारत की बात की जाए तो आजादी के बाद भारत में मुस्लिम समुदाय के लोगों को अल्पसंख्यक कहा जाता है। तकनीकी रूप से देखा जाए तो 2011 में हुई जनगणना के अनुसार भारत में मुस्लिम जनसंख्या 17.22 करोड़ है, जोकि भारत की जनसंख्या का 14.23 फीसदी होता है और भारत में मुस्लिमों की जनसंख्या वृद्धि दर 24.6 प्रतिशत है। अमरीकी थिंक टैंक प्यू रिसर्च सैंटर के मुताबिक 40 साल बाद भारत सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश बन जाएगा। 2060 में भारत की मुस्लिम आबादी 33 करोड़ हो जाएगी। दुनिया की कुल मुस्लिम आबादी में भारत का योगदान 11 फीसदी होगा। वहीं पाकिस्तान 28.36 करोड़ मुस्लिम आबादी के साथ दूसरे स्थान पर पहुंच जाएगा।


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पाकिस्तानी न्याय व्यवस्था कट्टरपंथ के प्रभाव में 
बीते साल सिंध की मैडीकल छात्रा निमरिता की हत्या कर दी गई थी। पाकिस्तान न्यायालय ने भी हत्या पर न्यायिक जांच से इंकार कर दिया था। मार्च, 2019 को ही जेहादियों ने हिंदू परिवार की 2 बेटियों रीना और रबीना को अगवा कर लिया था जिसके बाद उनके पिता का एक वीडियो जारी हुआ और पाकिस्तान को दबाव में आकर कार्रवाई करनी पड़ी। इन दोनों लड़कियों का भी एक और वीडियो जारी हुआ जिसमें वे दोनों खुद इस्लाम को कबूलने की बात कह रही थीं। 2016 में अमरीका के स्टेट ह्यूमन राइट की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान की न्याय व्यवस्था दुरुस्त नहीं है। इसमें बाहरी तत्वों का हाथ रहता है, खासकर कट्टरपंथियों को न्याय प्रणाली फेवर करती है। रिपोर्ट में कहा गया था कि अल्पसंख्यकों पर किए जा रहे अत्याचारों के कारण आबादी में लगातार गिरावट आती जा रही है।


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सबसे ज्यादा दलितों का उत्पीड़न 
पीड़ित महिलाएं एवं लड़कियां अधिकतर दलित समुदाय की होती हैं जिनमें कोली, मेघवार एवं भील आदि शामिल हैं। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को किसी भी तरह का कोई संरक्षण प्राप्त नहीं है। अधिकांश मामलों में सरकार उत्पीड़न के बाद अपराधियों को संरक्षण देती है। इसके अलावा सिंध में छोटी-छोटी लड़कियों को अगवा करने और उनका धर्मांतरण करने के मामले में मस्जिद, मजारें और मदरसे सबसे आगे हैं। लड़कियों को अगवा करके मदरसों-मस्जिदों में लाया जाता है। उन्हें धमकाया जाता है और उनके परिवार को खत्म करने की धमकी दी जाती है। ‘ह्यूमन राइट्स कमीशन ऑफ पाकिस्तान’ के एक शोध के मुताबिक जबरदस्ती कन्वर्जन और निकाह के सबसे ज्यादा मामले सिंध एवं दक्षिणी पंजाब में होते हैं।


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Edited By

Sunita sarangal

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