PGI में 48 घंटों में 9 लोगों को मिली नई जिंदगी, जानें कैसे
punjabkesari.in Friday, Jun 17, 2022 - 02:18 PM (IST)
चंडीगढ़ (पाल): पी.जी.आई. में ब्रेन डेड मरीज की वजह से लगातार दूसरे दिन चार लोगों को नई जिंदगी मिली। 25 वर्षीय प्रवीण सिंह मलिक की किडनी और कॉर्निया पी.जी.आई. में ट्रांसप्लांट हुआ।। पी.जी.आई. ने 48 घंटे में दो ब्रेन डेड मरीजों को वजह से पी.जी.आई. ने 9 लोगों को नई जिंदगियां दी है। इससे पहले बुधवार को ब्रेन डेड युवक के अंग 5 जरूरतमंदों को ट्रांसप्लांट किए गए। युवक का दिल, किडनी, लीवर और कॉर्निया डोनेट कर दिया गया है। दिल का रिसिपिएंट न मिलने पर पी.जी.आई. रोटो ने दिल्ली में नौजवान का मैचिंग रिसिपिएंट ढूंढा जहां दाखिल मरीज को दिल ट्रांसप्लांट हुआ। नेफ्रोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एच.एस. कोहली ने कहा कि टीम को जल्दी कार्रवाई करते हुए 2 मिलते-जुलते रिसिपिएंट ढूंढ लिए, जिन मरीजों को किडनी ट्रंसप्लांट हुआ है वे लंबे समय से बीमार थे और अंतिम स्टेज पर थे।
रीनल ट्रांसप्लांट सर्जरी के प्रमुख प्रो. आशीष शर्मा ने कहा कि लगातार दूसरे दिन इस तरह की सर्जरी मुश्किल थी लेकिन टीम ने बहुत अच्छा काम किया है। टीम 24 घंटे ऑपरेशन थियेटर में रही। सौभाग्य से, दोनों सर्जरी सफल रही। पी.जी.आई. के नोडल अधिकारी (रोटो) डॉ. विपन कौशल ने कहा कि ब्रेन डेड मरीज के परिजनों के लिए उस समय अंगदान के लिए परामर्श लेना बहुत मुश्किल था। यह कोई छोटा फैसला नहीं है बल्कि लोगों में काफी जागरूकता है। संस्था युवक के परिजनों की आभारी है जिनकी एक हां ने 4 लोगों को नई जिंदगी दिलाने में मदद की है।
10 जून को सड़क हादसे में 25 वर्षीय व्यक्ति घायल हो गया था
जींद निवासी प्रवीण 10 जून को मोटरसाइकिल पर काम करने के लिए जा रहा था। तेज रफ्तार वाहन ने उसे टक्कर मार दी, जिससे उसके सिर में गंभीर चोट आई। आपात स्थिति में परिवार ने सबसे पहले प्रवीण को जी.एम.एस.एच. और फिर जी.सी.एच. लेकर पहुंचे। जी.एम.सी.एच. से रैफर किए जाने के बाद प्रवीण को पी.जी.आई. लाया गया। इलाज के बावजूद युवक की हालत में सुधार नहीं हुआ, जिसके बाद डॉक्टरों ने सभी प्रोटोकॉल को देखते हुए 15 जून को उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया।
5 दिन में चला गया बेटा: पिता
अंगदान के बारे में पूछने पर परिजन मान गए। विपरीत परिस्थितियों में परिवार ने एक साहसी निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि उन्हें लगा कि उनका बेटा इस दुनिया में किसी मकसद से आया है। अंगदान के लिए हां कहना मुश्किल था लेकिन किसी तरह उन्हें लगा कि यह कुछ ऐसा है जो हमें करना चाहिए। किसी और को बचाया जा सकता है। पिता कुलदीप सिंह मलिक ने कहा कि उनका बेटा पांच दिन में गुजर गया। वे सब खाली हाथ रह गए हैं, कुछ नहीं कर सके, लेकिन जब उन्होंने अंगदान के बारे में सुना तो उन्हें किसी और की जान बचाने का मौका मिला है तो उन्होंने इसे व्यर्थ नहीं जाने दिया।
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