Amritsar के सरकारी अस्पताल में बच्ची की मौ/त पर हंगामा, परिवार वालों ने लगाए गंभीर आरोप
punjabkesari.in Friday, Dec 26, 2025 - 01:08 PM (IST)
अमृतसर (दलजीत): बेबे नानकी मदर एंड चाइल्ड केयर सैंटर के बच्चा वार्ड नंबर 3 में 12 वर्षीय लड़की की मौत का मामला सामने आया है। परिवारिक सदस्यों ने अस्पताल प्रशासन पर जहां गलत इलाज के गंभीर आरोप लगाए हैं वहीं वार्ड में परिवारिक सदस्यों ने तोड़फोड़ भी की। पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रण में किया। जानकारी के अनुसार गुरप्रीत कौर 12 वर्षीय ऑक्सीजन की कमी के कारण विगत देर सायं गुरु नानक देव अस्पताल के बेबे नानकी मदर एंड चाइल्ड केयर सैंटर की एमरजैंसी में लाई गई। बच्ची के परिवार के करीबी नीरज कुमार ने बताया कि गुरप्रीत को कल रात 8 बजे एमरजैंसी में लाया गया था क्योंकि उसका ऑक्सीजन स्तर गिरकर 35 हो गया था लेकिन एमरजैंसी में ऑक्सीजन देने के बाद उसका ऑक्सीजन स्तर 80 से अधिक हो गया।
गुरप्रीत कौर आज सुबह से पूरी तरह ठीक थी लेकिन अचानक सीने से पानी निकालने के लिए इस्तेमाल की गई टैक्नीक कारण बच्ची की मृत्यु हो गई। उन्होंने बताया कि सीने से पानी निकालने के लिए परिवार से सलाह तक नहीं ली गई। बच्ची की मृत्यु गलत इलाज के कारण हुई। उसके मुंह से खून भी आ रहा था। उन्होंने बताया कि जब उन्हें उच्च डॉक्टर से बात करनी चाहिए थी, तब किसी ने उनकी बात नहीं सुनी। आज बच्ची की मृत्यु के बाद उन्होंने वार्ड इंचार्ज डॉ. जसपाल से काफी देर तक बात करने की कोशिश की,लेकिन डॉ. जसपाल कई घंटों बाद मौके पर पहुंचे।
दूसरी ओर वार्ड इंचार्ज डॉ. जसपाल सिंह काफी देर बाद घटनास्थल पर पहुंचे और परिवार द्वारा लगाए गए गलत इलाज के आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने कहा कि लड़की के परिवार में पहले से ही टी.बी. के मामले थे और गुरप्रीत कौर की छाती में काफी पानी भरा हुआ था। लड़की की हालत बेहद गंभीर थी। डॉक्टरों ने लड़की को बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन उसकी जान नहीं बचाई जा सकी। लड़की को ऑक्सीजन दी गई और वेंटिलेटर पर भी रखा गया लेकिन असहनीय पीड़ा के कारण उसकी जान नहीं बच पाई। उन्होंने कहा कि डॉक्टर हर मरीज की जान बचाने की पूरी कोशिश करते हैं लेकिन सांस लेने की शक्ति भगवान के हाथ में होती है। डॉक्टर पूरी ताकत से काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि परिवार द्वारा अस्पताल में तोड़फोड़ करना गलत है। उन्होंने कहा कि उस समय उच्च डॉक्टर ड्यूटी पर मौजूद थे और हर मरीज का इलाज उच्च डॉक्टरों की देखरेख में होता है।
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