अपने इस वादे को पूरा करने के बाद ही निगम चुनावों में उतरेगी ‘आप’

punjabkesari.in Sunday, Jan 15, 2023 - 11:21 AM (IST)

जालंधर: पंजाब में नगर निगमों का कार्यकाल लगभग समाप्त हो गया है और नए निगमों के गठन संबंधी प्रक्रिया काफी धीमी चल रही है जिसे कुछ महीने लग सकते हैं। आगामी निगम चुनाव कितने माह की देरी से होंगे इसके लिए जहां कई प्रकार की अटकलें लगाई जा रही हैं, वहीं यह संकेत भी मिल रहे हैं कि महिलाओं को एक-एक हजार रुपए देने का वादा पूरा करके ही आम आदमी पार्टी पंजाब के निगम चुनावों में उतरेगी।

इस बात की पुष्टि आम आदमी पार्टी के स्थानीय स्तर के बड़े नेताओं ने की है। ऐसे नेताओं का कहना है कि आम आदमी पार्टी ने 300 यूनिट प्रतिमाह बिजली फ्री करके पहले ही एक बड़ा चुनावी वायदा पूरा कर दिया है और अब लोगों को ज़ीरो बिल भी प्राप्त होने शुरू हो गए हैं । कई पाश कालोनियों में भी लोगों को ज़ीरो बिल आया है। ऐसे में फ्री बिजली तो शहरों के निगम चुनावों में मुद्दा बनेगी ही बनेगी परंतु महिलाओं को मिलने वाला एक-एक हजार रुपया भी ‘आप’ को काफी चुनावी मदद पहुंचाएगा। इन नेताओं का कहना है कि इस बाबत सारा फीडबैक पार्टी के उच्च स्तरीय नेतृत्व और मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंचा दिया गया है और दिल्ली बैठे पार्टी नेतृत्व को भी संदेश भिजवा दिया गया है।

कंट्रोल में नहीं आ रही लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति

आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने के बाद से ही पंजाब में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति निरंतर बिगड़ती चली जा रही है। प्रख्यात गायक सिद्धू मूसेवाला की दिनदहाड़े हत्या और कई स्थानों पर हुई गैंगवार के चलते राज्य के एक विशेष वर्ग में काफी दहशत पाई जा रही है। गैंगस्टरों द्वारा फिरौती मांगने संबंधी कॉल दर्जनों नहीं बल्कि सैकड़ों हजारों लोगों को आई है और ऐसे थ्रैट काल्ज बारे पुलिस को कई शिकायतें तक दी गईं परंतु ज्यादातर मामलों में कोई कार्रवाई नहीं हुई। पिछले दिनों नकोदर के एक व्यापारी को ऐसी ही फिरौती भरी कॉल के बाद गोलियों से भून दिया गया जिस कारण कारोबार और उद्योग जगत में काफी दहशत व्याप्त है। गन कल्चर प्रति पंजाब सरकार द्वारा लिए गए स्टैंड ने भी लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति पर कोई असर नहीं डाला क्योंकि एक विशेष वर्ग को इस मामले में खुली छूट दी गई।

कोई नई पॉलिसी नहीं बना रहे पंजाब के अफसर

आम आदमी पार्टी को पंजाब की सत्ता पर काबिज हुए 10 महीने हो चुके हैं परंतु अभी तक राज्य की अफसरशाही लोगों को राहत इत्यादि देने के लिए कोई पॉलिसी नहीं बना पाई है। अवैध कालोनियों, बिल्डिंगों बारे कोई पॉलिसी घोषित नहीं की गई और वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी का भी कोई अता पता नहीं। इसके अलावा शराब और माइनिंग प्रति पॉलिसी भी जल्द निकट भविष्य में आती नहीं दिख रही। उद्योग जगत के लिए लाई जा रही पालिसी को लेकर भी असंतोष के स्वर उठ रहे हैं।

दूसरी पार्टियों से गए नेता भी इज्जत को तरसे

विधानसभा चुनावों से पहले और बाद में कांग्रेस, भाजपा, अकाली दल और अन्य पार्टियों को छोड़कर आप में जाने वाले नेताओं की स्पीड काफी तेज रही परंतु अब इनमें से ज्यादातर नेता अपनी इज्जत को लेकर तरस रहे हैं। वैसे तो यह राजनीति का एक असूल ही है कि जब कोई नेता अपनी मूल पार्टी को छोड़कर दूसरी में जाता है तो उसकी इज्जत तो दांव पर लगती ही है, साथ ही साथ उन्हें दूसरी पार्टी में वैसी इज्जत कभी नहीं मिलती जैसी उन्हें मूल पार्टी में मिलती रही होती है। यही फर्क अब ‘आप’ में गए नेताओं में दिख रहा है जिन्हें गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनावों तक तो पूछा गया परंतु निगम चुनावों को लेकर ना उनसे कोई सलाह मशविरा किया जा रहा है और न ही कोई बैठक इसलिए दूसरी पार्टियों से गए ज्यादातर नेता इन दिनों नामोश से दिख रहे हैं।

अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here

पंजाब की खबरें Instagram पर पढ़ने के लिए हमें Join करें Click Here

अपने शहर की और खबरें जानने के लिए Like करें हमारा Facebook Page Click Here

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Sunita sarangal

Recommended News

Related News