पंजाब में बैठ अमेरिका में की जाती थी लाखों की ठगी, गैंग का कारनामा सुन नहीं होगा यकीन
punjabkesari.in Thursday, Aug 08, 2024 - 11:42 AM (IST)
मोहाल : जीरकपुर से फर्जी कॉल सेंटर के जरिए ऑनलाइन ठगी का जाल बिछाने वाले आरोपियों की संख्या अब 21 हो गई है। आरोपियों में 4 अफ्रीकी और 3 लड़कियां भी शामिल हैं। उनकी पहचान राजस्थान के मोहम्मद नदीम कुरेशी, तौसीफ अहमद, ढकोली की रिया चौहान, बिहार की मालती, शिवानी, फतेहगढ़ साहिब के अजय कुमार, करनाल के मयंक, पीलीभीत के प्रभदीप सिंह, राहुल, दिल्ली के नितीश, अफ्रीकन चिलुकिया, अब्दुल रहीम, लिउल, उमर जाफरी, असम से शिवा, पश्चिम बंगाल से आदित्य कपूर, अमीरपुशी, प्रणब बनर्जी, राजस्थान की अक्षरा, तोशिफ और उत्तराखंड से आकाश बिष्ट के रूप में हुई है। आरोपियों से 20 लैपटॉप, 1.44 लाख रुपये, विदेशी मुद्रा, 3 पासपोर्ट और 3 बैंक चेकबुक बरामद की गई हैं। जांच में पता चला कि आरोपी तीन तरीके अपनाकर अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाते थे। अब तक की जांच में सामने आया है कि आरोपी नदीम ही मास्टरमाइंड है। सभी आरोपी जीरकपुर थाना पुलिस की रिमांड पर हैं। एस.पी. (जांच) ज्योति यादव के अनुसार गिरोह के कई सदस्य जीरकपुर में अलग-अलग जगहों पर किराए के मकान में कर फर्जी कॉल सेंटर चला रहे हैं
अंग्रेजी और आई.टी. विशेषज्ञों की भर्ती से लेकर ठगी के 3 पैंतरे
अमेरिकी मूल के लोगों से धोखाधड़ी करने के लिए सबसे पहले सोशल मीडिया पर भर्ती का विज्ञापन दिया जाता था। ज्वाइनिंग के बाद आई.टी. विशेषज्ञ, ग्रेजुएट और 12वीं पास अंग्रेजी बोलने में माहिर लड़के-लड़कियां तीन तरह से प्लान को अंजाम देते थे।
पहला तरीका - कॉल करके अमेरिकी को बताया जाता था कि वे मेक्सिको सीमा से बात कर रहे हैं। उसके नाम से आपत्तिजनक सामान से भरा पार्सल जब्त किया गया है, इसलिए आवश्यक पूछताछ की जाएगी। इसके बाद ऐप का इस्तेमाल कर उस व्यक्ति और बैंक खाते से संबंधित जानकारी हासिल कर बताए गए खातों में पैसे ट्रांसफर करवाए जाते थे।
दूसरा तरीका- अमेरिकी नागरिक को फोन कर खुद को सर्विस प्रोवाइडर बताकर बातों में उलझा दिया जाता था। आरोपी लिंक पर क्लिक करवा लेता था फिर बैंक खाते से पैसे ट्रांसफर करवा लेता था।
तीसरा तरीका- अमेरिकी मूल के व्यक्ति को एक लिंक भेजकर उस पर क्लिक करवाकर अकाउंट की जानकारी हासिल की जाती थी।
लैपटॉप खोलेंगे धोखाधड़ी की परतें
आरोपियों के पास से बरामद लैपटॉप के डेटा की जांच की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कितने अमेरिकियों को निशाना बनाया गया है और कितने पैसे धोखाधड़ी कर चुके हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपी क्रिप्टो करेंसी और बिटकॉइन भी ट्रांसफर करवा लेते थे। एस.पी. ने बताया कि पकड़े गए अफ्रीकी मूल के आरोपी पासपोर्ट एक्सपायर होने के बाद भी रह रहे थे। सभी कर्मचारियों को इस बात की जानकारी थी कि वह धोखाधड़ी कर रहे थे और उन्हें 25 हजार रुपये मासिक वेतन और धोखाधड़ी के पैसे का कुछ हिस्सा दिया जाता था।
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