पति की मौत के मुआवजे से विधवा अब पहनेगी  सुहाग का ‘लाल जोड़ा’

punjabkesari.in Tuesday, Nov 27, 2018 - 10:05 AM (IST)

अमृतसर(सफर): जौड़ा फाटक रेल हादसे में पति रमेश (23) को खो चुकी विधवा प्रीति (21) अब दोबारा सुहाग का जोड़ा पहनेंगी। पति की मौत के मुआवजे से मिलने वाली 5 लाख रुपए की रकम से प्रीति की सास मंजीत कौर उसे ससुराल विदा करेगी। जौड़ा फाटक में रेल हादसे में अब तक यह पहला मामला है, जब मृतक के 5 लाख की मुआवजे की रकम सरकार के पास अभी भी जमा है। इस रकम पर सास मंजीत कौर व पत्नी प्रीति दोनों ने बराबर की दावेदारी की थी। इसके चलते चैक अभी नहीं दिया गया है।

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अब सास और बहू में समझौता हो चुका है, सरकारी दस्तावेज पूरे किए जा रहे हैं। ऐसे में उम्मीद है कि जल्द जहां इस परिवार को 5 लाख का चैक मिल जाएगा। वहीं पति की मौत के बाद मिले पैसों से उसकी विधवा किसी और घर में लाल जोड़ा पहन कर नया घर बसाएगी। ‘पंजाब केसरी’ ने 25 अक्तूबर को खबर प्रकाशित की थी कि ‘ 5 लाख के चैक के लिए तार-तार हुए रिश्ते’ इन्ही सास बहू की कहानी थी। जिसमें 5 लाख के चैक के दावेदारी को लेकर दोनों में ‘महाभारत’ इतनी छिड़ी कि चैक को जिला प्रशासन ने ‘झगड़ा’ बताकर रोक लिया था।

प्रीति का दावा था कि रेल हादसे की खबर उसने दिल्ली में रहते अपने मां-बाप के पास टी.वी. में देखी थी। सास मंजीत कौर ने  पहले से ही पति को कुंवारा लिखकर दस्तावेज जमा करवा दिए थे।  उसे अंतिम संस्कार के लिए नहीं बुलाया गया। घर से बाहर कर दिया गया। कहा गया कि ‘जब मेरा बेटा ही नहीं रहा तो तू भी कहीं जाकर मर जा’। इस पर वह मैजिस्ट्रेट (डी.सी.) के सामने पेश हुई तो उससे कहा गया कि उसे इंसाफ मिलेगा। ऐसे में ‘पंजाब केसरी’ ने उसकी आवाज बुलंद की और उत्तर प्रदेश कल्याण परिषद के प्रवक्ता राम भवन गोस्वामी ने संस्था के तरफ से राह दिखाई। 

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प्रीति कहती है कि मेरी शादी गोल्डेन एवेन्यू गली नंबर 7 निवासी रमेश के साथ हुई थी। रमेश सुनियारे की दुकान पर काम करता था। ससुर विजय कुमार (65) बीमार रहते हैं। मुझे पति की मौत की खबर न देकर ससुराल वाले कुंवारा लिखाकर पैसा हड़पना चाहते थे, मेरे मां-बाप की सिर्फ 1 शर्त यही थी की हमारे पास बेटी ब्याहने के लिए अब पैसा नहीं है। ऐसे में मेरे ससुराल वाले मेरे पति की मौत पर मिले मुआवजे की रकम से मेरे डोली विदा कर दे, पहले सास कुछ भी मानने को तैयार नहीं थी लेकिन अब मान गई है कि मेरी शादी वो सास नहीं बल्कि मां के तौर पर कन्यादान करके करेगी। 

वहीं ‘जौड़ा फाटक’ पर हुए रेल हादसे ने कई सुहागिनों को विधवा बना दिया। बच्चों से बाप का साया छीन लिया तो मासूमों से मां की ममता। किसी का इकलौता चिराग बुझ गया तो किसी बहन की रखाई वाली इकलौती कलाई। रेल हादसे के दिन ज्यों-ज्यों बीत रहे हैंज मी परिवारों व अपनों को खो चुके परिवारों के तरफ तव्वजों कम दी जाने लगी है। लोगों को अभी भी मदद की दरकार है, मृतकों को 5-5 लाख की रकम मिलने के बाद जहां परिवार की कमी पूरी नहीं हो पा रही है वहीं घायलों को मिलने वाले पैसों से दवा का खर्च भी पूरा नहीं हो पा रहा है। 

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