43 वर्षों के बाद बंद हुआ बठिंडा का थर्मल प्लांट,750 मुलाजिमों के भविष्य पर लटकी तलवार
punjabkesari.in Thursday, Dec 21, 2017 - 07:55 AM (IST)

बठिंडा (परमिंद्र): पिछले 43 सालों से बठिंडा की शान व पहचान रहे गुरु नानक देव थर्मल प्लांट बठिंडा को सरकार ने बंद करने का ऐलान कर दिया है जिसे लेकर न केवल मुलाजिम संगठनों में रोष है बल्कि आम लोगों में भी निराशा का आलम है। बेशक कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से पहले अपने मैनीफैस्टो में थर्मल के मुद्दे को शामिल कर इसे दोबारा चालू करने का वायदा किया था लेकिन सरकार अपने वायदे पर पूरी नहीं उतर सकी। थर्मल प्लांट को यूं तो गत 28 अक्तूबर को ही बंद कर दिया गया था लेकिन अब सरकार ने इस पर अंतिम फैसला लेते हुए इसे पूरी तरह बंद करने की घोषणा कर दी है।
थर्मल प्लांट को बंद करने का थर्मल प्लांट से जुड़ी जत्थेबंदियों के अलावा विभिन्न मुलाजिम व सामाजिक संगठनों ने सरकार की इस कार्रवाई का विरोध किया था लेकिन इसके बावजूद थर्मल प्लांट को बंद कर दिया गया। विभाग की ओर से बेशक गुरु नानक देव थर्मल प्लांट के पक्के मुलाजिमों को फील्ड या अन्य जगहों पर तैनात कर दिया जाएगा लेकिन थर्मल प्लांट में लंबे समय से काम कर रहे करीब 750 कच्चे मुलाजिमों के भविष्य पर तलवार लटक गई है। यूनियन नेताओं के अनुसार पावर कॉम के प्रबंधकों द्वारा उन्हें बठिंडा के 10 किलोमीटर के क्षेत्र में रोजगार दिलवाने का आश्वासन दिया गया है लेकिन ये वायदे भी सच होते दिखाई नहीं दे रहे। उनका कहना है कि उनके पास न तो कोई और रोजगार है व न ही किसी अन्य कार्य की उन्हें जानकारी है। ऐसे में न केवल वे बेकार हो जाएंगे बल्कि उनके परिवारों के भी भूखे मारने की नौबत आ जाएगी।
1974 में शुरू हुआ था पहला यूनिट
गुरु नानक देव थर्मल प्लांट बठिंडा का पहला 110 मैगावाट का यूनिट 1974 में शुरू हुआ था। इसके बाद दूसरा 110 मैगावाट का यूनिट 1975, तीसरा यूनिट 1978 तथा चौथा यूनिट 1979 में शुरू हुआ था। ऐसे में थर्मल प्लांट को चलते हुए अब 43 वर्ष हो चुके हैं। सरकार का मानना है कि थर्मल के कारण भारी प्रदूषण भी फैल रहा है जबकि थर्मल प्लांट की बिजली उत्पादन की क्षमता कम हो रही है।
इसलिए उक्त प्लांट अब सरकार को महंगा पडऩे लगा है। इसी कारण इसे बंद कर दिया गया है। यूनियन नेताओं का कहना है कि बेशक सरकार की नजर में थर्मल प्लांट ‘बूढ़ा’ हो चुका है लेकिन अब भी यह प्लांट निजी थर्मल प्लांटों के मुकाबले सस्ती बिजली पैदा कर रहा था।
715 करोड़ से की थी रैनोवेशन
उक्त थर्मल प्लांट मुख्य रूप से कोयले से बिजली उत्पादन करता था। पिछले कई सालों से थर्मल प्लांट की चिमनियों से धुएं के साथ उडऩे वाली राख ने भी लोगों का जीना दूभर कर रखा था लेकिन हाल ही में उक्त थर्मल प्लांट की रैनोवेशन पर करीब 715 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। कान्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन के नेताओं ने बताया कि थर्मल की रैनोवेशन के बाद इसकी उम्र सीमा 2025 से 2030 तक बढ़ गई थी लेकिन इसके बावजूद इसे बंद कर दिया गया। निजी थर्मलों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकारी थर्मल बंद किए जा रहे हैं जो पंजाब के लोगों तथा मुलाजिमों के साथ धक्केशाही है।