सावधान: कहीं आपका बच्चा तो नहीं चला रहा इस तरह के एप्स?
punjabkesari.in Monday, Dec 18, 2023 - 04:13 PM (IST)
जालंधर (कशिश): पंजाब में मैच बुक्कियों पर पुलिस प्रशासन की इतनी सख्ती थी कि किसी समय में पंजाब के बुकी किंग अपने काम को बंद करने पर उतर आए थे लेकिन 2012-13 से इन बुक्कियों ने पंजाब के बाहर के बुक्कियों से बात करने पर एक नया प्लान बनाया ताकि पंजाब में बुकी अपनी पकड़ दोबारा से बना सके। इन पंजाब के बुक्कियों ने अपने सट्टेबाजी के एप तैयार करवा कर अपने पंटरों को बांटने शुरू कर दिए। उस समय ये एप बुक्कियों की तरफ से 20 हजार रुपए का दिया जाता था जिसमें एप में ही बुक्कियों की तरफ से पंटरों की आई.डी. दी जाती थी और एप में 5 हजार रुपए कमिश्न काटकर 15 हजार प्वाइंट डाल दिए जाते थे। जिसकी वजह से बुक्कियों का काम पंजाब में बढ़ता चला गया और पंजाब पुलिस को दिखावे में रखकर अंदर खाते से पंजाब सट्टा माफिया अपने काम को इतना बढ़ा लिया कि इस समय पंजाब में इनको रोकना न के बराबर ही दिखता नजर आ रहा है।
सूत्रों से मिली जानकारी से पता चला है कि सट्टेबाजी के मेन किंग जो बाकि राज्य के बुक्कियों को सट्टेबाजी एप तैयार करके देते है वो सारे गुरुग्राम, नोएडा या दिल्ली जैसे बड़े शहरों में बैठकर इन अवैध एप्स को अपरेट कर रहे है। खुद को एप डिवैल्पर कहने वाले अवैध सट्टा एप बनाने वाले ये लोग अपनी 30-40 टीमों का ग्रुप बनाकर रहते है और इनका आका दुबई में बैठकर इनकों कमांड देता है किसके अकाऊंट में कितना पैसा डालना है या किससे कितना पैसा लेना है। हैरानी की बात ये है कि इतना पैसा अगर एप के जरिए पंटरों के खाते में आ रहा है तो पुलिस प्रशासन को इसकी खबर क्यों नहीं है।
सोशल मीडिया पर इस तरह के एप्स बच्चों की पहली पसंद बनते जा रहे है क्योंकि ये आसानी से मिल जाते है और इसमें न तो पुलिस प्रशासन की तरफ से पकड़ने जाने का डर है और न ही इनके परिवार वालों को कुछ पता लगता है कि उनका बच्चा फोन में क्या कर रहा है। इसमें परिवार वालों को भी सचेत रहना चाहिए कि क्या उनका बच्चा अपनी पूरी जिंदगी की कमाई पूंजी कहीं इस तरह के अवैध एप्स में खराब तो नहीं कर रहा?
2013-14 में सट्टेबाजी एप पर किस तरह होता था काम
आज से 10 साल पहले जब सट्टा एपस के जरिए बुक्कियों का कारोबार सक्रिय हो गया था तो उन्होंने पंटरों को जब सट्टा एप दिया तो उनकों कहा गया था कि सोमवार ही लेन-देन के हिसाब होगा और लेन-देन का हिसाब सारा ये कैश के रूप में करते थे। पंटर सोमवार को अगर पैसे निकलवाना चाहता था तो उसे बुक्की को व्हाट्सएप के जरिए मैसेज डालना पड़ता। पंटर बुकी को अपनी आई.डी. देता था और जितने प्वाइंट पंटर ने निकलवाने होते थे वो उसके एप से कट जाते थे और पैसे लेने की एक जगह तय कर दी जाती थी। वहां पर आकर बुकी की तरफ से रखा हुआ कारिंदा उसे पैसे दे जाता था।
2021-22 में सट्टेबाजी कारिंदों का बदला स्टाइल
पिछले 2-3 सालों से ही सोशल मीडिया जैसे की इंस्टाग्राम, फेसबुक व टैलीग्राम पर ऐसे हजारों एप्स आपको देखने को मिलते रहेंगे। अगर कोई भी इन सट्टेबाजी एप्स को डाऊनलोड करता है तो उस एप को खोलने पर एक व्हाट्सएप नम्बर दिया जाता है जिस पर मैसेज करने पर आपको उस एप से कारिंदे की तरफ से एक आई.डी. लेने के लिए मैसेज भेजा जाता है। आजकल हजारों सट्टेबाजी एप्स होने पर बुकियों के कारिंदो ने मात्र 100 रुपए फीस आई.डी. लेने के लिए रखी हुई है।
व्हाट्सएप के जरिए क्यू.आर. कोड कारिंदे की तरफ से भेजा जाता है उस पर पेमैंट जमा करवाने पर आई.डी. पंटर को दे दी जाती है। एप खोलने पर पंटर की तरफ से करवाई हुई पैमेंट उसके एप में दिखने लग पड़ती है जिसके जरिए वह मैच में सट्टेबाजी करना शुरू कर देता है। हैरानी की बात ये है कि दुनिया में कहीं भी किसी भी तरह का कोई भी स्पोर्ट्स चलता हो उस पर सटटेबाजी लगाई जा सकती है और इस एप में ताश के पत्तों से लेकर हर तरह की गेम खेलने पर भी पैसे लगाए जाते है। अगर कोई पंटर पैसे जितता है तो वह उसी समय व्हाट्सएप के जरिए अपनी सट्टेबाजी एप की आई.डी., बैंक से संबंधित जानकारी भेज देता है तो मात्र 10 मिनट के अंदर उसके खाते में पैसे आ जाते है और उसके एप से उतने पैसे काटे जा चुके होते है जितने उसने अपने बैंक के खाते में डलवाए हैं।
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