जालंधर में BJP की बड़ी हार, Hotel से बाहर नहीं आ सकीं पार्टी की नीतियां

punjabkesari.in Saturday, May 13, 2023 - 01:34 PM (IST)

जालंधर : जालंधर उपचुनाव में आम आदमी पार्टी की जीत लगभग तय है, लेकिन घोषणा अभी बाकी है। अब तक डाले गए वोटों की संख्या के मामले में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार सुशील कुमार रिंकू 50,000 से ज्यादा वोटों से आगे चल रहे हैं। आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता पार्टी की इस शानदार जीत का श्रेय मुख्यमंत्री भगवंत मान को दे रहे हैं। जालंधर उपचुनाव के इस राजनीतिक परिदृश्य में पूरी ताकत झोंकने के बावजूद हारने वाली विपक्षी पार्टियों के सामने बड़ी चुनौती थी। बीजेपी की बात करें तो पार्टी ने चुनाव प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी थी लेकिन इसके बावजूद उम्मीद के मुताबिक वोट नहीं मिले। बेशक बीजेपी प्रत्याशी इंदर इकबाल सिंह अटवाल एक लाख से ज्यादा वोट पाकर अपनी पीठ थपथपाते नजर आ रहे हैं, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व के दुष्प्रचार के बावजूद नंबर 4 पर बने रहना कहीं न कहीं बीजेपी के लिए बड़ी चिंता है।

चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी के केंद्रीय लीडरशिप ने जालंधर में डेरा लगाया और प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों का लगातार प्रचार किया। जालंधर चुनाव में बीजेपी नेता गजेंद्र शेखावत, स्मृति ईरानी, ​​अनुराग ठाकुर और हरदीप पुरी समेत बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने दस्तक दी और मोदी सरकार के नाम पर वोट मांगा। हालांकि बीजेपी के केंद्रीय और राज्य के नेताओं ने काफी मेहनत की लेकिन उन्हें शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। राजनीतिक टीकाकारों की माने तो बीजेपी नेताओं ने पहले ही कहीं न कहीं यह धारणा बना ली थी कि जालंधर उपचुनाव में 'आप'  की हार होने वाली है।

राजनीतिक जानकारों की मानें तो भाजपा नेताओं ने जालंधर उपचुनाव की चुनावी नीतियां होटलों में बैठकर नहीं बनाईं और भाजपा की बनाई नीतियां होटलों से बाहर नहीं आ सकीं। भाजपा के केंद्रीय मंत्रियों को चुनावी मैदान में काफी अनुभव था लेकिन यह अनुभव जालंधर चुनाव में मतदाताओं पर कोई असर नहीं डाल सका।

बीजेपी प्रत्याशी की बात करें तो शिरोमणि अकाली दल को अलविदा कह इंदर इकबाल सिंह बीजेपी में शामिल हो गए। भाजपा ने सिख चेहरे को महत्व देते हुए इंदर इकबाल को अपना उम्मीदवार घोषित किया। कहीं न कही यह बात भी पार्टी वर्करों पर भारी पड़ी कि चुनाव से कुछ समय पहले भाजपा में शामिल हुए अटवाल को उम्मीदवार घोषित किया गया है। दूसरी ओर, भाजपा के प्रदेश नेता भी मतदाताओं को प्रभावित करने में नाकाम रहे। पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जालंधर का दौरा किया और कार्यकर्ताओं के पास जाने के बजाय प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वापस लौट गए। मनप्रीत बादल और सुनील जाखड़ भी प्रचार में शामिल हुए लेकिन जालंधर सीट के ग्रामीण इलाके में बीजेपी प्रत्याशी को कोई खास रिस्पॉन्स नहीं मिल सका।

हालांकि यहां यह बताना जरूरी है कि बीजेपी को इस बात की खुशी जरूर होगी कि उसने अकाली दल को कड़ी टक्कर दी है। अकाली दल ने बसपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था और जालंधर को बसपा का गढ़ माना जाता है, लेकिन इसके बावजूद अकाली दल की हालत कमजोर रही और वह बीजेपी से ज्यादा वोट ही हासिल कर सका। राजनीतिक गलियारों में इस बात की भी चर्चा थी कि अकाली दल और बीजेपी पहले नहीं बल्कि तीसरे नंबर के लिए लड़ रहे हैं। दूसरी ओर, भाजपा ने यह साबित कर दिया है कि वह अकाली दल से गठबंधन किए बिना भी विरोधियों को चुनावी मैदान में राजनीतिक चुनौती देने में सक्षम है।


 


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News Editor

Kamini

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