टूटी सांसों की डोर, मगर नहीं टूटा रक्षा का अटूट बंधन

punjabkesari.in Saturday, Aug 25, 2018 - 11:23 PM (IST)

बमियाल, गुरदासपुर (विनोद): रक्षा बंधन का पर्व हो और बहन को भाई की याद न आए यह तो हो नहीं सकता। कच्चे धागों की डोर से बंधे भाई-बहन के प्यार और इस पावन रिश्ते से बढ़कर कोई अन्य रिश्ता दुनिया में नहीं है। बहन की मांगी हुई दुआएं मुसीबत की घड़ी में भाई की रक्षा करती हैं।

इसी अटूट रिश्ते के बंधन में बंधी एक अभागी बहन जालंधर निवासी अमृतपाल कौर अपने शहीद भाई की स्मृतियां जहन में समेटे हुए भारत-पाक की जीरो लाइन पर बसे गांव सिंबल की बी.एस.एफ. की पोस्ट पर बनी 1971 के भारत-पाक युद्ध के शहीद होने वाले अपने भाई की समाधि पर पिछले 43 वर्षों से निरंतर राखी बांधती आ रही थी, मगर 2 वर्ष पहले भाई-बहन के इस अटूट बंधन के 44वां वर्ष पूरा होने से कुछ दिन पहले अमृतपाल कौर की सांसों की डोर टूट गई।

शहीद भाई की समाधि पर राखी बांधने की परंपरा को बरकरार रखते हुए उस साल अमृतपाल कौर की चचेरी बहन अमृ तपाल कौर ने सिंबल पोस्ट पर जाकर अपने चचेरे भाई शहीद कमलजीत सिंह की समाधि पर राखी बांधी थी तथा पोस्ट पर मौजूद बी.एस.एफ. के जवानों को उन्होंने यह वचन दिया था कि इस परंपरा को वह आगे बढ़ाएगी, मगर अफसोस उसके बाद वह दोबारा इस पोस्ट पर राखी बांधने नहीं आई।


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Des raj

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