कैप्टन अमरेंद्र ने असंतुष्ट नेताओं के बच्चों को बांटी नौकरी की रेवड़ियां
punjabkesari.in Tuesday, Jun 01, 2021 - 12:25 PM (IST)
चंडीगढ़ (हरिश्चंद्र): नाराज सांसदों और विधायकों को साधने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने नया पासा फेंका है। उन्होंने एक सांसद के भतीजे को सीधे डी.एस.पी. भर्ती करने को हरी झंडी दे दी है। माझा से संबंधित यह सांसद लंबे अरसे से कैप्टन के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। एक साथी सांसद को लेकर वह कई बार कैप्टन पर निशाना साध चुके हैं, लेकिन अब वह तीखे प्रहार करने की बजाय सी.एम. को नसीहत वाले बयानों पर आ गए हैं।
सूत्रों के मुताबिक उक्त सांसद के भतीजे को डायरैक्ट डी.एस.पी. भर्ती करने की फाइल पर सी.एम. ने साइन कर दिए हैं। इसे अगली कैबिनेट बैठक के एजैंडे में शामिल किया गया है और मंजूरी मिली तो सांसद का भतीजा डी.एस.पी. के पद पर सेवाएं देता मिलेगा।
इतना ही नहीं लुधियाना जिले के ही अन्य पार्टी विधायक के बेटे को भी सीधे तहसीलदार नियुक्त किया जा रहा है। कई बार जीतने के बावजूद वह वरिष्ठ होते हुए भी कैप्टन अमरेंद्र सरकार में मंत्री नहीं बन पाए हैं। इसके पीछे कारण यह रहा है कि वह अमरेंद्र की पूर्व सरकार के समय विरोधी खेमे के प्रमुख नेताओं में गिने जाते थे। इसके बाद उनके गुट के मुखिया चाहे अमरेंद्र से समझौता कर इस समय सत्ता सुख भोग रहे हों, लेकिन कैप्टन अमरेंद्र अब तक इस विधायक से खफा ही चले आ रहे थे। समय की नजाकत को भांपते हुए यह विधायक अब हाल ही में नाराज नेताओं के खेमे से दूरी बनाए हुए हैं। कैप्टन विरोधी कोई बयान भी वह नहीं दाग रहे। ऐसे में अमरेंद्र ने भी हाथ बढ़ाया और उनके बेटे को सीधे तहसीलदार भर्ती कर लिया। सूत्रों की मानें तो 2 जून को मंत्रिमंडल की बैठक में इस नियुक्ति को भी हरी झंडी मिल जाएगी।
गौरतलब है कि ठाठ की नौकरी पाने वाले दोनों उम्मीदवारों के दादा 1987 में आतंकवाद का शिकार हुए थे। ऐसे में करीब 34 साल बाद आतंकवाद पीडि़त आश्रितों के कोटे से उन्हें अब कांग्रेस सरकार में नौकरी दी जा रही है।
2017 में पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बेअंत सिंह के पौत्र को डी.एस.पी. के पद पर किया था नियुक्त
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब कैप्टन अमरेंद्र ने किसी को सीधे ऐसे उच्च पद पर भर्ती किया हो। 2017 में सरकार बने अभी दो महीने ही हुए थे कि कैप्टन ने पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बेअंत सिंह के पौत्र गुरइकबाल सिंह को डी.एस.पी. के पद पर नियुक्त कर दिया था। गुर इकबाल सांसद रवनीत बिट्टू के भाई और विधायक गुरकीरत कोटली के चचेरे भाई हैं। उनकी नियुक्ति को पंजाब एवं हरियाणा हाइकोर्ट में चुनौती दी गई थी जिसकी सुनवाई अभी पैंडिंग है, क्योंकि हाईकोर्ट पिछले साल से सर्विस मैटर पर सुनवाई नहीं कर रहा है। याचिका में कहा था कि डी.एस.पी. के पद पर सीधे नियुक्ति के लिए अधिकतम आयु 28 साल होनी चाहिए जबकि गुरइकबाल सिंह उस समय करीब 29 साल के थे। इतना ही नहीं आतंकवाद के दौरान हुई बेअंत सिंह की हत्या के 20 साल बाद यह नियुक्ति की गई। याचिकाकर्ता का कहना था कि अनुकंपा के आधार पर नौकरी जरूरतमंद को ही दी जा सकती है जबकि इस मामले में उसके परिवार के सदस्य सांसद और विधायक ही नहीं बल्कि उनका परिवार भी काफी समृद्ध है।
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