प्राइवेट स्कूलों पर छाए खतरे के बादल, जांच के बाद सरकार तक पहुंची रिपोर्ट

punjabkesari.in Friday, Apr 07, 2023 - 01:59 PM (IST)

अमृतसर : किताबें, वर्दी तथा स्टेशनरी बेचने वाले प्राइवेट स्कूलों पर खतरे के बादल छा गए हैं। शिक्षा विभाग द्वारा जिले के 887 प्राइवेट स्कूलों के रिकॉर्ड की जांच करने उपरांत रिपोर्ट कार्रवाई के लिए पंजाब सरकार को भेज दी गई है। विभाग द्वारा की गई जांच में सी.बी.एस.ई. तथा आई.सी.आई. से संबंधित स्कूलों की संख्या शिकायतों के पिटारे में सबसे अधिक है तथा अभिभावक भी अधिकतर इन स्कूलों की कार्रवाई से त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि जो स्कूल नियमों के विपरीत कार्य कर रहा है उसकी मान्यता रद्द की जाएगी।

जानकारी के अनुसार नया शैक्षणिक सैशन शुरू होते ही जिले के कई सी.बी.एस.ई., आई.सी.आई. तथा अन्य बोर्ड से संबंधित स्कूलों द्वारा विद्या के नाम पर व्यापार करना शुरू कर दिया गया था। स्कूल कंपलैक्स के बीच ही अभिभावकों को किताबें, वर्दी तथा स्टेशनरी लेने के लिए विवश किया जा रहा था। प्रिंट रेट लगाकर अभिभावकों को जबरदस्ती किताबें दी जा रही थीं, यहां तक कि अगर कोई अभिभावक स्कूल की कार्रवाई पर प्रश्नचिन्ह लगाता तो उसे बच्चे के भविष्य का हवाला देते हुए स्कूल आंखें दिखाने लगता था, जिले के अधिकतर प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के कारण हर तरफ अभिभावक त्राहि-त्राहि कर रहे थे। पंजाब सरकार के ध्यान में मामला आने के उपरांत जिले के 887 प्राइवेट स्कूलों की जांच के लिए जिला शिक्षा अधिकारी सैकेंडरी जुगराज सिंह रंधावा द्वारा 90 सीनियर अधिकारियों की टास्क फोर्स बनाकर 3 दिन में जांच करवाई गई।

सरकार द्वारा स्कूलों के सभी रिकॉर्ड की जांच ऑनलाइन चैक करने के लिए विशेष पोर्टल बनाया गया। पोर्टल पर विद्यार्थियों की संख्या, उनसे ली जाने वाली फीस तथा कई महत्वपूर्ण जानकारियां शामिल की गईं। जिला शिक्षा अधिकारी जुगराज सिंह रंधावा ने बताया कि जिले के अधिकतर सी.बी.एस.ई. तथा आई.सी.एस.ई. से संबंधित स्कूलों की किताबें, वर्दियां तथा स्टेशनरी बेचने की शिकायतें अधिक हैं। अभिभावकों की भी शिकायतें आई हैं, जिन्हें दर्ज करके सरकार को भेज दिया गया है। उन्होंने कहा कि 3 दिन में विभाग की टीम द्वारा सभी स्कूलों के रिकॉर्ड की जांच की गई है तथा रिपोर्ट कार्रवाई के लिए सरकार को भेजी गई है। जिस किसी भी स्कूल के खिलाफ कोई कमी पाई जाती है, उस स्कूल की मान्यता रद्द की जाएगी तथा सख्त एक्शन लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि स्कूल कंपलैक्स में स्टेशनरी, वर्दी तथा किताबें बेचने पर पाबंदी है।

स्कूल विद्यार्थी से बार-बार नहीं ले सकते एडमिशन फीस

जिला शिक्षा अधिकारी सैकेंडरी जुगराज सिंह रंधावा ने बताया कि सरकारी पोर्टल में यह भी स्पष्ट किया गया है कि स्कूल बार-बार विद्यार्थी से एडमिशन फीस नहीं ले सकते, जो विद्यार्थी एक बार दाखिल हो गया है वह 12वीं कक्षा तक उसी स्कूल में पहले करवाई एडमिशन के अनुसार ही पढ़ सकता है। जो स्कूल री-एडमिशन कर रहा है वह नियमों के विपरीत है। इसके साथ ही कोई भी स्कूल प्रतिवर्ष विद्यार्थी की फीस 8 प्रतिशत से अधिक बढ़ौतरी नहीं कर सकता। विद्यार्थियों से ली जाने वाली फीसों का ब्यौरा स्कूलों को कंपलैक्स के बाहर नोटिस बोर्ड पर लगाने के निर्देश जारी किए गए हैं। यदि कोई स्कूल नियमों की पालन नहीं कर रहा उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

शिक्षा को बनाया व्यापार

कोई भी नया स्कूल खोलने के लिए पंजाब सरकार से प्रवानगी लेनी पड़ती है। स्कूल द्वारा इसके लिए विशेष कमेटी बनाकर सरकार को स्पष्ट किया जाता है कि वह व्यापार नहीं करेंगे। शिक्षा को अधिक से अधिक जरूरतमंदों तक पहुंचाएंगे तथा सरकारी नियमों की पालना करेंगे परंतु हकीकत में शिक्षा अब व्यापार बन गई है। अधिकतर स्कूल वाले सरकार को जो ब्यौरा लिख कर देते हैं उसके उल्ट कार्य करते हैं, कॉपियां, किताबें, स्टेशनरी, वर्दी इत्यादि के नाम पर मोटी कमाई करते हैं। इसके साथ ही री-एडमिशन करके मोटे पैसे वसूलते हैं। विद्यार्थियों पर बेफिजूल फंड लगाकर उनसे पैसे लिए जाते हैं।

सरकार की कार्रवाई पर टिकीं सबकी नजरें

जिले के अधिकतर प्राइवेट स्कूलों की मनमानियों के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले समाज सेवक जय गोपाल लाली ने कहा कि सरकार द्वारा उचित कदम उठाकर प्राइवेट स्कूलों के रिकॉर्ड की जांच तो की गई है परंतु अब सबकी नजरें सरकार की कार्रवाई पर टिकी हैं। सरकार को किसी के भी दबाव में नहीं आना चाहिए तथा जो स्कूल नियमों की अवहेलना कर रहे हैं, उन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। लाली ने कहा कि सरकार को ऐसा कार्य करना चाहिए कि जो कि एक मिसाल पैदा हो जाए।

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News Editor

Urmila

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