निगम कमिश्नर ने दिया करारा झटका, अब ठेकेदार नहीं ले सकेंगे कांग्रेस सरकार जैसी मौज

punjabkesari.in Saturday, Dec 31, 2022 - 12:02 PM (IST)

जालंधर (खुराना): नगर निगम जालंधर के अत्यंत बिगड़ चुके सिस्टम को ठीक करने में लगे कमिश्नर तथा युवा आई.ए.एस. अधिकारी अभिजीत कपलिश ने अब निगम में क्वालिटी कंट्रोल सैल गठित कर के ठेकेदारों को जहां तगड़ा झटका दिया है वहीं यह संकेत भी गया है कि अब निगम ठेकेदारों और अफसरों को कांग्रेसी सरकार जैसी मौज दोबारा नहीं मिलेगी।

गौरतलब है कि पिछले 5 साल रही कांग्रेस की सरकार द्वारा जालंधर निगम में चाहे करोड़ों-अरबों रुपए के विकास कार्य करवाए परंतु पिछले 3 साल किसी अफसर ने भी क्वालिटी कंट्रोल की ओर ध्यान नहीं दिया जिसके कारण जहां निगम ठेकेदार करोड़पति, अरबपति तक बन गए, वहीं उनके द्वारा खुले मन से दी गई कमीशन से निगम के भी कई अफसरों को खूब कमाई हुई। क्योंकि नगर निगम में ठेकेदारों द्वारा अफसरों को दी जाती कमीशन बहुत ही पुराने समय से चल रही है और यह परंपरा आज भी बरकरार है। अब देखना होगा कि क्वालिटी कंट्रोल सैल गठित होने के बाद ठेकेदारों के कामकाज और उनके द्वारा अफसरों को दी जाती कमीशन पर क्या असर पड़ता है। सनद रहे कि मोदी सरकार ने स्मार्ट सिटी के तहत जालंधर नगर निगम को अरबों रुपए दिए परंतु जमीनी हकीकत में पैसा सही ढंग से खर्च नहीं हुआ और निगम ठेकेदारों और पार्षदों ने अपनी ही जेबें भरी हैं।

कंट्रोल सैल के अलावा मॉडर्न लैबोरेट्री तथा रिसोर्स सेंटर कम लाइब्रेरी भी होगी गठित

इस सैल के बतौर चेयरमैन निगम कमिश्नर ने इंजीनियरिंग ब्रांच पर फोकस करते हुए क्वालिटी कंट्रोल सैल में कारपोरेशन इंजीनियर सुखविंदर सिंह , असिस्टेंट इंजीनियर तरनप्रीत सिंह तथा सौरव संधू और जे.ई. अवतार संधू तथा धीरज सहोता को लिया है। इस सैल को शहर में चल रहे विकास कार्यों बाबत प्रतिदिन रिपोर्ट मिला करेगी। टैस्टिंग मशीनरी तथा क्वालिफाइड स्टाफ से लैस एक मॉडर्न लैबोरेट्री भी निगम में स्थापित होगी जिसका इंचार्ज कारपोरेशन इंजीनियर सुखविंदर सिंह को बनाया गया है ।

इसके अलावा सैल द्वारा एन.आई.टी., एल.पी.यू. तथा डेवियट जैसे इंजीनियरिंग संस्थानों की सेवाओं का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यहां होने वाले टैस्ट साइट इंस्पैक्शन रजिस्टर में दर्ज हुआ करेंगे और इसे अनिवार्य करार कर दिया गया है। बाकी स्टाफ को टैस्ट इत्यादि के लिए सक्षम बनाने हेतु कैपेसिटी बिल्डिंग वर्कशॉप का आयोजन होगा जिसका को-ऑर्डिनेटर सौरव संधु को बनाया गया है। वह हर हफ्ते कम से कम एक वर्कशॉप आयोजित किया करेंगे। निगम में रिसोर्स सैंटर कम लाइब्रेरी का भी निर्माण होगा जहां आई.आर.सी. कोड, पी.डब्ल्यू.डी. स्पेसिफिकेशन तथा अन्य नियमों से संबंधित किताबें व रसाले इत्यादि रखे जाएंगे। लाइब्रेरी का को-ऑर्डिनेटर कार्पोरेशन इंजीनियर जसपाल लक्खा को बनाया गया है जिनकी मदद रोहित शर्मा रिकॉर्ड कीपर के तौर पर करेंगे। अब हर विकास कार्य से संबंधित फाइल कारपोरेशन इंजीनियर द्वारा ‘वैट्ट’ होगी और उसमें जी.पी.एस. लोकेशन, फोटोग्राफ इत्यादि अनिवार्य होंगे।

अड्डा होशियारपुर से पंजपीर की ओर जाती नई सड़क भी बैठने लगी

इसी साल पंजाब में हुए विधानसभा चुनावों से चंद माह पहले कांग्रेसी नेताओं ने अड्डा होशियारपुर से लेकर पंजपीर चौक तक की सड़क को सीमेंट से बनवाया था जिस पर करीब एक करोड़ रुपए का खर्च आया होगा परंतु अब यह सड़क कुछ स्थानों से बैठनी भी शुरू हो गई है। खिंगरा गेट से पंजपीर चौक की ओर जाती सड़क पर पांचवां छेवां ब्लॉक पूरी तरह बैठ चुका है जिस कारण दुर्घटनाएं तक होने लगी हैं। इतनी महंगी बनी सड़क का एक साल बाद यह हाल होना लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है।

गौरतलब है कि शहर में अनेकों ऐसी सड़कें हैं जो बनने के तुरंत बाद ही टूटने लग गई थी परंतु तमाम शिकायतों और छपे समाचारों के बावजूद कमिश्नर लेवल तक के अधिकारियों ने भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया था। कांग्रेसी सरकार के समय निगम अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच नैक्सस में चूंकि राजनेता भी शामिल हो गए थे इसलिए तब क्वालिटी कंट्रोल जैसी कोई चीज नहीं थी और ठेकेदारों को घटिया काम करने की खुली छूट मिली हुई थी।

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किसी ठेकेदार को बनाना नहीं आता सीवरेज का चैंबर और ढक्कन

जालंधर शहर की बात करें तो यहां मेन सड़कों की लंबाई करीब 100 किलोमीटर के आसपास है।  इन सड़कों पर हजारों की संख्या में सीवरेज के चैंबर और ढक्कन इत्यादि बने हुए हैं परंतु शायद ही कोई सीवरेज चैंबर या ढक्कन ऐसा होगा जो उबड़ खाबड़ नहीं होगा। शहर की नई सड़कों पर भी ऐसे सीवर चैंबर या तो टूटे हुए हैं या सड़क से काफी नीचे हैं। सड़क बनाने वाले किसी ठेकेदार ने आज तक चैम्बर की क्वालिटी की ओर ध्यान नहीं दिया और न ही निगम के किसी अफसर ने ठेकेदारों को इस बाबत टोका जिस कारण शहर में हर रोज सीवरेज के ढक्कनों कारण दुर्घटनाएं होती हैं और वाहन चालकों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

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News Editor

Urmila

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