डेरा ब्यास प्रमुख को कोर्ट में होना पड़ेगा पेश, आरोपी मालविंदर और शिविंदर के हैं मामा

punjabkesari.in Friday, Oct 18, 2019 - 10:34 AM (IST)

नई दिल्ली(विशेष): दिल्ली हाईकोर्ट ने राधा स्वामी सत्संग ब्यास (आर.एस.एस.बी.) प्रमुख बाबा गुरिन्द्र सिंह ढिल्लों को 14 नवम्बर को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का आदेश दिया है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों बाबा ढिल्लों और उनके परिवार के सदस्यों ने अदालत में आवेदन दायर कर कहा था कि उनकी आर.एच.सी. होल्डिंग जिसके प्रोमोटर मालविंदर सिंह और शिविंदर सिंह हैं, की तरफ कोई देनदारी नहीं है। इससे पहले अदालत रैनबैक्सी के पूर्व प्रोमोटरों को जापानी फर्म डायची सैंक्यो को 3,500 करोड़ रुपए का भुगतान करने के आदेश दे चुकी है। अपनी दलीलों में बाबा ढिल्लों ने अदालत को बताया कि आर.एच.सी. होल्डिंग ने झूठे दावे किए हैं। इसके बाद अदालत ने 11 अक्तूबर को दिए अपने आदेश में बाबा ढिल्लों, उनकी पत्नी शबनम, बेटों गुरकीरत और गुरप्रीत और पुत्रवधू नयन तारा से लेन-देन से संबंधित दस्तावेजों के साथ अदालत में पेश होने को कहा है। इस सारे मामले को न्यायमूर्ति जे.आर. मिड्ढा की अदालत देख रही है और अदालत ने अनुऋणी आदेश (गार्नशीस ऑर्डर) जारी करते हुए सभी अनुऋणियों को दो सप्ताह के भीतर लेन-देन संबंधी दस्तावेजों सहित हलफनामा पेश करने को कहा है।

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27 अक्तूबर तक कोर्ट में जमा करवाने होंगे 6,000 करोड़
इससे पहले गत दिनों राधा स्वामी सत्संग ब्यास के आध्यात्मिक प्रमुख गुरिन्द्र सिंह ढिल्लों, उनके परिवार के सदस्यों और सहयोगियों सहित 55 लोगों तथा इकाइयों को अदालत ने आदेश दिया था कि वे 6,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम आर.एच.सी. होल्डिंग को दें। कोर्ट ने डाइची सैंक्यो के हाथों रैनबैक्सी लैबोरेटरीज के अधिग्रहण से जुड़े विवाद के सैटलमैंट के संबंध में यह पेमैंट करने को कहा था। पैसा रेलिगेयर एंटरप्राइजेज के चीफ सुनील गोडवानी और उनके भाई संजय गोडवानी से भी रिकवर किया जाएगा। रेलिगेयर एंटरप्राइजेज को सिंह ब्रदर्स ने ही प्रोमोट किया था। कोर्ट के 27 सितम्बर के आदेश के अनुसार यह रकम 30 दिनों के भीतर कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के पास जमा करनी होगी।

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मालविंदर सिंह ने क्या कहा था हलफनामे में
रैनबैक्सी के मालिकों में शामिल रहे मालविंदर सिंह ने अप्रैल में एक हलफनामा दाखिल कर कहा था कि आर.एस.एस.बी. प्रमुख, उनके परिवार और करीबी सहयोगियों के नियंत्रण वाली इकाइयों सहित कुछ अन्य इकाइयों पर आर.एच.सी. होल्डिंग और सिंह ब्रदर्स की ग्रुप इकाइयों के 6,000 करोड़ रुपए से ज्यादा बकाया हैं। उन्होंने कहा था कि डाइची सैंक्यो के हाथों रैनबैक्सी के अधिग्रहण से जुड़े आॢबट्रेशन अवार्ड की पेमैंट तभी की जा सकती है, जब उनकी बकाया रकम की रिकवरी कराई जाए।


कब से उलझा हुआ लेन-देन का मामला
बाबा ढिल्लों रिश्तेदारी में मालविंदर और शिविंदर सिंह के मामा लगते हैं और 1990 के दशक के अंत से दोनों भाई बाबा ढिल्लों के करीब हो गए। तब से आध्यात्मिक नेता और सिंह भाइयों के बीच वित्तीय लेन-देन का मामला उलझा हुआ है। माना जाता है कि डेरा ब्यास वर्तमान में देश का सबसे बड़ा आध्यात्मिक संस्थान है।

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देश ही नहीं विदेश की अदालत में भी चल रहा केस
सिंगापुर के एक आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल ने सिंह बंधुओं से 2016 में कहा था कि वे डाइची सैंक्यो को 2,562 करोड़ रुपए का भुगतान करें। यह आदेश जापानी कंपनी के रैनबैक्सी को खरीदने के बाद उभरे विवाद को सुलझाने के लिए दिया गया था। डाइची ने आरोप लगाया था कि सिंह ब्रदर्स ने रैनबैक्सी को बेचने के दौरान जानबूझकर कुछ तथ्य छिपाए थे। उसने यह आरोप तब लगाया जब यू.एस. फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने रैनबैक्सी के कुछ कारखानों में रैगुलेशन से जुड़े कुछ सवाल उठाए थे।रैनबैक्सी के पूर्व प्रोमोटरों ने ट्रिब्यूनल के निर्णय को भारत और सिंगापुर की अदालतों में चुनौती दी थी लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने जनवरी 2018 में अवॉर्ड को जायज ठहराया था। फरवरी में मालविंदर सिंह ने दिल्ली पुलिस के इक्नॉमिक ऑफैंस विंग के पास शिकायत की थी। उन्होंने दावा किया था कि गुरिन्द्र सिंह ढिल्लों और दूसरे सहयोगियों ने 2008 में रैनबैक्सी की बिक्री से हासिल 4.6 अरब डॉलर में से बड़ी रकम का इस्तेमाल रीयल एस्टेट खरीदने में किया था।


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