डाक्टर जोड़े की शर्मनाक हरकत: डिलीवरी के दौरान बड़ी लापरवाही आई सामने
punjabkesari.in Sunday, May 23, 2021 - 01:20 PM (IST)

चंडीगढ़ (हांडा) : लुधियाना के एक निजी अस्पताल के डाक्टर दंपति ने महिला की डिलीवरी में लापरवाही बरती, जिसके चलते पैदा होने के एक दिन बाद ही नवजात की मौत हो गई। बीमा कंपनी ने भी अस्पताल का साथ दिया, इसलिए कंपनी को भी बराबर का दोषी मानते हुए पंजाब स्टेट कंज्यूमर रिड्रैसल कमीशन ने डाक्टर दंपति व बीमा कंपनी को याची पक्ष को 35 लाख रुपए हर्जाना व 33000 रुपए बतौर कानूनी खर्च देने के आदेश दिए हैं। यही नहीं, जिस दिन याची पक्ष ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, उस दिन से आदेश तक याची को जुर्माना राशि का 8 प्रतिशत ब्याज भी दोषियों को देना होगा।
कमीशन के प्रिंसिपल बैंच के जस्टिस पी.एस. धालीवाल की अध्यक्षता वाले बैंच ने उक्त आदेश दिए हैं। मामला लुधियाना का है, जहां सिविल लाइन स्थित हांडा अस्पताल में डाक्टर प्रतिभा हांडा पुलकित कपूर का गर्भवती होने के बाद से ही ट्रीटमैंट कर रही थीं। 26 अगस्त 2016 को पुलकित को लेबर पेन हुआ तो उसे परिजन डिलीवरी के लिए डाक्टर प्रतिभा के पास ले गए।
अस्पताल जाने के बाद पता चला कि डाक्टर प्रतिभा ओ.पी.डी. में हैं। बार-बार कहने पर भी उन्होंने महिला को नहीं देखा, न ही अस्पताल में यह जानने का प्रयास किया कि लेबर पेन सही में डिलीवरी के लिए है या किसी और वजह से।
हालत बिगड़ती देख पुन: डाक्टर से संपर्क किया गया, जिन्होंने नर्स से साफ कह दिया कि वह ओ.पी.डी. के बाद महिला को देखेंगी। उससे पहले उन्हें डिस्टर्ब न किया जाए। महिला की हालत बिगड़ती देख एनैस्थीसिया का एक डाक्टर पुलकित नामक महिला को लेबर रूम में लेकर गए और बिना परिजनों की सहमति लिए बिना सर्जरी के डिलीवरी की, जिसके बाद वहां डाक्टर प्रतिभा पहुंची। डिलीवरी के बाद पैदा हुए बच्चे की आवाज तक नहीं हुई, जिसे कपड़े में लपेटकर परिजनों को बताया गया कि बेटा हुआ है। परिजनों को बताया गया कि बच्चे के फेफड़े सही काम नहीं कर रहे।
अस्पताल में वैंटीलेटर की भी सुविधा नहीं थी, जिसके चलते रात 11 बजे के बाद नवजात को दयानंद मैडीकल कालेज में भर्ती करवाने के लिए रैफर कर दिया। अस्पताल के पास एम्बुलैंस भी नहीं थी। देर रात तक बच्चे की हालत में सुधार नहीं हुआ तो उसे (निओ नेटाल केयर यूनिट) नीकू में शिफ्ट कर दिया गया लेकिन बच्चे के दिमाग, दिल और फेफड़े सही काम नहीं कर रहे थे जिसके चलते 27 जुलाई को बच्चे की मौत हो गई।
याची पक्ष का आरोप था कि डाक्टर प्रतिभा व प्रदीप हांडा के पास नवजात को बचाने के लिए 6 घंटे से भी अधिक का समय था लेकिन उन्होंने लापरवाही दिखाई, जिसके चलते नवजात की मौत हुई है।
कहा गया कि ओरिएंटल इंश्योरैंस कंपनी ने भी अस्पताल का साथ दिया, जिसे इस मामले में बराबर का दोषी पाया गया। याची पक्ष के वकील भवनीक मेहता ने याची की ओर से हर्जाने के रूप में 50 लाख, दिमागी परेशानी के लिए 25 लाख, कानूनी खर्च की एवज में एक लाख व करीब 3 लाख इलाज खर्च का ब्याज सहित दावा किया था लेकिन कोर्ट ने डाक्टर प्रतिभा व बीमा कंपनी सहित अस्पताल को 35 लाख का कुल हर्जाना व 33000 कानूनी खर्च केस दाखिल करने की तारीख से ब्याज सहित एक माह के भीतर देने के आदेश जारी किए हैं।