डोप टैस्ट के विवादित आदेश पर फिर हो विचार : खैहरा

punjabkesari.in Sunday, Jul 08, 2018 - 01:02 AM (IST)

चंडीगढ़ (शर्मा): पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता सुखपाल सिंह खैहरा ने मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह को पत्र लिख उस विवादित आदेश पर दोबारा विचार की मांग की है जिसके अनुसार सरकारी कर्मचारियों के लिए डोप टैस्ट जरूरी करने की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि विवादित आदेश के बाद मामले के असली पहलू अर्थात नशों की ओवरडोज के चलते युवाओं की मृत्यु के ज्वलंत मुद्दे से ध्यान हटाने का प्रयास हो रहा है। इस आदेश के बाद सरकारी कर्मचारियों की विभिन्न यूनियनों ने राजनीतिक वर्ग के डोप टैस्ट की मांग की है। सामाजिक कलंक से बचने के लिए मंत्रियों, विधायकों आदि कई नेताओं ने टैस्ट करवाना भी शुरू कर दिया है। ऐसा होने से बहस का फोकस पुलिस अफसरों के साथ ड्रग माफिया के गहरे संबंधों के असली मुद्दे से हटकर डोप टैस्ट के गैर-जरूरी मुद्दे पर आ गया है।

उन्होंने कहा कि डोप टैस्ट करवाना ही है तो पुलिस के उच्चाधिकारियों का होना चाहिए न कि कांस्टेबल स्तर का। ए.एस.आई. से डी.जी.पी. रैंक तक के अफसरों का डोप टैस्ट करवाने के लिए सरकार कह सकती है। डोप टैस्ट बिना बताए अचानक करवाया जाना चाहिए क्योंकि स्वैच्छिक तरीके से करवाए टैस्ट से सही नतीजा प्राप्त करना पूरी तरह से असंभव है। लगभग 3 लाख सरकारी कर्मचारियों का डोप टैस्ट करवाने का क्या तुक बनता है जिनमें महिला कर्मी भी शामिल हैं। इससे सरकारी खजाने पर भी सालाना 17-18 करोड़ का फालतू बोझ पड़ेगा। 

उन्होंने कहा कि उक्त विवादित डोप टैस्ट के आदेश बुजुर्ग राजनीतिज्ञों और अफसरों के लिए शर्मनाक स्थिति पैदा कर सकते हैं जो कि बीमारी के इलाज के लिए अफीम से बनी दवाएं खाने से टैस्ट रिजल्ट पॉजिटिव आ सकते हैं। खैहरा ने मांग की है कि ड्रग माफिया से संबंध रखने वाले पुलिस के वरिष्ठ अफसरों की भूमिका की जांच हाईकोर्ट की निगरानी में सी.बी.आई. या मौजूदा जज के नेतृत्व वाले ज्यूडीशियल कमीशन से करवाई जाए।
 


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